डीलर लाइसेंस रिन्यूल नहीं होने पर माइका व्यवसायियों ने खनन विभाग के कार्यालय में किया प्रदर्शन
कोडरमा : जिले में अभ्रक के खनन का लीज एक-दो व्यक्ति को छोड़ कर किसी के पास नहीं है. अभक्र (ढिबरा) की खरीद-बिक्री को लेकर जारी होनेवाले डीलर लाइसेंस के लिए सोमवार को हंगामा हुआ. माइका के कारोबार से जुड़े व्यवसायियों ने डीलर लाइसेंस रिन्यूल नहीं होने पर खनन विभाग के कार्यालय में विरोध प्रदर्शन किया और रोष जताया. व्यवसायियों का कहना था कि विभाग के पदाधिकारी अपनी मरजी के हिसाब से डीलर लाइसेंस रिन्यूल नहीं कर रहे हैं. इस कारण उन्हें व्यापार करने में परेशानी हो रही है. बाद में व्यवसायियों ने शिक्षा मंत्री डाॅ नीरा यादव से उनके आवास पर जाकर मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया. व्यापारियों का कहना था कि उन्हें इसके पूर्व में अभ्रक की खरीद-बिक्री के लिए डीलर लाइसेंस का रिन्यूल बिहार माइका एक्ट-1947 के तहत करके दिया जाता रहा है.
वर्षों पूर्व कोडरमा में सैकड़ों माइका कारोबारियों के पास डीलर लाइसेंस थे, पर समय के साथ समाप्त होते गये. वर्तमान में 163 कारोबारियों के पास माइका का डीलर लाइसेंस है, पर इस वर्ष से इस लाइसेंस को रिन्यूल नहीं किया जा रहा है. बताया कि प्रतिवर्ष दिसंबर जनवरी के माह में लाइसेंस रिन्यूल करने का काम होता रहा है, पर इस बार बिना कोई आदेश निर्गत किये डीलर लाइसेंस रिन्यूल नहीं किया जा रहा है. मौके पर वीरेंद्र मिश्रा, विश्वनाथ दारूका, अर्जुन मोदी, कृष्णा मोदी, पंकज कुमार, गोपाल शर्मा, महरू मोदी, रामदेव मोदी, राजीव अग्रवाल, सीताराम मोदी, राधे मोदी मौजूद थे. इन लोगों का तर्क था कि एक तरफ राज्य सरकार कोडरमा को अभ्रक नगरी बताकर तोरण द्वार लगाने में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ अभ्रक व्यवसाय को प्रभावित करने का काम किया जा रहा है. व्यवसायियों को डीलर लाइसेंस के साथ ही ट्रांजिट पास भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.
इसके कारण अभ्रक बाहर भेजने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वन क्षेत्र में अवैध खनन का उठता रहा है फायदा: जानकारी के अनुसार जिले में अभ्रक के खनन का लीज एकमात्र लाइसेंसधारी के पास है. इसके अलावा किसी का अभ्रक खनन का लीज नहीं है. जिले में अभ्रक के खरीद बिक्री का लाइसेंस डीएल 163 लोगों के पास हैं. इस पर पूर्व में भी सवाल उठते रहे हैं. सबसे अधिक वन क्षेत्र में अवैध खनन कर निकाले जाने वाले ढिबरा को इनके माध्यम से खपाने का काम किया जाता रहा है. समय-समय पर वन विभाग व प्रशासन की टीम ने इस पर कार्रवाई भी की, पर पूरी तरह इस पर रोक नहीं लगी. अधिकारियों का तर्क यह भी रहा है कि छापामारी कर ढिबरा पकड़ने के बाद कई बार इन डीलर लाइसेंस के सहारे लोग जब्त माइका को छुड़ा ले गये. नियम में बदलाव से हुई समस्या: सहायक जिला खनन पदाधिकारी राजेश लकड़ा ने बताया कि अभ्रक का डीलर लाइसेंस पूर्व में बिहार माइका एक्ट 1947-48 के तहत रिन्यूल होता आया है.
इस रूल में अभ्रक खनी के पट्टा से बाहर भंडारण, व्यापार व परिवहन की अनुमति थी. इस बीच झारखंड राज्य अलग हुआ, तो पट्टा क्षेत्र से बाहर वृहद व लघु खनिज का भंडारण, व्यापार व परिवहन के लिए नियंत्रण लगा दिया गया. इसमें झारखंड मिनरल डीलर्स रूल 2007 को प्रभावी बनाया गया. हाल ही में अभ्रक खनिज को केंद्र सरकार ने लघु खनिज के रूप में अधिसूचित किया है.
ऐसे में अभ्रक के डीएल रिन्यूल में झारखंड मिनरल डीलर्स रूल प्रभावी हो गया है और बिहार का एक्ट प्रभावहीन हो गया है. व्यापारियों को लाइसेंस रिन्यूल नहीं होने पर परेशानी हो रही है. ऐसे में इस संबंध में विभाग से दिशा निर्देश मांगा गया है. जवाब आने के बाद ही कुछ कदम उठाया जा सकता है.