लापरवाही. भवन निर्माण में मानकों की अनदेखी, बायलॉज का अनुपालन नहीं
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भवनों का भूकंपरोधी होना जरूरी
लापरवाही. भवन निर्माण में मानकों की अनदेखी, बायलॉज का अनुपालन नहीं 60 प्रतिशत से अधिक निर्माण में अनुपालन नहीं समस्तीपुर : शहरी क्षेत्र में नये भवनों के निर्माण में मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है़ नक्शा पास कराने से लेकर निर्माण कार्य के लिए एनओसी देने में आवेदकों को नगर पार्षद की दरियादिली […]
60 प्रतिशत से अधिक निर्माण में अनुपालन नहीं
समस्तीपुर : शहरी क्षेत्र में नये भवनों के निर्माण में मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है़ नक्शा पास कराने से लेकर निर्माण कार्य के लिए एनओसी देने में आवेदकों को नगर पार्षद की दरियादिली का लाभ मिल रहा है़ इससे लोग निर्माण कार्य में मानकों की अनदेखी कर नागरिक सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं. नेपाल सहित भारत के कई हिस्से में आये विनाशकारी भूकंप के बाद अब भवन निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक को अपनाने का निर्णय लिया है़ वर्तमान में भूकंपरोधी तकनीक को लेकर कोई सरकारी प्रावधान सुनिश्चित नहीं है़ निर्माणकर्ता अपने विवेक से भवन की मजबूती के लिए इसका प्रावधान करते हैं. सरकारी स्तर पर अब तक इसकी बाध्यता नहीं है़
वैसी बहुमंजिली इमारतों के निर्माण के लिए भवन प्रमंडल विभाग की ओर से जारी एनओसी में भूकंपरोधी तकनीक की बाध्यता है. व्यवहार में भले ही इसका अनुपालन नहीं किया जाता है, लेकिन नागरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह काफी अहम है. अभियंताओं की मानें तो 60 प्रतिशत से अधिक भवनों में मानकों की अनदेखी की जा रही है, जो भविष्य में खतरनाक साबित हो सकती है.
पुराने भवनों के उपयोग पर पाबंदी की तैयारी : जिला आपदा समिति ने बीते दिन हुई बैठक में जिलेभर के जर्जर भवनों के उपयोग पर पाबंदी लगाने का फरमान सुनाया है़ इसके लिए भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता को नोडल पदाधिकारी बनाते हुए जर्जर भवनों की पहचान सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है़ सर्वाधिक मामले शहरी क्षेत्र के हैं जहां रखरखाव के अभाव में कई भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. इन भवनों के किरायेदार अपनी जान सांसत में डालकर रह रहे हैं. प्रशासन यदि भवनों के निर्माण में नागरिक सुरक्षा की अनदेखी करेगा तो इसकी बड़ी कीमत कभी भी चुकानी पड़ सकती है.
हर फेज के निर्माण के बाद करनी होगी खबर : ऊंची इमारतों के मामले में अब हर चरण के निर्माण की सूचना निगम को देनी होगी़ यह अनिवार्य होगा़ नप ऐसे भवनों की छानबीन करेगा, ताकि यह पता चल सके कि उसका निर्माण स्ट्ररल इंजीनियर और वास्तुविदों के मंजूर किये गये नक्श के अनुसार हो रहा है या नहीं ? इओ ने कहा कि नये बिल्डिंग बायलॉज को कड़ाई से लागू किया जायेगा.
छुपे घरों की होगी खोज : नगर परिषद के 29 वार्डों में ऐसे घर भी बड़ी संख्या में हैं, जो नप की नजरों से बचे हुए हैं. ऐसे घरों की खोज होगी और उसे होल्डिंग के दायरे में लाया जायेगा, ताकि उससे नप को टैक्स मिले़ नगर परिषद क्षेत्र में करीब 8600 होल्डिंग हैं. इओ ने कहा कि बहुत सारे घर होल्डिंग के दायरे से बचे हुए हैं.
बिल्डिंग या आवासीय प्लट उसी स्थान पर होगा, जहां सड़क से पहुंचा जा सके़ पुराने इलाकों में 12 फुट से कम चौड़ी सड़क के किनारे बिल्डिंग का निर्माण नहीं होगा़ नये विकसित इलाकों में इसके लिए 20 फुट चौड़ी सड़क होनी जरूरी है़ आवासीय और व्यापारिक कामों के इतर बननेवाली इमारतों के लिए सड़क की चौड़ाई 12़2 मीटर होनी चाहिए. सड़क के लिए सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं होने पर दोनों तरफ के जमीन मालिक सड़क के लिए जमीन छोड़ेंगे़ 12 मीटर से ऊंची हर बिल्डिंग में लिफ्ट होगी़ नये प्रावधान के तहत डिजाइन तैयार करने वाले स्ट्ररल इंजीनियर प्रमाणपत्र देंगे और यह भी अभिप्रमाणति करेंगे कि इमारत का निर्माण उनकी देखरेख में होगा़ किसी भी संरचनात्मक खामी के लिए वह जिम्मेदार होंगे़ बिल्डिंग प्लान में मुख्य और वैकल्पिक सीढ़ी की चौड़ाई की पूरी जानकारी देनी होगी़ गाड़ियों को पार्क करने की जगह के साथ एंबुलेंस व आग बुझानेवाली गाड़ियों को पार्क करने की जगह से संबंधित जानकारी देनी होगी़ फायर अलार्म सिस्टम के बारे में बताना होगा़ 800 वर्गमीटर से कम के भूखंड पर अपार्टमेंट नहीं बनेगा़ जमीन के किसी भी ऐसे टुकड़े को विकसित करने की अनुमति नहीं मिलेगी, जहां तक कम-से-कम आठ मीटर चौड़ी सड़क से पहुंचा नहीं जा सके़ अपार्टमेंट निर्माण के लिए कम-से-कम 12 फुट चौड़ी सड़क जरूरी है़
नप प्रशासन की नजर
नये भवनों के निर्माण में बिल्डिंग बायलॉज का पालन हर हाल में होगा़ यह भी देखा जायेगा कि निर्माणाधीन भवन में भूकंप प्रतिरोधी मानकों को पूरा किया जा रहा है या नहीं ? इंजीनियरों की ट्रेनिंग हो चुकी है़ नगर विकास विभाग की ओर से बिल्डिंग बायलॉज आ चुका है़ भवन निर्माण में मानकों की अनदेखी पर नप प्रशासन की कड़ी नजर है़
देवेंद्र सुमन, इओ, नप, समस्तीपुर
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