कोलकाता: इन दिनों राज्य में भिखारियों का गिरोह सक्रिय है जो छोटे-छोटे नाबालिक बच्चों से भीख मंगवा रहे हैं. गिरोह में शामिल लोग बच्चों को दूर-दराज से अपहरण कर लाया जाता है और ट्रेनिंग देकर बच्चों से भीख मंगवायी जाती है. पुलिस और सामाजिक संस्थाओं की अनदेखी के चलते भिखारी बच्चों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. उत्तर 24 परगना जिले के विधाननगर इलाके में भीख मांगनेवाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक देखने को मिल रही है. बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड, रेलवे स्टेशन के साथ महानगर के मुख्य अस्पतालों और धार्मिक स्थलों पर सुबह से देर रात तक बच्चों को भीख मांगते देखा जा सकता है. इन बच्चों की उम्र करीब छह से दस साल के बीच होती है.
एक सप्ताह तक दी जाती है ट्रेनिंग
विधाननगर के उल्टाडांगा ऑटो स्टैंड पर भीख मांग रहे कुछ बच्चों से पूछताछ की गयी तो उन्होंने बताया कि उनको ऐसा करने के लिए उनका मालिक बोलता है. वह जो भी रुपये कमाते हैं उसको रात को अपने मालिक को दे देते हैं. भीख मांगने से पहले बच्चों को करीब सात दिन तक ट्रेनिंग दी जाती है कि वे कैसे लोगों से पैसे मांगें.
अभियान के नाम पर खानापूर्ति
पुलिस व बाल कल्याण विभाग की ओर से आये दिन अभियान तो चलाया जाता है लेकिन अभियान का भिखारियों के गिरोह पर कोई असर दिखाई नहीं दिखता. विभाग की ओर से बस कागजी खानापूर्ति कर दी जाती है.
बच्चों को नहीं पता है अपने माता-पिता का नाम
जिन बच्चों को दूर-दराज से लाकर भीख मांगने के लिए छोड़ दिया जाता है. ये बच्चे इतने समझदार नहीं होते कि इनको क्या करना चाहिए. इनका जो मालिक होता है वह इनको केवल भीख मांगने की पूरी ट्रेनिंग देकर घर से भेजता है. बच्चों को भीख मांगने के बदले दो वक्त का खाना मिलता है. इन भीख मांगनेवाले बच्चों में कुछ ऐसे भी शामिल हैं जिनको अपने मां-बाप का नाम तक नहीं मालूम.
गिरोह में लड़कियों की संख्या है अधिक
जो बच्चे रेलवे स्टेशन के बाहर, मेट्रो स्टेशन के बाहर, बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड, अस्पताल, धार्मिक स्थल व अन्य जगहों पर भीख मांगते हैं उनमें करीब छह से दस साल की 60 प्रतिशत नाबालिग लड़कियां शामिल होती हैं.