नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में आये हुये ढाई साल से ज्यादा का समय गुजर चुका है. इस दौरान सरकार ने जहां एक ओर देश की तस्वीर बदलने वाले विमुद्रीकरण जैसे बड़े फैसले लिये, वहीं दूसरी ओर उसे राजनीतिक फायदे अथवा राजनीतिक-सामाजिक विरोध के कारण अपने कुछ फैसलों से यू-टर्न भी लेना पड़ा. करीब डेढ महीने पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हिन्दी समाचार चैनल एनडीटीवी को पठानकोट कवरेज के दौरान संवेदनशील जानकारी प्रसारित करने के लिए नौ नवंबर को ‘आफ-एयर’ रहने का आदेश जारी किया था. हालांकि इसके बाद सोशल मीडिया में सरकार की घनघोर आलोचना होने और टीवी चैनल द्वारा सरकार के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर सरकार ने अपने आदेश को होल्ड पर रख दिया.
चालू माह के शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी द्वारा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का विरोध करना राजनीतिक इतिहास का सबसे बडा यू-टर्न है. आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक दिलीप पांडे ने कहा कि दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने जिस प्रकार से दिल्ली के फुल स्टेटहुड के खिलाफ बयान दिया है, उससे साबित हो जाता है कि भाजपा अपने ही वायदे से यू-टर्न ले रही है.
नवंबर के दौरान भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई ने अपने फेसबुक ‘बीजेपी4एमपी’ के अधिकृत पेज पर एक आपत्तिजनक पोस्ट जारी किया था. जिसके बाद मप्र कांग्रेस कमेटी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को मानहानि का नोटिस भेजकर 15 दिन के अंदर माफी मांगने को कहा. नोटिस मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा की ओर से भेजा गया था. भाजपा ने अपने पेज पर ‘कांग्रेस का हाथ-आतंकवादियों के साथ’ लिखा था. नोटिस भेजने के बाद भाजपा ने अपने पेज से वह पोस्ट हटा ली थी.
इससे पहले जून माह के दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पिछड़ा वर्ग के प्रोफेसर तथा एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती में आरक्षण का लाभ नहीं दिये जाने के फैसले से राजनीतिक नुकसान की आशंका को देखते हुये मानव संसाधन मंत्रालय ने यू-टर्न लिया था. इससे तीन दिन पहले यूजीसी की ओर से जारी संशोधित आदेश पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने स्मृति ईरानी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला बोलते हुये भाजपा की पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता का जमकर विरोध करने का ऐलान किया था, जिसके बाद यूजीसी ने एक पत्र जारी करके कहा कि शिक्षकों की भर्ती में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण संबंधी नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा.
मार्च माह के दौरान ईपीएफओ ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते से धन निकासी पर भारी कर लगाने का प्रस्ताव किया था हालांकि बाद में राजनीतिक दलों और लोगों के विरोध के कारण सरकार ने यह प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा कर दी. मध्य प्रदेश में भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार के कैबिनेट ने प्रदेश के सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें पढाने का फैसला लिया था लेकिन सरकार ने चुपके से इस मामले में यू-टर्न ले लिया. सरकार ने बाद में कहा कि कैबिनेट का फैसला सरकार द्वारा संचालित स्कूलों के लिए है, सीबीएसई या मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (एमएसएम) के अन्य निजी स्कूलों के लिए नहीं.
सितंबर माह के दौरान गोवा में विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बगावत हो गयी, जिससे भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो गयीं. आरएसएस के गोवा प्रमुख सुभाष वेलिंगकर को हटाये जाने के बाद गोवा के करीब 400 स्वयंसेवकों ने संघ से अलग होकर वेलिंगकर के साथ जुड़ने का फैसला किया. स्वयंसेवकों ने स्पष्ट करते हुये कहा था कि वह लोग वेलिंगकर को हटाये जाने के विरोध में संगठन से अलग हो रहे हैं.
इसके अलावा उन्होंने वेलिंगकर के नेतृत्व में ‘भाषा सुरक्षा मंच’ नामक संगठन बनाकर गोवा में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. वेलिंगकर ने गोवा की मनोहर पार्रिकर सरकार पर अपने वायदे से मुकरने का आरोप लगाया था. पार्रिकर ने गोवा के स्कूलों में कोंकणी और मराठी भाषा को महत्व दिये जाने का वादा किया था. उल्लेखनीय है कि नवंबर में सरकार की ओर से हजार और पांच सौ रुपये का लीगल टेंडर रद्द किये जाने के 50 दिनों के दरम्यान रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय करीब 60 बार अपने फैसलों को बदल अथवा रद्द कर चुका है.