इसके अलावा और भी कइ गांवों से शौचालय नहीं बनाये जाने की शिकायत मिल रही है. स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार दो साल पहले इस योजना के लिए नौ सौ रूपये जमा कराये गये थे. ये पैसे जमा करा दिये गए हैं. उसके बाद भी सरकारी सहायता से शौचालयों का निर्माण नहीं हुआ है.इनका आरोप है कि ग्राम पंचायतों को कइ बार इस बात की जानकारी देने के बाद भी कोइ लाभ नहीं हुआ है.इस मामले में बालुरघाट के बीडीओ कौशिक चटर्जी ने कहा कि खुले में शौच पर रोक है. इसी को ध्यान में रखकर निर्मल ग्राम पंचायत घोषित किया गया है.इसबीच,प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले दो महीने से इस जिले को निर्मल जिला बनाने को लेकर बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा है.जिला अधिकारी संजय बोस स्वयं इसपर नजर रख रहे हैं.पिछले दो महीने के दौरान 56 ग्राम पंचायतों के अधिकांश घरों में शौचालय का निर्माण करवा दिया गया है.यदि किसी के घर में शौचालय नहीं है तो संबंधित ग्राम पंचायतों से संपर्क कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है.
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निर्मल बांग्ला: जिला प्रशासन पर हड़बड़ी का आरोप
बालुरघाट: 31 दिसंबर के अंदर ही पूरे जिले को निर्मल जिला घोषित किये जाने को लेकर जिला प्रशासन पर हड़बड़की करने का आरोप लगा है. आरोप है कि कइ ग्राम पंचायतों में काफी संख्या में लोगों के घरों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है उसके बाद भी उस ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम पंचायत घोषित […]
बालुरघाट: 31 दिसंबर के अंदर ही पूरे जिले को निर्मल जिला घोषित किये जाने को लेकर जिला प्रशासन पर हड़बड़की करने का आरोप लगा है. आरोप है कि कइ ग्राम पंचायतों में काफी संख्या में लोगों के घरों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है उसके बाद भी उस ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम पंचायत घोषित कर दिया गया.यहां उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने निर्मल बांग्ला अभियान की शुरूआत की है. इसी अभियान के तहत दक्षिण दिनाजपुर जिले को भी निर्मल जिला बनाने का लक्ष्य रखा गया है और इसको 31 दिसंबर तक पूरा भी करना है.
पिछले दो महीने से जिले के ग्राम पंचायतों को निर्मल घोषित करने का काम हो रहा है.अबतक 56 ग्राम पंचायतों का निर्मल पंचायत घोषित किया जा चुका है. इसी क्रम में दस नंबर अमृतखंड ग्राम पंचायत के लोगों ने जिला प्रशासन पर जल्दबाजी करने का आरोप लगाया है. इनका कहना है कि इस ग्राम पंचायत के कइ गांवों के सैकड़ों घरों में अबतक शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. यहलोग खुले में शौच करते हैं.
कौन गांव प्रभावित
बालुरघाट शहर करीब दस किलोमीटर दूर है डुमरइ और चकामद गांव.इन दोनों गांवों के अधिकांश लोग किसान या मजदूर हैं.जिसकी वजह से कइ हजार रूपये खर्च कर यहलोग अपने दम पर शौचालय का निर्माण नहीं करा सकते.यहां के लोगों ने शौचालय के लिए नौ सौ रूपये जमा करा दिये थे.करीब सौ से अधिक घरों में शौचालय नहीं है.इनदोंनो गांवों में सिर्फ सात लोगों के घरों में ही शौचालय है.
क्या कहते हैं बीडीओ
इस बात को लेकर बालुरघाट के बीडीओ कौशिक चटर्जी ने कहा कि शौचालय बनाने का काम अभी भी चल रहा है. जिसके घर में अबतक शौचालय नहीं है,ऐस लोगों की सूची बना ली गयी है.खुले में शौच नहीं करने के नियम के अनुसार दोनों गावों को भी निर्मल गांव घोषित किया गया है.उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि जिनके घर में शौचालय नहीं है,उनके घरों में शौचालय का निर्माण कर दिया जायेगा.
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