नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों की स्थिति पर फाइनेंशियल स्टेबलिटी -2016 नाम से एक रिपोर्ट जारी किया है. रिपोर्ट में देश में बैंकों की स्थिति को लेकर समीक्षा की गयी है. रिजर्व बैंक ने कहा कि 2015 -16 में बैंकों की स्थिति अच्छी नहीं रही. बैंक अभी भी खराब कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का मुनाफा 60 प्रतिशत तक गिर सकता है.
बैंकों के एसेट क्वालिटी मार्च-सिंतबर अवधि में और खराब हुई है. बैंकों का एनपीए 7.8 प्रतिशत से बढ़कर 9.1 हो गया है. रिजर्व बैंक के रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों का रिटेल पोर्टफोलियो में तेजी से वृद्धि दर्ज की गयी है. नन-फाइनेंशियल बैकिंग कंपनियों ने व्यवसायिक बैंकों से ज्यादा वृद्धि दर्ज की गयी है. नन बैंकिग कंपनियों के एसेट क्वालिटी 2012 से लगातार गिर रही है लेकिन एनपीए बैंकिग सेक्टर के मुकाबले कम है.
2016-19 के बीच वित्तीय समावेश पर जोर दिया गया है. ‘फाइनेंशियल इनक्लूजन एडवाइजरी कमिटी के सिफारिशों पर काम किया जा रहा है. नेशनल मिशन फॉर कैपिसीटी बिल्डींग के तहत माइक्रो एंड स्मॉल इंडस्ट्री को फाइनांस करने का काम करेगी. रिजर्व बैंक वित्तीय साक्षरता पर भी जोर दे रहा है.
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