नयी दिल्ली : उपभोक्ता संरक्षण प्रणाली को मजबूत करने के लिए सरकार वित्तीय शिकायत निपटान एजेंसी (एफआरए) का रिटेल सेक्टर में इस्तेमाल करना चाहती है. वित्त मंत्रालय द्वारा अभी हाल ही में रिटेल सेक्टर के उपभोक्ताओं की शिकायतों के निपटान संबंधी शिकायतों को दूर करने के लिए गठित एक टास्क फोर्स ने सभी वित्तीय सेवा प्रदाताओं को लेकर सरकार को सुझाव दिया है कि इस नियामक को पीड़ित उपभोक्ताओं को संरक्षण एवं मुआवजा प्रदान कराना चाहिए. इस टास्क फोर्स ने सरकार को बीते 30 जून को ही रिटेल सेक्टर के उपभोक्ता के संरक्षण के लिए सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. मौजूदा समय में बीमा, बैंकिंग सेवाओं, पेंशन और प्रतिभूति बाजार की शिकायतों की सुनवाई की व्यवस्था अलग-अलग है.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वित्तीय शिकायत निपटान एजेंसी (एफआरए) क्षेत्र की शिकायतों का सरल ढंग से समाधान करने की प्रक्रिया की पेशकश करेगा, जिसमें दूर-दराज के खुदरा उपभोक्ता वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनियों पर प्रभावी कार्रवाई के लिए दबाव बना सकेंगे. इसमें उन पर कोई बड़ा वित्तीय लागत बोझ भी नहीं पड़ेगा.
वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस प्रक्रिया में सभी शिकायतों का मध्यस्थता के जरिये निपटारे के साथ अदालती प्रक्रिया से दूर रहने के प्रति लोगों को किया जायेगा. जहां दोनों पक्ष समाधान तक नहीं पहुंच पायेंगे, वहां सरल न्याययिक प्रक्रिया अपनायी जायेगी. इसके लिए सरकार की ओर से गठित टास्क फोर्स का नेतृत्व पेंशन कोष नियामकीय एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के पूर्व प्रमुख डी स्वरूप करेंगे. उन्होंने इसमें वित्तीय क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बुनियादी सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया है. उन्होंने सरकार को दी गयी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह सुरक्षा एक नये वित्तीय उपभोक्ता संरक्षण और निपटान कानून के जरिये दी जानी चाहिए, जिसमें वित्तीय शिकायत निपटान प्राधिकरण को अधिकार दिये जायेंगे.
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