प्रमोद तिवारी
गोपालगंज : उम्मीद थी कि वर्ष बीतने के साथ साथ शहर में विकास का परचम लहरायेगा. शहर की सड़कें, गलियां और नालियां पक्की हो जायेंगी, लेकिन इन पर ग्रहण लगने के साथ ही शहर के विकास की कल्पना भी काफूर हो गयी है.
छह करोड़ की लागत से होनेवाली 106 योजनाओं पर न्यायालय के फैसले की तलवार लटक रही है. गौरतलब है कि इस वित्तीय वर्ष में 106 योजनाएं नगर पर्षद द्वारा चयनित की गयीं. इन योजनाओं पर छह करोड़ की लागत आनी थी तथा शहर में नालियों, गलियों तथा सड़कों का पक्कीकरण करना था. योजनाओं का चयन होने के बाद और टेंडर देने से पूर्व मामला न्यायालय में पहुंच गया. पूरे मामले पर सुनवाई तीन फरवरी को होनी है. ऐसे में यदि फैसला विकास के पक्ष में आ भी गया तब भी दो माह में योजनाओं को पूरा करना टेढ़ी खीर होगी.
एक योजना के कारण सभी पर विराम : कोर्ट में जो वाद दायर किया गया है उसके अंतर्गत योजना संख्या 64 विवादित है. दायर वाद में कहा गया है कि वार्ड संख्या 22 में सड़क निर्माण हेतु बिना भूमि मालिक की सहमति के सड़क निर्माण का फैसला ले लिया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि चंद विवादित योजनाओं को छोड़ कर शेष योजनाओं को बाधित करने का औचित्य क्या है? कुल मिला कर शहर के विकास पर ग्रहण लगा दिया गया है.
बिना जमीन अधिगृहीत किये चयनित हुई योजना : शहर के राजेंद्रनगर के रहनेवाले रिटायर स्वास्थ्यकर्मी राजेश्वर तिवारी की तरफ से दायर मुकदमे की जानकारी देते हुए उनके अधिवक्ता ज्योतिप्रकाश वर्णवाल ने बताया कि बिना जमीन के अधिग्रहण किये ही जमीन पर योजना बनाने के लिए टेंडर किया गया है. शहर के एक भी जमीन मालिक से अनुमति नहीं ली गयी है. नगर पर्षद में जब शिकायत करने गये, तो कोई सुनने को भी तैयार नहीं था.
विकास की कड़ी में खींच गयी दीवार : 31 मार्च को वित्तीय वर्ष समाप्त हो जायेगा. यदि इस वित्तीय वर्ष में योजनाएं पूरी नहीं हुईं, तो अगले वित्तीय वर्ष में विकास राशि नहीं मिल पायेगी. उधर अप्रैल-मई में नगर निकाय का चुनाव होना है. मार्च में अधिसूचना जारी होने पर भी कार्य कराना संभव नहीं होगा.
वार्ड पार्षदों के मंसूबे पर फिरा पानी : नगर पर्षद का चुनाव अगले वर्ष होना है. चुनाव को देखते हुए वार्ड पार्षदों ने दलित बस्ती समेत कई जगहों पर योजनाओं का चयन कर कार्य कराने की मुहिम छेड़ी थी, ताकि क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता में निखार आये और वोटर उन्हें विकास पुरुष के रूप में देखते हुए बिना किसी अतिरिक्त परिश्रम के वोट डाल सके. लेकिन, योजनाओं पर न्यायालय द्वारा रोक लगाने के बाद उनके भी मंसुबों पर पानी फिर गया है.
कोर्ट का फैसला आने के बाद शुरू होगा काम
योजनाओं पर न्यायालय द्वारा रोक लगायी गयी है. नगर पर्षद की ओर से शहर के विकास के लिए योजनाओं का चयन किया गया था. अब तक आधा से अधिक कार्य भी हो गया होता, लेकिन मामला न्यायालय में राजनीतिक षड्यंत्र के तहत शहर के विकास को अवरुद्ध करने के लिए ले जाया गया है. न्यायालय के फैसले के बाद तेज गति से कार्य कराया जायेगा.
संजू देवी, मुख्य पार्षद, नप गोपालगंज