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सूबे का पहला कचरामुक्त गांव बना भूई
शुभारंभ : कचरा उठाव के लिए ट्राइसाइकिल को डीएम-एसपी ने दिखाई हरी झंडी बिहारशरीफ/सिलाव : भूई कचरामुक्त एवं कचरा प्रबंधन कर कमाई करनेवाला गांव बन चुका है. इस प्रकार भूई गांव सूबे के पहले और देश के आठवें कचरामुक्त गांव के रूप में शामिल हो चुका है. स्वच्छ गांव के रूप में शामिल होने के […]
शुभारंभ : कचरा उठाव के लिए ट्राइसाइकिल को डीएम-एसपी ने दिखाई हरी झंडी
बिहारशरीफ/सिलाव : भूई कचरामुक्त एवं कचरा प्रबंधन कर कमाई करनेवाला गांव बन चुका है. इस प्रकार भूई गांव सूबे के पहले और देश के आठवें कचरामुक्त गांव के रूप में शामिल हो चुका है. स्वच्छ गांव के रूप में शामिल होने के कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार को जिलाधिकारी डॉ त्याग राजन एसएम एवं एसपी कुमार आशीष, उपविकास आयुक्त कुंदन कुमार ने भूई गांव में कचरा उठाव ट्राइसाइकिल को हरी झंडी दिखाते हुए की. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जीविका की 41 महिलाओं को शामिल किया गया है.
भूई गांव बिहार राज्य का पहला व देश का आठवां गांव बना है, जहां पूरी तरह साफ-सफाई के साथ-साथ घर-घर से कचरा का प्रबंधन कर मोटी कमाई करने की योजना प्रारंभ की गयी है.
जिलाधिकारी डॉ त्याग राजन ने बताया कि भूई बिहार का पहला गांव है, जो बिल्कुल ग्रामीण क्षेत्र हैं. जहां से घर-घर जाकर कचरे का उठाव जीविका की महिलाएं करेंगी साथ ही कचरे को जैविक एवं अजैविक दो भागों में अलग करेंगी. इसके लिए जर्जर पुराने पंचायत भवन को लगभग 450 लाख रुपये की लागत से जीर्णोद्धार किया गया है. भवन में सॉलिड रिसोर्स मैनेजमेंट का कार्यालय बनाया गया है. जहां कचरा प्रबंधन कमेटी के लोग बैठेंगे.
भवन कैंपस में ही दो सौ बत्तख को रखा गया, जिनके लिए जालीनुमा बत्तख घर बनाया गया, जो आसपास के तालाब व अन्य कचरेवाली जगह में जा कर कीट-पतंग, मच्छरों, लार्वा, शैवाल एवं अन्य कीड़े-मकोड़ों को खाकर कचरा को साफ करेंगे. इतना ही नहीं जहां जैविक व अजैविक कचरों को अलग किया जायेगा, उसके नीचे मछली के लिए छोटा सा निवास प्रबंधन किया गया है. कचरे से जो बदनुमा लिक्विड व कीड़े-मकोड़े निकलेंगे वे स्वयं ही नीचे चला जायेगा और उसे महिलाएं अपना आहार बनायेंगी. इसके लिए पहले ही हर घर को एक हरा व एक लाल रंग के डस्टबीन मुफ्त में सभी घर, दुकान, मसजिद, मंदिर को दिया जा चुका है.
हरे रंग के डस्टबिन में जैविक व लाल रंग में अजैविक पदार्थ रखना है, जिससे प्रतिदिन जीविका की दीदीयां सुबह आठ बजे से दस बजे व शाम तीन से पांच बजे तक घर-घर जा कर कचरा का उठाव करेंगे. इसके एवज में सभी घरों से प्रतिदिन एक रुपया, दुकानों से एक से तीन रुपया कचरा प्रबंधन कमेटी द्वारा लिये जायेंगे. कचरे का उठाव कर ट्राइ साइकिल के माध्यम से सॉलिड रिसोर्स मैनेजमेंट सेंटर में लाया जायेगा, जहां एक बार फिर से दोनों प्रकार के कचरों को अलग किया जायेगा. इन कचरों में कार्बनिक पदार्थ वाले कचरों को खाद में बदल कर बिक्री की जायेगी.
वहीं अजैविक कचरे को रिसाइकलिंग के लिए बेच दिया जायेगा या फिर वैज्ञानिक रूप से उसका निबटारा किया जायेगा. इस कार्य की मॉनीटरिंग स्वयं जिलाधिकारी करेंगे. जिलाधिकारी 29 दिसंबर को सात निश्चय यात्रा पर आ रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहेतिया आ रहे हैं. इस क्रम में मुख्यमंत्री द्वारा इस योजना का मुआयना भी किया जायेगा. अगर यह मॉडल उन्हें पसंद आता है, तो पूरे बिहार में इस मॉडल को लागू करने पर भी विचार हो सकता है. इस मौके पर कई विभागों के अधिकारी उपस्थित थे.
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