दिल्ली के उपराज्यपाल के पद से नजीब जंग ने इस्तीफा क्यों दिया, इस पर दो दिन बाद भी बहस और कयास का दौर जारी है. दरअसल, उनका कार्यकाल जुलाई 2018 में पूरा होने वाला था और अभी ऐसी कोई राजनीतिक परिस्थिति नहीं थी, जो इस्तीफे के लिए उन पर दबाव बना रही हो. 2014 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद कई वैसे राज्यपाल हटाये गये या इस्तीफे के लिए तैयार किये गये, जिन्हें पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने राज्यपाल बनाया था. नजीम जंग भी जुलाई 2013 में दिल्ली का उपराज्यपाल यूपीए सरकार द्वारा बनाये गये थे, लेकिन केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी वह अपने पद पर बने रहे. तो क्या तब उन्होंने उपराज्यपाल का पद छोड़ने की अपनी ओर से पेशकश नहीं की थी?
22 माह पहले आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उनके बीच करीब एक दर्जन मुद्दों पर भारी विवाद रहा. दोनों के बीच संवैधानिक अधिकारों को लेकर भी जंग चली और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट को दोनों के अधिकार काे लेकर यह कहना पड़ा था कि एक चुनी हुई सरकार के पास कुछ पावर तो होना ही चाहिए, वरना वह काम नहीं कर पायेगी. उस वक्त भी वह उपराज्यपाल बने रहें, लेकिन अब, जबकि उनके इस्तीफे की कोई राजनीतिक वजह नहीं थी, अचानक उनके इस्तीफे की खबर आयी. यह इतना अप्रत्याशित था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी हैरान रह गये. इसके साथ ही उनके इस्तीफे की वजह को लेकर बहस और अनुमान लगाये जाने लगे. हालांकि नजीब जंग ने अपनी तरफ से हर सवाल का जवाब देकर मामले को साफ करने की कोशिश की.
नजीब जंग ने यह भी खुलासा किया कि इस्तीफे का उनका यह फैसला अचानक लिया गया नहीं है और न ही यह पहला अवसर है, जब उन्होंने इतना बड़ा निर्णय लिया. उन्होंने इससे पहले भी दो बार इस्तीफे की पेशकश की थी.
एक न्यूज चैनल को दिये गये साक्षात्कार में नजीब जंग ने खुलासा किया कि 2014 में जब केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ और यूपीए की जगह भाजपा सरकार में आयी, तब उन्होंने इस्तीफे की पहली पेशकश की थी. तब उनके उपराज्यपाल बने एक साल भी नहीं हुआ था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी पेशकश को ठुकरा दिया था और उन्हें अपने पद पर बने रहने को कहा था.
दूसरी बार इसी साल उन्होंने तब उपराज्यपाल का पद छोड़ने का फैसला किया था, जब उनके कार्यकाल के तीन साल पूरे हुए थे, लेकिन उस बार भी उन्हें अपने पद के साथ बने रहने को कहा गया.
22 दिसंबर 2016 को उपराज्यपाल का पद छोड़ने की उनकी तीसरी पेशकश थी, जिसे मान लिया गया. बकौल नजीब जंग, उन्होंने परिवार को वक्त देना और शिक्षा के अपने उस पुराने क्षेत्र में लौटने के लिए उपराज्यपाल का पद छोड़ा, जहां से वे आये थे. इस पद आने के पहले वे जामिया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे.