नयी दिल्ली : सरकार आधुनिक विनिर्माण के लिये एक राष्ट्रीय नीति तैयार कर रही है. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 2025 तक मौजूदा 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य हासिल करने के लिहाज से यह कदम महत्वपूर्ण है.साथ ही आधुनिक विनिर्माण के लिये राष्ट्रीय नीति का मकसद देश की वैश्विक स्तर पर विनिर्माण प्रतिस्पर्धा क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि करना है. हालांकि, सरकार ‘स्मार्ट’ विनिर्माण अपनाने से ‘रोजगार को खतरा’ को लेकर सतर्क है.
औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन बोर्ड (डीआईपीपी) के सचिव रमेश अभिषेक ने कहा, ‘‘इसको लेकर कई चिंताएं हैं, कई अवसर हैं. विशेष रुप से रोजगार को लेकर भी खतरा है. ऐसे में उद्योग को कैसे तैयार किया जाए जिससे चीजें सुगमता से हों. हमारे लोग काफी कुशल हैं, उन्हें दूसरे क्षेत्रों में लगाया जा सकता है.’ वह नीति पर संबंधित पक्षों की राय जानने के लिये बैठक को संबोधित कर रहे थे.
बैठक की अध्यक्षता भारी उद्योग सचिव गिरीश शंकर ने की. शंकर ने कहा, ‘‘आधुनिक विनिर्माण के लिये राष्ट्रीय नीति का मकसद प्रौद्योगिकी पहुंच बढाना है ताकि हम वैश्विक रुप से प्रतिस्पर्धी हों और पीछे नहीं रहें.’ हालांकि, उन्होंने कहा कि नीति बनाने में कुछ समय लग सकता है क्योंकि इसमें व्यापक रुप से विचार-विमर्श की जरुरत है और इस बारे में लोगों से प्रतिक्रिया आमंत्रित की
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