नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद आर्थिक मोर्चे पर लोगों को राहत देने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. छोटे व मझोले इकाई में काम करने वाले श्रमिकों के हित को ध्यान में रखते हुए कैश पेमेंट को खत्म करने का प्रवाधानसरकारला सकती है. ज्ञात हो कि नोटबंदी के बादछोटीकाईयों में काम कर रहे श्रमिकों को लेकर सवाल उठाया गया था. नोटबंदी के बाद उन्हें भुगतान को लेकर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. सूत्रों के मुताबिक सरकार जल्द ही अध्यादेश ला सकती है.बुधवार को प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है.इसके तहत कंपनियांअपने कर्मियों को नकद भुगताननहींकर सकेंगी. इससे कंपनियों के लिए यह अनिवार्य हो जायेगा कि वे अपने कर्मियों का वेतन चेकसे या एकाउंट में दें.
न्यूनतम सैलेरी तय करने परभीकिया जा रहा है विचार
सरकार जल्द ही न्यूनतम सैलेरी की सीमा तय करने पर विचार कर सकती है. अगर ऐसा कानून बनता है तो इसके तहत कंपनियां 15,000 से कम सैलेरी नहीं दे सकेंगी. श्रम मंत्रालय अब न्यूनतम वेतन अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रहा है ताकि देश भर में हर श्रेणी के कर्मियों के लिए अनिवार्य न्यूनतम वेतन लागू किया जा सके जो मुद्रास्फीति के अनुरूप हो और वस्तु एवं सेवा के लिए मांग बढाने के लिए पर्याप्त हो. श्रम संगठन 15,000 रुपये प्रति माह के न्यूनतम वेतन की मांग कर रहे हैं जो पूरे देश पर लागू होना चाहिए.
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