मिथिला लोक उत्सव शुरू. नहीं पहुंचे वित्त एवं राजस्व मंत्री
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सीएम ने लोक उत्सव को दिया राजकीय दर्जा: मंत्री
मिथिला लोक उत्सव शुरू. नहीं पहुंचे वित्त एवं राजस्व मंत्री दरभंगा : नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि स्थानीय लोगों द्वारा मनाये जाने वाले उत्सव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय दर्जा देकर इस क्षेत्र की संस्कृति के प्रति अपनी संजीदगी का परिचय दिया है. उन्होंने उत्सव के सफल आयोजन की […]
दरभंगा : नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि स्थानीय लोगों द्वारा मनाये जाने वाले उत्सव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय दर्जा देकर इस क्षेत्र की संस्कृति के प्रति अपनी संजीदगी का परिचय दिया है. उन्होंने उत्सव के सफल आयोजन की कामना की. मिथिला लोक उत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए करते हुए श्री हजारी ने शनिवार की शाम लहेरियासराय स्थित नेहरू स्टेडियम में कहा कि यहां की लोक संस्कृति विश्व विख्यात है. इस माध्यम से इसे संरक्षित करने का प्रयास हो रहा है. उन्होंने कहा कि यह सरकारी कार्यक्रम है. इसमें ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा. दूसरी बात विलंब से कार्यक्रम शुरु हो रहा है.
खाद्य उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन सहनी को छोड़ वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी एवं भूमि सुधार राजस्व मंत्री डॉ मदन मोहन झा कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. कार्यक्रम में महागठबंधन के विधायक भी उपस्थित नहीं दिखे. उद्घाटन समारोह में जिपअध्यक्ष गीता देवी व उपाध्यक्ष ललिता देवी को छोड़ किसी पंचायत के जनप्रतिनिधि नजर नहीं आए. समारोह की अध्यक्षता डीएम के बदले कमलाकांत झा से कराया गया.
फीका रहा उद्घाटन समारोह महागंठबंधन के विधायक नहीं आये नजर
सीडी का लोकार्पण करते मंत्री महेश्वर हजारी, मदन सहनी, विधायक संजय सरावगी, विप सदस्य अर्जुन सहनी आदि.
बिखरी मिट्टी की सोंधी खुशबू: ‘छोड़ू-छोड़ू ने सैंया भोर भ गेलै’ वाट्स एप पर वायरल हो चुके इस गीत को जैसे ही जूली झा ने गाना शुरु किया पूरा पंडाल तालियों की गूंज से अनुगूंजित हो उठा. लोक उत्सव के पहले दिन मिथिला की मिट्टी की सोंधी खुशबू बिखर पड़ी. रंजना झा ने जोवन रत्न अच्छन दिन चारी, श्रंगार से देखी मानन कयल मगन भेल मुरारी गीत प्रस्तुत किए माहौल में भक्ति रस की धारा बह चली. वहीं उन्होंने सोहर ‘जेहने किशोरी मोरी, तेहने किशोर हे, विधना बनायल जोरी केहन बेजोड़ हे’ गाकर लोक संगीत की भीनी खशबू बिखेर दी. उअनुपमा मिश्र द्वारा प्रस्तुत गोसाउनिक गीत ‘जय जय भैरवी असुर भयाओनि’ से हुआ. दीपक कुमर ने ‘हवा रे हवा चल चल चल, चल मिथिला मे चल’ गाकर मिथिला की महिमा का बखान किया.
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