नयी दिल्ली : नोटबंदी के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वहीं राजनीतिक दलों को मिली छूट एक बार फिर कुछ राजनीतिक पार्टियों के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है. आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी राजनीतिक दलों को मिली छूट का जोरदार विरोध किया है.
वहीं केंद्र में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, उन्हें कोई छूट नहीं दी गयी है. उनके लिए जो नियम पहले से बनें उसे ही अमल में लाया जा रहा है. अब इस मामले पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बयान जारी कर कहा है कि पंजीकृत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे को कुछ शर्तों के साथ कर छूट प्राप्त है जिसमें खातों की आडिट व 20,000 रुपये से अधिक के सभी चंदे कर दायरे में शामिल है.
हाल ही में कुछ मीडिया रपट में कहा गया था कि बोर्ड को राजनीतिक दलों के आयकर रिटर्न जांचने का अधिकार नहीं है. इस बारे में स्पष्टीकरण जारी करते हुए सीबीडीटी ने कहा है, ‘राजनीतिक दलों के खातों की जांच पडताल के लिए आयकर कानून में पर्याप्त प्रावधान हैं और ये राजनीतिक दल भी आयकर के अन्य प्रावधानों के दायरे में आते हैं जिनमें रिटर्न फाइल करना शामिल है. ‘ बयान में कहा गया है कि आयकर में छूट केवल पंजीकृत राजनीतिक दलों को है और इसमें भी कुछ शर्तें हैं जिनका उल्लेख आयकर कानून की धारा 13ए में किया गया है.
इन शर्तों में खाता बही सहित अन्य दस्तावेज रखना शामिल है. इसमें कहा गया है, ‘20,000 रुपये से अधिक हर तरह के स्वैच्छिक चंदे का राजनीतिक दलों को रिकार्ड रखना होगा जिसमें चंदा देने वाले का नाम व पता रखना भी शामिल है. ‘ इसके साथ ही हर राजनीतिक दल के खातों का चार्टर्ड एकाउंटेंट से ऑडिट होना चाहिये। राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के बारे में रपट निर्वाचन आयोग को देनी होती है.