नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2001 में आज के दिन संसद पर हुए आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी. मोदी ने संसद भवन परिसर में मृतकों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की. इस अवसर पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और सभी पार्टियों के सांसद भी मौजूद थे और सभी ने श्रद्धांजलि दी. मोदी ने बाद में ट्वीट किया, ‘वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले के दौरान अपना जीवन कुर्बान करने वाले शहीदों को सलाम। उनकी बहादुरी को कभी भुलाया नहीं जाएगा.’
भारी हथियारों से लैस पांच आतंकवादियों ने 15 साल पहले आज ही के दिन संसद भवन परिसर पर हमला किया था लेकिन उन्हें मुख्य इमारत में प्रवेश करने से पहले ही मार गिराया गया था. इस हमले में जान गंवाने वालों में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला अधिकारी, संसद के दो वाच एंड वार्ड कर्मी और एक माली शामिल हैं.
श्रद्धांजलि आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और सूचना तथा प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू शामिल थे.
आज संसद हमले की 15 वीं बरसी है. हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने वालों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा, भाजपा सांसद सत्यनारायण जटिया, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन सहित अन्य दल भी शामिल थे. कुछ शहीदों के परिजन भी इस मौके पर मौजूद थे. सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्होंने उनको अपनी समस्याओं से अवगत कराया और वह (नायडू) उनके समाधान की कोशिश करेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ परिवार हरियाणा के थे और वह राज्य सरकार के समक्ष अपने मुद्दे उठा सकते हैं. शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे संसद सदस्यों ने उनके सम्मान में कुछ पल का मौन रखा. संसद भवन परिसर में एक रक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया. पांच बंदूकधारी आतंकवादियों ने 13 दिसंबर 2001 में संसद भवन परिसर में घुस कर अंधाधुंध गोलीबारी की थी जिसमें नौ व्यक्ति मारे गये थे. इन नौ व्यक्तियों में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मी, केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल की एक महिला कर्मी, संसद भवन के दो वाच एंड वार्ड कर्मी तथा एक माली शामिल थे.
कैसे और कब हुआ था आतंकी हमला
13 दिसंबर 2001 की दोपहर को विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी थी. कार्यवाही स्थगन के करीब 40 मिनट बाद हथियारबंद आतंकवादी संसद परिसर में दाखिल हुए. उस समय एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री थे. कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी और सोनिया गांधी विपक्ष की नेता के पद पर थीं. सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तो सदन से चले गये थे, लेकिन तत्कालीक गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित सैकड़ो सांसद अंदर ही मौजूद थे.
जब आतंकवादी संसद भवन परिसर में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे तब गलती से उनकी कार तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के काफिले से जा टकराई. टक्कर के बाद कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही आतंकवादी कार से बाहर निकलकर अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. आतंकवादियों की संख्या पांच थी और उनके पास एके 47 था. इस हमले में पांच पुलिसकर्मी, एक संसद का सुरक्षागार्ड और एक माली की मौत हो गयी, जबकि 22 अन्य लोग घायल हो गये थे. इस हमले में सभी सांसद और केंद्रीय मंत्री हमले के बाद पूरी तरह से सुरक्षित रहे.
सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच करीब एक घंटे तक मुठभेड़ चला. हमले की बाद जांच एजेंसियों ने अफजल गुरु, शौकत हुसैन, एसएआर गिलानी और नवजोत संधू को अभियुक्त बनाया. सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने नवजोत संधू को पांच साल सश्रम कारावास और बाकी तीनों को मौत की सजा सुनायी. बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने एसएआर गिलानी को बरी कर दिया और शौकत हुसैन की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.
मुख्य अभियुक्त अफजल गुरु की मौत की सजा पर दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया. अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया.