देवास : देश में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद होने के बाद पूरी क्षमता से नये नोटों की प्रिटिंग के लिये बैंक नोट प्रेस (बीएनपी) में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सेवायें लेने के बाद अब सेना के जवानों को भी काम में लगाया गया है.बीएनपी कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष कमल चौहान ने आज बताया, ‘‘सेना के जवानों के आने से जहां कर्मचारियों का उत्साह बढा है. वहीं अब काम की गति और बढेगी और नोटों का उत्पादन भी बढेगा.’ सेक्योरिटी प्रिटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) द्वारा संचालित बीएनपी, देवास में इससे पहले नोटों का उत्पादन बढाने के लिये सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी काम पर लगाया जा चुका है. इस ईकाई की उत्पादन क्षमता 200 लाख नग नोट प्रतिदिन छापने की है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीएनपी के 1,300 नियमित कर्मचारी और 30 सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ नये नोटों को छापने का काम किया जा रहा है. उत्पादन बढाने के लिये ग्वालियर और महू से सेना के 200 जवान भी यहां पिछले दो दिनों में पहुंच गये हैं. इनके ठहरने के व्यवस्था बीएनपी परिसर में कर्मचारियों के खाली मकानों में की गई है. भोजन आदि की व्यवस्था यहां तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की मेस में की गई है. बीएनपी में फिलहाल 150 लाख नग नोट प्रतिदिन छापे जा रहे हैं.
उन्होंने उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘अब यहां नये नोटों की छपाई बढकर ईकाई की अधिकतम क्षमता यानि 200 लाख नग नोट प्रतिदिन तक पहुंच जायेगी.’अधिकारी ने बताया कि सेना के जवानों की सहायता तकनीकी कार्यो को छोडकर अन्य कामों के लिये ली जायेगी. उनका उपयोग इंदौर विमानतल तक करंसी के परिवहन में भी किया जा सकता है. बीएनपी में फिलहाल 500 रुपये का नया नोट छापा जा रहा है.
विमुद्रीकरण की घोषणा के बाद एसपीएमसीआईएल के सीएमडी प्रवीण गर्ग बीएनपी का दो दफा दौरा कर चुके हैं.सूत्रों ने बताया कि बीएनपी प्रबंधन के साथ बैठक में गर्ग को कर्मचारियों की कमी के बारे में बताया गया. इसके बाद वर्तमान कर्मचारियों की सहायता के लिये सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी बुलाने का निर्णय लिया गया, लेकिन उसको बुलाने के बावजूद भी समस्या का पूरी तरह समाधान नहीं निकला.
इसके बाद सीएमडी ने बीएनपी में नोटों का उत्पादन बढाने के लिये सेना के जवान उपलब्ध कराने के बारे में केंद्र सरकार को पत्र लिखा. इसके बाद सेना के करीब 200 जवानों को यहां कर्मचारियों की सहायता के लिये भेजा गया है.