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दूसरी तिमाही में सेल का अब तक का सर्वाधिक विक्रय
बर्नपुर : स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड(सेल) ने मौजूदा वित्त वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही में अब तक का सर्वाधिक 36 टन का विक्रय दर्ज किया है. यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 32 प्रतिशत अधिक है. इसी के साथ सेल ने दूसरी तिमाही में ही पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले […]
बर्नपुर : स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड(सेल) ने मौजूदा वित्त वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही में अब तक का सर्वाधिक 36 टन का विक्रय दर्ज किया है. यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 32 प्रतिशत अधिक है.
इसी के साथ सेल ने दूसरी तिमाही में ही पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 31 प्रतिशत वृद्धि के साथ अब तक का सर्वाधिक 34.92 लाख टन विक्रय इस्पात का उत्पादन किया है. सेल ने वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही(अप्रैल-सितंबर 2016) के दौरान विक्रय में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी, विक्रय इस्पात उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि तथा बाजार हिस्सेदारी में 12.7 प्रतिशत सुधार दर्ज किया है. सेल प्रबंधन द्वारा इन विपरित परिस्थितियों में आवश्यकतानुसार अनुकूल बाजार रणनीति, ग्राहक और बाजार केंद्रित दृष्टिकोण तथा आधुनिकीकृत सुविधाओं से उत्पादन में तेजी लाने पर जोर देने का परिणाम सभी उत्पाद श्रेणियों की विक्रय वृद्धि रूप में सामने आया है. वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लक्ष्य पर चलते हुये सेल ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में दुगने से भी अधिक निर्यात किया है. सेल का कुल कारोबार 12431 करोड़ रुपया रहा, जो विक्रय की मात्रा में बढ़ोतरी के चलते पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 22 प्रतिशत अधिक है. सेल ने इस वित्त वर्ष की पिछली तिमाही की प्रवृति को जारी रखते हुए दूसरी तिमाही में भी 180 करोड़ रुपये का घनात्मक इबीआइडीटीए दर्ज किया है.
जबकि पिछले वर्ष की इसी इसी अवधि में इबीआइडीटीए(-) 829 करोड़ रुपये थी. सेल का वित्त वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही में कर पश्चात लाभ (-) 732 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले कर पश्चात लाभ (-) 1108 करोड़ रुपये था. वास्तविक निष्पादन में सुधार और साकारात्मक इबीआइडीटीए के बावजूद, वैश्विक कोयला मूल्य में बढ़ोतरी, उच्च ब्याज दर और नयी संपत्तियों के कैपेटलाइजेशन पर अवमूल्यन शुल्क के चलते बॉटम लाइन प्रभावित हुई है. तकनीकी आर्थिक मानकों में, दूसरी तिमाही में पिछले वर्ष की इसी अविध के मुकाबले कोक दर में तीन फीसदी, सीडीआई में 15 फीसदी और ब्लास्ट फर्नेस उत्पादकता में आठ फीसदी का सुधार दर्ज किया गया है.
इस अवसर पर सेल अध्यक्ष पीके सिंह ने कहा िक कोयला मूल्य में जारी बढ़ोत्तरी के बावजूद प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए लागत को कम करने, नई सुविधाओं को तेजी से चालू करने और मार्केटिंग में अभियान स्तर पर ज़ोर देने के जरिये एक एकीकृत रणनीति पर काम िकया जा रहा है. बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत की प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि के साथ चलते हुये, घरेलू इस्पात खपत बहुत ही तेज गति से बढ़ रही है. यह वृद्धि भारत सरकार की विकास केन्द्रित नीतियों के चलते संभव हो रही है. यह आने वाले समय में इस्पात खपत में और बढ़ोत्तरी का एक संकेत है.
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