बेनीपुर : ग्रामीण क्षेत्र में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार भले ही लाख प्रयास कर ले, पर विभागीय आला अधिकारी व शिक्षकों की उदासीनता के कारण इन विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को सरकारी मानक के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. शैक्षणिक मामले में कभी अपनी अलग पहचान रखने वाले जयानंद उच्च विद्यालय बहेड़ा को वर्षों पूर्व प्लस टू तथा फिर मॉडल विद्यालय का दर्जा मिल गया. दर्जे के अनुरूप विद्यालय से परिसर में ही करोड़ों की लागत से प्लस टू एवं मॉडल विद्यालय का भवन बनाया गया. प्लस टू में छात्रों का नामांकन व वर्ग संचालन की तो खानापूरी भी होने लगी, पर वर्षों से करोड़ों की लागत से बना कर तैयार इस मकान का शायद उक्त विद्यालय को दरकार नहीं है.
विद्यालय के नामांकित बच्चों को पूर्व के ही अति जर्जर भवन के छोटे-छोटे कमरे में बैठने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जबकि वहीं प्लस टू का नव निर्मित भवन तैयार खड़ा है. इसमें फिलहाल बिहार पुलिस के जवान का रैन बसेरा बना हुआ है. वहीं मॉडल भवन स्थानीय किसानों का खलिहान बना हुआ है. वहीं किसी कमरे में ताला झूल रहा है. विभाग व विद्यालय प्रशासन इसके प्रति उदासीन बना हुआ है.
असुरक्षित है प्लस टू का भवन
प्रधानाध्यापक चंद्रकांत यादव कहते हैं कि विगत मार्च माह में दोनों भवन विद्यालय को हस्तांतरित कर दिया गया, पर उसमें चहारदीवारी नहीं है. ऐसी परिस्थिति में वहां वर्ग संचालन करना संभव नहीं है. इस वजह से भवन खाली पड़ा है तो प्रशासन उपयोग कर रहा है. रही मॉडल विद्यालय की बात तो इस का कैसे संचालन होगा. इसका मुझे पता नहीं है. कारण यह आरएमएसए के डीपीओ के अधीन है.