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गौड़बंग विश्वविद्यालय: आठ वर्षों बाद भी रजिस्टार और कंट्रोलर का पद खाली

मालदा. गौडबंग विश्वविद्यालय की स्थापना के आठ वर्ष बाद भी स्थायी रजिस्टार और कंट्रोलर की नियुक्ति नहीं हुयी है. जिसकी वजह से विश्वविद्यालय के अध्यापक सहित विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विश्वविद्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वाइस चांसलर गोपाल चंद्र मिश्र स्वयं ही अस्थायी रजिस्टार का पद संभाल रहे […]

मालदा. गौडबंग विश्वविद्यालय की स्थापना के आठ वर्ष बाद भी स्थायी रजिस्टार और कंट्रोलर की नियुक्ति नहीं हुयी है. जिसकी वजह से विश्वविद्यालय के अध्यापक सहित विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विश्वविद्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वाइस चांसलर गोपाल चंद्र मिश्र स्वयं ही अस्थायी रजिस्टार का पद संभाल रहे हैं.

जबकि कंट्रोलर का पद आठ वर्षों से खाली पड़ा है. गौड़बंग विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर गोपाल चंद्र मिश्र ने बताया कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति के लिये शिक्षा विभाग से अनुमति की आवश्यकता होती है. गौड़बंग विश्वविद्यालय के लिये शिक्षा विभाग ने एक डिप्टी रजिस्ट्रार और एक डिप्टी कंट्रोलर के नियुक्ति की अनुमति दी है. जल्द ही इन दो पदों पर नियुक्ति की जायेगी. वाइस चांसलर ने कहा कि रजिस्ट्रार ना रहने से उन्हें ही अतिरिक्त कार्यभार संभालना पड़ता है.

उल्लेखनीय है कि गौड़बंग विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2008-09 में हुयी थी. वर्ष 2016 में इस विश्वविद्यालय को वाइस चांसलर मिला. लेकिन स्थापना के आठ वर्षों बाद भी डिप्टी कंट्रोलर और डिप्टी रजिस्ट्रार का पद खाली पड़ा है. बीते पांच दिसंबर को तृणमूल छात्र संगठन के दो गुटों के बीच हुए संघर्ष में यहां का माहौल गरमाया हुआ है. उस समय वाइस चांसलर जिले में नहीं थे. एक के बाद एक इस तरह की घटना से विश्वविद्यालय परिसर का शैक्षणिक माहौल बिगड़ रहा है.

विश्वविद्यालय प्रबंधन के शिक्षक और कर्मचारियों के एक भाग का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर में संघर्ष की लगातार घटना से पढ़ाई का माहौल नष्ठ हो गया है. प्रत्येक विश्विद्यालय में वाइस चांसलर के साथ रजिस्ट्रार व कंट्रोलर होते हैं, लेकिन गौरबंग विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार और कंट्रोलर का पद पिछले आठ वर्षों से खाली है. नियमानुसार रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति में किसी अन्य को अस्थायी रूप से उस पद पर रहना होगा. वर्ष 2014 के अक्टूबर तक श्यामसुंदर वैराग्य इस पर अस्थायी रूप से थे. उनके दूसरे विश्वविद्यालय में नौकरी मिलने के बाद से यह पद खाली है. रजिस्ट्रार के कार्यालय में वर्षों से ताला लगा हुआ है. विश्वविद्यालय मे वाइस चांसलर के रूप में पहुंचे गोपाल चंद्र मिश्र स्वयं ही इस पद को संभाल रहे हैं.

एक्जक्यूटिव काउंसिल के एक सदस्य ने बताया कि बीते मार्च महीने की 10 तारीख को काउंसिल की बैठक में विश्वविद्यालय के किसी अध्यापक को अस्थायी रूप से रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त करने का निर्णय लिया गया था. गौड़बंग इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेज अपूर्व चक्रवर्ती को अस्थायी रजिस्ट्रार के पद नियुक्त करने का प्रस्ताव भी पास किया गया. विश्वविद्यालय ने उस प्रस्ताव की अवहेलना की. इसके बाद भी काउंसिल के कई बैठक में रजिस्टार के खाली पद पर नियुक्ति का प्रसंग छेड़ा गया लेकिन प्रबंधन ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया. विश्वविद्यालय काउंसिल की बैठक में लिये गये निर्णय के कार्यकारी नहीं होने से सदस्यों में मतभेद है. उनका कहना है कि बैठक का निर्णय कार्यकारी ही नहीं हो तो बैठक की क्या आवश्यकता है.

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