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झूठ बोल रहे हैं रतन टाटा : साइरस मिस्त्री

मुंबई : टाटा संस के हटाए गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने कहा कि टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा सच नहीं बोल रहे हैं. मिस्त्री का यह बयान रतन टाटा के उस पत्र के संदर्भ में आया है जो उन्होंने शेयरधारकों को लिखा. इसके जवाब में मिस्त्री खेमे ने इसका भी खंडन किया है […]

मुंबई : टाटा संस के हटाए गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने कहा कि टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा सच नहीं बोल रहे हैं. मिस्त्री का यह बयान रतन टाटा के उस पत्र के संदर्भ में आया है जो उन्होंने शेयरधारकों को लिखा. इसके जवाब में मिस्त्री खेमे ने इसका भी खंडन किया है कि मिस्त्री को हटाने से पहले उनसे विचार विमर्श के अनेक प्रयास किये गये थे.

उल्लेखनीय है कि टाटा संस के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा ने आज समूह की कंपनियों के शेयरधारकों से कहा कि उनके निदेशक मंडल में साइरस मिस्त्री के बने रहना उनमें खलल पैदा करने वाला होगा जिसका इन कंपनियों के कामकाज पर बुरा असर पड़ सकता है.

क्‍या कहा रतन टाटा ने

टाटा संस के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा ने समूह की कंपनियों के शेयरधारकों से कहा कि उनके निदेशक मंडल में साइरस मिस्त्री के बने रहना उनमें खलल पैदा करने वाला होगा जिसका इन कंपनियों के कामकाज पर बुरा असर पड़ सकता है. रतन टाटा ने यह बात ऐसे समय में कही है जबकि समूह की छह प्रमुख कपंनियों के शेयरधारकों की असाधारण आम बैठकें होने वाली हैं जिनमें मिस्त्री को निदेशक पद से हटाने के प्रस्ताव पर फैसला किया जाएगा.

टाटा संस के चेयरमैन पद से मिस्त्री को अक्तूबर में अचानक हटा दिया गया था और उनकी जगह पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को अंतरिम चेयमैन बनाया गया है. रतन टाटा ने शेयरधारकों को लिखे पत्र में मिस्त्री को निदेशक पद से हटाने के लिए टाटा संस द्वारा लाये गये विशेष प्रस्ताव पर शेयरधारकों से समर्थन मांगा है. इसमें टाटा ने कहा है कि टाटा संस ने मिस्त्री और टाटा समूह का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता पर विश्वास खो दिया था, इसलिये उन्हें चेयरमैन के पद से हटाया गया.

उन्होंने कहा है कि टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को हटाने का फैसला इसलिये किया क्योंकि उनके साथ रिश्ते खराब होते जा रहे थे और इनको ठीक करने के प्रयासों को नजरअंदाज किया गया. रतन टाटा ने कहा है कि मिस्त्री को समूह की विभिन्न कंपनियों में निदेशक केवल इसीलिए बनाया गया था क्योंकि वे टाटा संस के चेयरमैन हैं.

उन्होंने कहा है, ‘उनके लिए सही कदम यही होता कि वे निदेशक पद से इस्तीफा दे देते. चूंकि उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है तो कंपनियों के निदेशक मंडल में मिस्त्री के बने रहने का प्रभाव खलल पैदा करने वाला होगा जिसका इन कंपनियों के कामकाज पर बुरा असर पड़ सकता है, खास कर इस लिए क्यों कि प्राथमिक प्रवर्तक टाटा संस का वह खुला विरोध कर रहे हैं.

भाषा

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