बांका : शादी विवाह के दिन आरंभ होते ही शहर में देर रात तक डीजे व पटाखे की शोर उठनी आरंभ हो गयी है. जिससे आमजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जिला प्रशासन अपनी चुप्पी साधे रहता है और कानून की धज्जीयां सरेआम उड़ती रहती है. नवंबर से ही शादी विवाह के दिन आरंभ होते ही शहर में बिहार कंट्रोल एंड प्ले ऑफ द लाउडस्पीकर एक्ट 1955 की धज्जीयां उड़ रही है. हालांकि इस धारा के तहत एक छुट आम लोगों को दी गयी है
कि अगर वह देर रात तक ध्वनी विस्तारक यंत्र का उपयोग 10 डीवी से ज्यादा आवाज में बजाना हो तो इसके लिए अनुमंडलाधिकारी से आदेश निर्गत करना होगा. लेकिन अधिकांश स्थानों पर ऐसा नहीं होता हैं. लोग आराम से ध्वनी प्रदुषण करते हैं. शहरवासियों की माने तो देर रात में ध्वनी प्रदुषण करना उनको भी अच्छा नहीं लगता है क्योंकि इस वक्त परीक्षा का समय चल रहा है और बच्चे अपनी पढ़ाई करते है. इसके अलावे भी बीमार व बूढ़े लोगों को इससे परेशानी होती है.
लेकिन उनके सामने समस्या यह है कि जिस वक्त बारात को निकलने का वक्त होता है उस वक्त शहर में नो इंट्री खत्म हो जाती है. जिसके कारण हर वक्त दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. आयोजन के दौरान विधि व्यवस्था संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या के लिए आयोजक व्यक्तिगत रुप से जिम्मेवार होते है. शहर जैसे जैसे बढ़ रहा है वैसे वैसे ध्वनी प्रदुषण बढ़ते जा रहा है. सुबह से ही सड़कों पर वाहनों की आवाज, हार्न की आवाज, शोरगुल से स्थिति लगातार बिगड़ते जा रही है. सड़कों से उत्पन्न ध्वनी प्रदुषण जांच अगर ध्वनी यंत्र से करें तो महज शिवाजी चौक पर 180 डीवी तक रहता है. यह किसी के कान को खराब करने के लिए खतरनाक है.