पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता से सीधे जानकारी हासिल करने और सुशासन को मजबूत करने के वास्ते नये विचार प्राप्त करने के लिये आज ‘लोकसंवाद’ की शुरुआत की. मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद सभाकक्ष में आज आयोजित पहले लोकसंवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2006 में उन्होंने जनता के दरबार में मुख्यमंत्री नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी. लोग अपनी शिकायत लेकर आते थे, लोगों की शिकायत को सुनते थे. विभागों के मंत्री एवं अधिकारी उपस्थित रहते थे. वे भी लोगों की शिकायतों को सुनते थे तथा उन शिकायतों के निष्पादन की चेष्टा की जाती थी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा अन्य अधिकारियों के लिये भी शिकायतों के सुनने की तिथि निर्धारित की गयी थी. लोगों की बातें सुनी जाती थीं तथा उनके समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाता था. विभिन्न स्तरों पर प्राप्त होने वाली शिकायतों को आपस में जोड़ा गया. साथ ही लोग जो शिकायत करते थे, उन्हें शिकायत में की गयी कार्रवाई की जानकारी भी दी जाती थी ताकि लोग स्वयं भी जान सके कि उनकी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गयी है.
नीतीश ने कहा कि दस वर्षों में हमने देखा कि लोगों की शिकायतों को सुना जा रहा था तथा उनके शिकायतों के समाधान की चेष्टा हो रही थी पर शिकायतों के समाधान की गारंटी नहीं थी. उन्होंने कहा कि अपने अनुभव के आधार पर हमने सोचा कि क्यों नहीं लोगों को उनके शिकायतों के समाधान का कानूनी अधिकार दिया जाये.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के लागू होने के पांच वर्ष के बाद लोक सेवा का अधिकार कानून लागू किया गया, जिसमें लोगों को 52 से 54 प्रकार की सेवायें दी जातीहैं. प्रखंड स्तर पर लोगों का विभिन्न प्रकार के प्रमाणपत्र बनाये जाते हैं.
नीतीश ने कहा कि इस कानून को लागू करने के बाद वे सेवा यात्रा पर निकलकर इस काम को देखते रहे. उन्होंने कहा कि गत 5 जून को लागू लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून से लोगों के समय और पैसे दोनों की बचत हुयी. नीतीश ने हाल में शुरू की गयी अपनी निश्चय यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि इस क्रम में वे आठ जिलों का भ्रमण कर चुके हैं. भ्रमण के दौरान लोक शिकायत निवारण केंद्रों में की जा रही कार्रवाई को देखा है.
उन्होंने कहा कि लोक शिकायत निवारण केंद्र में लोगों द्वारा की गयी शिकायत पर विभाग से संबंधित अधिकारी को तिथि निर्धारित कर बुलाया जाता है. शिकायतकर्ता एवं अधिकारी को आमने सामने बैठाकर शिकायतों का निष्पादन किया जाता है. लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को सम्मन जारी करने का अधिकार प्राप्त है.
नीतीश ने कहा कि गत 5 जून से अब तक कुल 86000 शिकायत प्राप्त हुये हैं जिसमें 67000 शिकायतों का निष्पादन कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि समस्याओं के समाधान से लोगों में लोकतांत्रिक व्यवस्था में आस्था बढ़ती है. बिहार में लोकतंत्र की जड़े गहरी हैं. लोक संवाद कार्यक्रम के आयोजन से लोकतंत्र में लोगों का विश्वास बढ़ेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक संवाद कार्यक्रम जन शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया है. यह एक अभिनव प्रयोग है. लोक संवाद कार्यक्रम जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम से एक कदम आगे है. उन्होंने कहा कि उनके मन में यह बात थी कि लोक संवाद का कार्यक्रम करेंगे, लोगों से उनकी राय जानेंगे. लोगों की राय से बिहार के विकास को रफ्तार मिलेगा. जमीन पर रहने वाले लोगों के पास बहुत से आइडिया लोगों से मिलकर ही आया है.
नीतीश ने कहा कि लोगों के पास अपने अनुभव के आधार पर प्रदेश की परिस्थिति के अनुरुप कोई सुझाव है तो दें. हम सबकी बात सुनना चाहते हैं. आपके सुझाव पर क्या राय बनती है उससे भी आपको अवगत कराया जायेगा. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम कारगर ढ़ंग से क्रियान्वित होता रहा तो यह एक उदाहरण बनेगा तथा लोग बिहार के संदर्भ में सोचने के लिय बाध्य होंगे तथा अपना सुझाव देंगे.
आज आयोजित लोक संवाद कार्यक्रम के बाद नीतीश ने मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देते हुये कहा कि लोक संवाद कार्यक्रम का आयोजन पहला दूसरा एवं तीसरे सोमवार को किया जायेगा. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में लोग अपनी राय देंगे. कोई नया आइडिया लेकर आता है तो वो भी सुनना है. लोगों की राय जानने के लिए बहुत उपर्युक्त फोरम है. इससे नयी बातों की जानकारी होगी तथा क्षेत्र में हो रहे कार्यों का फीडबैक मिलेगा. इससे राज काज और बेहतर होगा.
यह लोक संवाद कार्यक्रम जिसमें कुल 34 व्यक्तियों ने अपने अपने सुझाव दिये में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, जल संसाधन मंत्री राजीवप रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह, गन्ना उद्योग मंत्री खुर्शी उर्फ फिरोज अहमद, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, पंचायती राज मंंत्री कपिलदेव कामत, पर्यटन मंत्री अनिता देवी, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा एवं मनीष कुमार वर्मा सहित संबंधित विभागों के प्रधान सचिव एवं सचिव उपस्थित थे.