कार्रवाई. प्रभात खबर में खबर छपने के बाद डीएम ने लिया संज्ञान
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जांच टीम में महिला डॉक्टर शामिल
कार्रवाई. प्रभात खबर में खबर छपने के बाद डीएम ने लिया संज्ञान मानसी पीएचसी प्रभारी पर महिला चिकित्सक द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच के लिये गठित टीम पर सवाल उठने की खबर प्रभात खबर में प्रकाशित होने के बाद आखिरकार एक महिला चिकित्सक को टीम में शामिल कर लिया गया है. खगड़िया : आखिरकार […]
मानसी पीएचसी प्रभारी पर महिला चिकित्सक द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच के लिये गठित टीम पर सवाल उठने की खबर प्रभात खबर में प्रकाशित होने के बाद आखिरकार एक महिला चिकित्सक को टीम में शामिल कर लिया गया है.
खगड़िया : आखिरकार मानसी पीएचसी प्रकरण की जांच के लिये गठित टीम में एक महिला चिकित्सक को भी शामिल कर लिया गया. पूरा मामला मानसी पीएचसी प्रभारी डॉ मनीष कुमार पर उसी अस्पताल की महिला चिकित्सक द्वारा लगाये गये लैंगिक उत्पीड़न सहित अन्य आरोपों का है. पूरे प्रकरण की खबर प्रभात खबर में छपने के बाद सीएस ने दो पुरुष सदस्यों से लैस जांच टीम का गठन किया था. जिसके बाद सीएस के इस फैसले पर अंगुली उठनी शुरू हो गयी
. प्रभात खबर ने भी इसे प्रमुखता से उठाते हुए इससे निष्पक्ष जांच प्रभावित होने की आशंका जाहिर की थी. इसके बाद डीएम ने खबर पर संज्ञान लेते हुए सिविल सर्जन को गठित जांच टीम में एक महिला अधिकारी को भी शामिल करने का निर्देश दिया था. डीएम के निर्देश के आलोक में सदर अस्पताल की चिकित्सका डॉ ज्योत्सना को टीम में शामिल किया गया है.
बंद कमरे में क्या हो रहा था खेल
इधर, जांच के लिये पूर्व में पहुंची दो सदस्यीय टीम के बंद कमरे में आरोपी प्रभारी चिकित्सक से गुफ्तगु के खुलासा बाद आरोप लगाने वाली महिला डॉक्टर ने सिविल सर्जन कार्यालय में पहुंच कर इस मामले को जोरदार ढंग से उठाया है. कहा जाता है कि इस दौरान जांच टीम में शामिल एक चिकित्सक से महिला डॉक्टर की तीखी नोंकझोंक भी हुई. जिसके बाद बीचबचाव कर मामले को दबा दिया गया. हालांकि जांच टीम सहित स्वास्थ्य विभाग के कोई अधिकारी इस मामले में खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं. इधर, कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग के टालमटोल वाले रवैये से दाल में काला की बू आ रही है.
इस मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी भी प्राइवेट या सरकारी कार्यालय में महिला कर्मी को उत्पीड़न से बचाने के लिये 2013 में पारित कानून के तहत अब तक इस मामले को आंतरिक समिति में नहीं भेजा गया है. इधर, मानसी पीएचसी प्रभारी पर महिला चिकित्सक द्वारा इसी तरह के आरोपों की जांच के लिये आंतरिक समिति क्या कर रही है? ऐसे में सरकारी अस्पतालों में महिला कर्मियों की सुरक्षा बड़ी चुनौती बनी हुई है.
जांच टीम के एक अधिकारी से नजदीकी चर्चा का विषय
आरोप के घेरे में आये मानसी पीएचसी प्रभारी से जांच टीम में शामिल एक अधिकारी डॉ केएम प्रसाद की नजदीकी की चर्चा भी जोर-शोर है. ऐसे में जांच रिपोर्ट पर सवालिया निशान खड़ा होने की आशंका को देखते हुए डॉ केएम प्रसाद को टीम से हटा कर दूसरे अधिकारी को शामिल किये जाने का मामला तूल पकड़ सकता है.
इधर, जांच के लिये गठित टीम की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मानसी पीएचसी का दौरा करने के क्रम में ना तो आरोप लगाने वाली महिला चिकित्सक को कोई सूचना तक नहीं दी गयी. इतना ही नहीं जांच टीम का आरोपों की जांच की बजाय संबंधित महिला चिकित्सक पर शिकंजा कसने के बहाने ढूंढे जा रहे हैं. जिसकी भनक लगते ही आरोप लगाने वाली महिला चिकित्सक सिविल सर्जन कार्यालय में हंगामा कर चुकी है. हालांकि जांच टीम में शामिल चिकित्सकों ने बंद कमरे में किसी भी प्रकार की गुफ्तगु जैसे आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
डीएम के निर्देशानुसार मानसी पीएचसी प्रकरण की जांच के लिये गठित दो सदस्यीय टीम में एक महिला चिकित्सक को शामिल कर लिया गया है. टीम को जांच पूरी कर जल्द सौंपने को कहा गया है.
डॉ अरुण कुमार सिंह, सीएस.
बीते दिनों जांच के लिये दो सदस्यीय टीम मानसी पीएचसी पहुंची थी. लेकिन चुपके से बंद कमरे में प्रभारी से गुफ्तगु कर रवाना हो गयी. उन्हें इस बारे में कोई सूचना नहीं देना सहित अन्य कई तथ्य टीम की जांच प्रक्रिया सवालों के घेरे है. इसकी जानकारी उन्होंने सीएस कार्यालय में जाकर दे दी है.
महिला चिकित्सक
कभी भी समय से अस्पताल में ड्यूटी करने नहीं आने वाली महिला चिकित्सक के खिलाफ पूर्व की लापरवाही का जिक्र करते हुए रिपोर्ट भेजा गया है. ड्यूटी से गायब रहने की सुविधा देने से इनकार करने पर अब अनर्गल आरोप लगा कर बचने की कोशिश हो रही है. आरोप बेबुनियाद हैं.
डॉ मनीष कुमार, मानसी पीएचसी प्रभारी.
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