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एग्री टेक : खेती-किसानी को संवार रहे संगठन
विकसित देशों के मुकाबले भारतीय कृषि तकनीकों के इस्तेमाल से महरूम रही है. देश के ज्यादातर इलाकों में प्रति हेक्टेयर फसलाें का उत्पादन विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है़ हाल के वर्षों में आयी सस्ती और उन्नत कृषि तकनीकों ने कई फसलों की खेती को फायदे का सौदा बना दिया है़ सिक्किम सरकार ने […]
विकसित देशों के मुकाबले भारतीय कृषि तकनीकों के इस्तेमाल से महरूम रही है. देश के ज्यादातर इलाकों में प्रति हेक्टेयर फसलाें का उत्पादन विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है़ हाल के वर्षों में आयी सस्ती और उन्नत कृषि तकनीकों ने कई फसलों की खेती को फायदे का सौदा बना दिया है़ सिक्किम सरकार ने अपेक्षाकृत सस्ती व सुलभ तकनीकों के जरिये कृषि क्षेत्र को कुछ हद तक मुनाफे के कारोबार के तौर पर कायम करने में सफलता पायी है़ कुछ अनुभवी लोग अपने स्टार्टअप्स के जरिये खेती सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में व्यापक फायदे की उम्मीद जगी है. आज के आलेख में जानते हैं देशभर में संचालित कुछ ऐसे स्टार्टअप्स के बारे में, जो खेती के उन्नत तरीकों से इस क्षेत्र की तसवीर संवारने में जुटे हैं …
एमआइटीआरए
एमआइटीआरए यानी मशीन्स इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी रिसोर्स एग्रीकल्चर नामक इस स्टार्टअप की स्थापना फाइनेंस और बिजनेस डेवपलमेंट के एक्सपर्ट देवनीत बजाज ने की थी. इस फर्म ने प्रोपराइटरी एग्रीकल्चरल मशीनों का विकास किया, जो किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा कारगर साबित हुई है. इसने खेतों के लिए पूरी तरह से ऑटोमेटेड स्प्रे करने के लिए मशीनें बनायी हैं. इसका मिशन भारतीय किसानों के लिए नये और ऐसे बेहतर प्रोडक्ट तैयार करना है, जो वैश्विक स्तर की गुणवत्ता वाले हों.
स्टेलएप्स
स्टेलएप्स टेक्नोलॉजीज छोटे और मध्यम आकार के खेतों के हिसाब से डेयरी फार्म के अनुकूल निगरानी संबंधी सेवाएं मुहैया कराता है. आइआइटी मद्रास के रूरल टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटर ने इसे विकसित करने में मदद की और ऑमनीवोर कैपिटल द्वारा इसे वित्तीय मदद मुहैया करायी गयी है. यह कंपनी दूध उत्पादन की ऑटोमेटिक प्रक्रिया अपनाने के लिए ग्राहकों को कम लागत में समाधान मुहैया कराती है और इसमें बाहरी श्रमिकों पर निर्भरता कम करने के लिए चारा प्रबंधन के नये मॉड्यूल को विकसित किया. साथ ही दुग्ध उत्पादन के संदर्भ में अनेक उपयोगी चीजों को कम खर्च में मुहैया कराता है यह स्टार्टअप. इस कंपनी के संस्थापकों में आइआइटी-मद्रास और आइआइटी-खड.गपुर से पढ़ चुके छात्र शामिल हैं.
खेडूत
खेडूत एग्रो इंजीनियरिंग का गठन वर्ष 1997 में किया गया था. इसका प्रमुख मकसद कम कीमत पर किसानों को खेती के उन्नत उपकरण मुहैया कराना तय किया गया था. यह कंपनी खेती की जरूरतों के लिहाज से सभी प्रकार के उच्च गुणवत्तायुक्त बीज तैयार करने के साथ इनोवेटिव उपकरणों का निर्माण करती है. कंपनी ने पावर टिलर, मैनुअल ऑटोमेटिक सीड ड्रिल्स, जीरो टिल कम फर्टिलाइजर ड्रिल्स समेत पौधे रोपनेवाले खास प्रकार की मशीनेंविकसित की है.
स्काइमेट
स्काइमेट मौसम और खेती से संबंधित चीजों को मापनेवाली उपकरणों और तकनीकों का विकास करती है. यह फर्म मौसम की निगरानी करते हुए किसानों के लिए पूर्वानुमान जारी करती है, ताकि मौसम से जुड़े खेती के जोखिम को समझने में उन्हें आसानी हो. विविध क्षेत्रीय भाषाओं में लोगों को एंड्रॉयड एप्प के जरिये मौसम संबंधी सूचनाएं उपलब्ध कराती है.
एकोजेन साेलुशंस
सितंबर, 2009 में स्थापित की गयी इकोजेन सोलुशंस आधुनिक किस्म के स्टेट-अाॅफ-आर्ट सोलर पावर्ड प्रोडक्ट्स विकसित करती है और लोगों को मुहैया कराती है. इसके उत्पादों में सोलर पावर आधारित सिंचाई और कोल्ड स्टोरेज के उपकरण भी शामिल हैं, जो किसानों के लिए बेहद उपयोगी हैं. यह कंपनी छोटे स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर पर साेलर ऊर्जा आधारित उत्पादों से जुड़े समाधान मुहैया कराती है.
ऑमनीवोर पार्टनर्स
ऑमनीवोर पार्टनर्स एक वेंचर कैपिटल फर्म है, जो भारत के उन स्टार्टअप्स में निवेश करता है, जो खेती और खाद्यान्न से जुड़े बेहद उपयोगी तकनीकों को विकसित कर रही है. यह कंपनी इन क्षेत्रों में निवेश करती है :
– विशुद्ध खेती, बिग डाटा और आइओटी
– फार्म ऑटोमेशन – सप्लाइ चेन, खाद्य सुरक्षा और पोषण – इनोवेटिव खाद्य उत्पाद और सेवाएं – जल प्रबंधन और ग्रामीण ऊर्जा
– फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी.
ग्राहकों की चुनौतियों के समाधान में छिपी है सफलता
किसी कंपनी में नौकरी करने की बजाय युवा अपना कारोबार या स्टार्टअप शुरू करने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. स्टार्टअप की कामयाबी देख अनेक युवा जॉब छोड़ कर इस रास्ते पर निकल पड़ते हैं. देखा जा रहा है कि अच्छे आइडिया और एक अच्छी सोच के साथ स्टार्टअप की शुरुआत करने पर ज्यादातर युवाओं को कामयाबी हासिल हो रही है. जानते हैं इस संबंध में कुछ प्रमुख तथ्यों को :
– सकारात्मक नजरिया : कारोबार शुरू करने से पहले जरूरी है कि उसके प्रति सकारात्मक नजरिया रखा जाये. यदि शुरू से सकारात्मक नजरिया नहीं रखेंगे, तो यह आपके कारोबार के हित में नहीं होगा.
– सिस्टमैटिक प्लानिंग : स्टार्टअप की शुरुआत के लिए सबसे पहली जरूरी है बेहतर प्लानिंग करना. सिस्टमैटिक प्लान के जरिये मुश्किल राह को भी आसान बनाया जा सकता है. जरूरी है कि काम शुरू करने से पहले पेपर वर्क किया जाये. इससे ज्यादातर चीजों के बारे में पहले से आकलन करने में आसानी रहती है.
– चुनौतियों से निपटने की क्षमता : यदि आप इस क्षेत्र में आ रहे हैं, तो किसी अवधारणा को दिमाग में रख कर बिलकुल नहीं चलें. हमेशा इस बात का आकलन करते रहें कि आनेवाले समय में आपके उपभोक्ताओं के समक्ष किस तरह की चुनौतियां आ सकती हैं, क्याेंकि इसी के बेहतर समाधान में आपके स्टार्टअप का भविष्य छिपा है. आप अपने ग्राहकों के लिए जितनी दक्षता से चुनौतियों को समाधान कर पायेंगे, आपका कारोबार उतनी ही तेजी से आगे बढ़ेगा.
– कामयाब इनसानों से बनायें नजदीकी : आम तौर पर किसी इनसान का सामाजिक दायरा उसके विचारों को दिशा देता है. यदि आप कामयाब लोगों की संगति में हैं, तो आपकी बातें भी उसी तरहकी होंगी. ऐसे लोगों से लगातार मिलते रहना चाहिए, क्योंकि बिना बताये कम-से-कम आप इतना तो जरूर समझ सकते हैं.
– खास और इनोवेटिव आइडिया : आप जिस आइडिया के आधार पर कारोबार शुरू करना चाह रहे हैं, वह अपनेआप में स्पष्ट होने के साथ खास और इनोवेटिव होना चाहिए.
यदि इस आइडिया के आधार पर बाजार में पहले से कोई कारोबार चल रहा है, तो आपको पहले उस ओर ध्यान देना होगा कि आप अपनी ओर से उसमें क्या नया करने जा रहे हैं. इसके अलावा आपको कारोबार के कानूनी पहलुओं पर भी गौर करना होगा. कई बार बेहतर प्लानिंग होने के बाद भी कानूनी अड़चनों के कारण इसे लागू करने में समस्याआती है.
स्टार्टअप क्लास
छोटे शहरों में अच्छा व्यापार बन
सकता है रियल एस्टेट मार्केटिंग
– छोटे शहरों और कस्बों में आजकल धड़ल्ले से नये मकान बन रहे हैं. क्या इस क्षेत्र में किसी नये कॉन्सेप्ट के स्टार्टअप की गुंजाइश हो
सकती है? – धर्मेंद्र कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर
रिहाइश एक ऐसा उद्योग है, जिसमें काम की कभी कमी नहीं होती है. लेकिन नयी तकनीक के अभाव में घरों की लागत हर साल बढ़ती जाती है. वहीं दूसरी और निर्माण में नयी कंपनियां नहीं आ पातीं. इसका प्रमुख कारण इस क्षेत्र का पूंजी सघन होना है. लेकिन पिछले कुछ सालों में कुछ छोटी कंपनियों ने कम लागत में अच्छे घर बनाने की तकनीक ईजाद की है.
प्री-फेब्रिकेशन नामक इस तकनीक में सस्ती, लेकिन टिकाऊ उत्पादों के द्वारा दीवारों और छत के बड़े-बड़े ढांचे पहले से तैयार किये जाते हैं और निर्माण की जगह के पास इनको बस जोड़ दिया जाता है. इस तकनीक से निर्माण कार्य का खर्च तकरीबन 50-60 प्रतिशत तक कम हो जाता है. हालांकि, यह तकनीक अभी नयी है, लेकिन चीन और पूर्वी एशिया के देशों में लोकप्रिय हो रही है. इसकी बस एक ही खामी है कि यह ऊंची इमारतों के निर्माण में काम नहीं आता. इसके अलावा आप इंटीरियर डिजाइन, फर्निशिंग तथा रियल एस्टेट मार्केटिंग के स्टार्टअप के बारे में भी सोच सकते हैं.
सिडबी और नाबार्ड से भी मिलती है सरकारी मदद
– ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप शुरू करने के लिए बैंक से लोन हासिल करने के लिए क्या करना होगा? -सत्यनारायण कुशवाहा
बैंक लोन एक प्रक्रिया के तहत ही मिलता है, जिसके लिए आपको जमीन या गहने बैंक के पास गिरवी रखने पड़ते हैं. इसके लिए आप अपने बैंक के ब्रांच मैनेजर से बात कर सकते हैं. आप चाहें तो किसी सरकारी योजना के तहत भी लोन के लिए आवेदन दे सकते हैं, लेकिन इन योजनाओं के बारे में आपको बैंक ही बता सकते हैं. यदि आप ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ अलग काम करना चाहते हैं, तो लोन के बजाय सरकारी सहायता या इनक्यूबेटर के साथ जुड़ कर कुछ शुरुआती सहायता प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही सिडबी और नाबार्ड से भी संपर्क कर सरकारी सहायता प्राप्त कर सकते हैं.
पहले तकनीकी दक्षता हासिल करना जरूरी
– आइटी स्ट्रीम से मैं बीटेक कर चुका हूं और स्टार्टअप शुरू करना चाहता हूं. कृपया सुझाव दें कि मुझे किस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहिए़ -अभिजीत कुमार
इसके लिए तकनीकी रूप से दक्ष होना सबसे जरूरी है. संबंधित क्षेत्र में कुछ वर्ष काम करने के बाद आप सबकुछ समझने लगेंगे.
स्वच्छ हवा के जरिये शहरों कारोबार की गुंजाइश
– महानगरों में शुद्ध हवा मुश्किल से लोगों को मिल रही है. क्या कम लागत में इसका उत्पादन और कम कीमत में इसे बेचना मुमकिन हो सकता है? – नीरज कुमार, रांची
इस समस्या का हल निकालना काफी कठिन काम है. इस कारण से इस दिशा में काफी स्टार्टअप खुले हैं, जो तरह-तरह के उत्पादों से लोगों को राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं. देखते हैं किस तरीके के उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं :
(क) एयर प्यूरीफायर : एयर प्यूरीफायर एक ऐसा यंत्र है, जो आपके घर के अंदर काम करता है. यह हवा को साफ कर दोबारा से घर में फैलाता है और कीटाणुओं व पीएम 2.5 तथा पीएम 10 जैसे प्रदूषित तत्वों को भी दूर रखता है. बाजार में फिलिप्स और केंट जैसे कुछ कंपनियों ने इसे उतारा है. इसकी उत्पादन लागत ज्यादा होने के कारण इनका मूल्य भी ज्यादा है. ये आठ हजार रुपये से शुरू होकर 45 हजार रुपये तक मिलते हैं. आप इनकी डीलरशिप ले सकते हैं या इनको बाहर से आयात कर बेच सकते हैं.
(ख) सील्ड एयर : सील्ड एयर एक नया उत्पाद है, जो चीन और जापान में काफी प्रचलित हो रहा है, लेकिन भारत में अभी तक नहीं आया है. सील्ड एयर का मतलब है- एक ऐसे डब्बे में शुद्ध हवा, जिसे आप नाक के ऊपर पहन सकते हैं. इससे प्रदूषित हवा सांस के जरिये आपके शरीर के भीतर नहीं जा पाती है. चीन में यह उत्पाद 300- 400 रुपये प्रति डब्बे के हिसाब से मिलता है. यह साधारण तकनीक है. अगर आप इसका संयंत्र लगा कर कम दाम में भारत में बनाएं, तो यह काफी प्रचलित होगा.
(ग) प्रदूषण रहित मास्क : ये ऐसे मास्क होते हैं, जिनमें फिल्टर तकनीक से सांस को प्रदूषण रहित किया जाता है. इनकी लागत 250 रुपये से 1,000 रुपये तक होती है और यह ज्यादातर आयात ही किये जाते हैं. आप इस क्षेत्र में भी कुछ कर सकते हैं.
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