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चौथी बार बनायी गयी डीपीआर

परेशानी. इंतहा हो गयी डीपीआर की, नाले के निर्माण से मिलेगी राहत जलजमाव शहर की प्रमुख समस्या है. इसके निदान के लिए सीवरेज सिस्टम बनना है, लेकिन मामला डीपीआर बनने तक ही अटक जाता है. बार-बार डीपीआर बनने के बाद भी सीवरेज सिस्टम पर काम नहीं हो पा रहा है. सहरसा : शहर के लोगों […]

परेशानी. इंतहा हो गयी डीपीआर की, नाले के निर्माण से मिलेगी राहत

जलजमाव शहर की प्रमुख समस्या है. इसके निदान के लिए सीवरेज सिस्टम बनना है, लेकिन मामला डीपीआर बनने तक ही अटक जाता है. बार-बार डीपीआर बनने के बाद भी सीवरेज सिस्टम पर काम नहीं हो पा रहा है.
सहरसा : शहर के लोगों को सीवरेज सिस्टम के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है. एक ओर जहां बार-बार डीपीआर बनने के बाद भी जलजमाव की समस्या का समाधान नहीं हो पाया, वहीं बारिश के बाद डीएम के निर्देश पर पुन: डूडा द्वारा 20 करोड़ की लागत से नाला निर्माण को लेकर डीपीआर तैयार कर नगर विकास विभाग को स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है. इसके बावजूद अभी तक स्वीकृति नहीं मिलने से शहर में नाला का निर्माण शुरू नहीं किया गया है. हालांकि नप द्वारा पूर्व में भेजे गये दो करोड़ रुपये के डीपीआर पर अब काम होने की उम्मीद है. इस मद में राशि भी विभाग द्वारा आवंटित हो गयी है.
विकराल है समस्या
शहरी क्षेत्र में जलजमाव की समस्या विकराल बन गयी है. जलजमाव के कारण बारिश के दिनों में तो अधिकांश सड़कों पर चलना दूभर हो जाता है. लेकिन, बिना बरसात के भी कई ऐसी सड़कें हैं, जहां सालों भर कीचड़ जमा रहता है. नालों की सफाई पर प्रतिवर्ष लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं, लेकिन, स्थिति जस की तस बनी रहती है. शहर के कई मोहल्ले में नाला का निर्माण अब भी नहीं हो पाया है. जहां नाला है भी, वह किसी काम के लायक नहीं है.
बार-बार बनती रही डीपीआर
शहरी क्षेत्र में सीवरेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए पिछले बारह वर्ष से डीपीआर बनाने का काम चल रहा है. नगर आवास विभाग द्वारा तीसरी बार डीपीआर बनाने का निर्देश दो वर्ष पहले बिडको को दिया गया था. पांच सौ पचास करोड़ का डीपीआर भी बना, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ. ज्ञात हो कि पहली बार लघु सिंचाई विभाग को डीपीआर बनाने का जिम्मा सौंपा गया था. लेकिन, डीपीआर बनाने में विभाग फिसड्डी साबित हुआ था. दूसरी बार लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को नीतीश सरकार के पहले कार्यकाल में यह जिम्मा दिया गया. पीएचइडी के नियुक्त कंसल्टेंट ने पीपीआर (प्री प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाकर सौंपा, लेकिन डीपीआर बनने से पहले मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
सड़कों पर बहता है नाले का गंदा पानी
वर्षों पुराना होने की वजह से शहर के अधिकांश नाले या तो टूट गये हैं या फिर उसमें गाद जमा हुआ है. समुचित साफ-सफाई के अभाव में नालों का गंदा पानी कई जगहों पर सड़कों पर ही बहता है. कई जगहों पर नाला को सड़क से ऊंचा कर दिया गया है. इससे भी बरसात का और नाला का पानी निकल कर सड़क पर जमा हो जाता है.
नयी डीपीआर के प्रावधान
इस बार शहर में बारिश के दिनों में हुए जलजमाव की गंभीर समस्या के बाद डूडा द्वारा बनाये गये डीपीआर में कुछ नये प्रावधान किये गये हैं. इन प्रावधानों के पूरे होने के बाद समस्या का समाधान संभव हो सकेगा. डीपीआर के अनुसार कचहरी ढाला से गौतम नगर के पीछे होते हुए सुपर बाजार व डीबी रोड के रास्ते सरवा ढाला तक बड़ा नाला बनाये जाने की योजना है. इसके अलावा गंगजला रेलवे ढाला से पंचवटी वाया पॉलिटेक्निक तिलावे नदी तक भी नाला का निर्माण कराया जायेगा. दूसरी तरफ प्रशांत सिनेमा से रहमान चौक होते हुए विद्यापति नगर के रास्ते पॉलीिटेक्निक से तिलावे नदी तक नाला बनेगा. उक्त सभी नाला की गहराई पांच फीट रहेगी. इसके अलावा आवासीय मोहल्ले को मुख्य नाला से जोड़ने के लिए छोटे-छोटे नाला का भी निर्माण कराया जायेगा.
शहर के वार्ड नंबर 22 में सालों भर रहती है ऐसी स्थिति.
इन सड़कों पर सालों भर रहता है पानी
रहमान चौक, प्रशांत मोड़, नरियार रोड
इग्नू क्षेत्रीय कार्यालय के समीप, नया बाजार
पंचवटी, गौतम नगर
बटराहा, मीर टोला, बस्ती, विद्यापति नगर, कृष्णानगर, सराही सड़क
यहां नहीं है नाला
नया बाजार, सराही, मीर टोला, कृष्णानगर, प्रताप नगर, गौतम नगर, बस्ती, पटेल नगर, संत नगर, न्यू कॉलोनी, भारतीय नगर, बटराहा
कहते हैं अधिकारी
फिलहाल नगर परिषद के पास सिवरेज या ड्रेनेज सिस्टम के संबंध में विभाग से कोई निर्देश नहीं आया है. डीएम के निर्देश पर डूडा द्वारा डीपीआर बना नगर विकास विभाग को स्वीकृति के लिए भेजा गया है. कुछ वर्षो में सभी समस्याओं का समाधान हो जायेगा.
दिनेश राम, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, सहरसा

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