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भारत में एनजीओ पर पाबंदी को लेकर अमेरिकी संसदीय समिति करेगा सुनवाई

वाशिंगटन : भारत सरकार की ओर से एक अमेरिकी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पर लगाये गये प्रतिबंध को लेकर अमेरिका की संसदीय समिति अगले सप्ताह सुनवाई करेगी. सदन की विदेश मामलों की समिति ने सुनवाई की घोषणा ऐसे दिन की है जब कोलोराडो स्थित कंपैसन इंटरनेशनल ने भारत सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान […]

वाशिंगटन : भारत सरकार की ओर से एक अमेरिकी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पर लगाये गये प्रतिबंध को लेकर अमेरिका की संसदीय समिति अगले सप्ताह सुनवाई करेगी. सदन की विदेश मामलों की समिति ने सुनवाई की घोषणा ऐसे दिन की है जब कोलोराडो स्थित कंपैसन इंटरनेशनल ने भारत सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है. एनजीओ का आरोप है कि भारत सरकार के इस फैसले से देश में विभिन्न स्थानों पर चल रहे 500 से ज्यादा स्थानीय बाल विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहयता भेजने पर रोक लग गया है.

संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष कांगेस सदस्य एड रॉयस ने कहा, ‘भारत में बच्चों को शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करनेवाला कंपैसन इंटरनेशनल तीन सप्ताह में बंद हो सकता है. अमेरिकी कांग्रेस के अंदर भारत के सबसे अच्छे दोस्त मानेजाने वाले रॉयस ने कहा, ‘इस मुद्दे पर ध्यान देते हुए मेरी आशा है कि 1,45,000 बच्चों को सेवाओं से वंचित नहीं किया जाएगा, जिसकी उन्हें सख्त जरुरत है. और इससे दोनों देशों के बीच आपसी संबंध भी मजबूत होगा.’

समिति ने सुनवाई के लिए तीन विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है. कंपैसन के अध्यक्ष और सीईओ, सैंटियागो जिमी मेलादो ने कहा, ‘भारत में 1968 से शुरू हुए कंपैसन के मानवीय कार्यों के प्रोग्राम से ढाई लाख से ज्यादा बच्चे और उनके परिवार लाभान्वित हुए हैं.’ एनजीओ ने कहा कि हाल ही में भारत सरकार की ओर से फॉरेन कंटरीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एसीआरए) में परिवर्तन होने के कारण कंपैशन को पूरे भारत में फैले अपने 500 से ज्यादा स्थानीय बाल विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता भेजने की अनुमति नहीं है.

एनजीओ का दावा है कि इस परिवर्तन से कंपेसन के प्रोग्राम के तहत दर्ज 1,45,000 बच्चे देश भर में प्रभावित हुए हैं. नये नियम के मुताबिक कंपेसन के 580 बाल विकास केंद्रों को भारत सरकार के पास 31 अक्तूबर 2016 तक आवेदन करना था. एनजीओ के अनुसार इसके 63 सहयोगियों को एसीआरए मंजूरी नहीं मिली है. एनजीओ के अनुसार उनके जिन शेष भागीदारों को एफसीआरए मंजूरी मिली थी, वो उन्हें भी वित्तीय सहायत भेजने में असमर्थ हैं.

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