भागलपुर : व्यक्ति व समाज में तभी परिवर्तन संभव है, जब लोग शिक्षा के साथ दीक्षा लेंगे. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया, वहीं उपदेश संजय ने भी धृतराष्ट्र को सुनाया. अर्जुन का जीवन बदल गया, लेकिन धृतराष्ट्र का नहीं. अर्जुन जिस आत्मा-परमात्मा की बातें कृष्ण से सुना, अपनी इच्छा जाहिर […]
भागलपुर : व्यक्ति व समाज में तभी परिवर्तन संभव है, जब लोग शिक्षा के साथ दीक्षा लेंगे. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया, वहीं उपदेश संजय ने भी धृतराष्ट्र को सुनाया. अर्जुन का जीवन बदल गया, लेकिन धृतराष्ट्र का नहीं. अर्जुन जिस आत्मा-परमात्मा की बातें कृष्ण से सुना, अपनी इच्छा जाहिर करके उस परमात्मा का अपने ही अंदर दर्शन भी किया.
उक्त बातें बुधवार को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बूढ़ानाथ पार्क में आयोजित श्रीराम चरित मानस व गीता ज्ञान यज्ञ में स्वामी यादवेंद्रानंद ने प्रवचन करते हुए कही. इससे पहले पेंशनर समाज के जिलाध्यक्ष उमेशचंद्र चौधरी, भाजपा नेता अभय वर्मन, कपिलदेव राय, विश्वनाथ सिंह, हृदयनारायण झा, लक्ष्मीनारायण सिंह व जनार्दन प्रसाद सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया.
उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देने के साथ-साथ परमात्मा का ध्यान भी कराया. धृतराष्ट्र संजय का उपदेश सुनने तक ही सीमित रहा. साध्वी सुनीता भारती ने कहा कि हर गली, मोहल्ले, शहर व गांव में आसानी से सत्संग व प्रवचन मिल जाता है. सद्गुरु नहीं मिलते, अच्छी संगति नहीं मिलती. संत वहीं है, जो एक-दो नाम रटने के बजाय आत्मा का साक्षात्कार, परमात्मा के घट से दर्शन करा दे. ऐसी संगति मिलने पर ही लोगों के जीवन में बदलाव आ सकता है और सच्चा सुख व शांति प्राप्त कर सकता है. मौके पर नारायण झा, देवेंद्र दास, रंजीत शर्मा, मनोज, उमेश, जगतराम साह कर्णपुरी, स्वामी रघुनंदनानंद आदि उपस्थित थे.