नयी दिल्ली : देश की आर्थिक वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.3 प्रतिशत रही. जबकि यह जून की तिमाही में 7.1 फीसदी थी. हालांकि मूडीज इन्वेस्टर सर्विस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होंगी और इससे निकट भविष्य में वृद्धि कमजोर पड़ेगी. वहीं, दीर्घावधि में इससे कर राजस्व बढ़ेगा और यह तेजी से राजकोषीय मजबूती में तब्दील हो सकती है.
इससे पहले नोटबंदी के आर्थिक गतिविधियों पर फौरी असर के बीच क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इकरा (आइसीआरए) ने 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर संबंधी अपने अनुमान को 0.40 प्रतिशत घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है. एजेंसी ने हाल ही में एक बयान में कहाथा कि 2016-17 की दूसरी तिमाही में भारत के सकल मूल्य वृद्धन (जीवीए) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहेगी. पिछले साल इसी तिमाही की तुलना में यह मामूली कम होगी.