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स्वच्छता के दावे के बीच शौचालय व यूरिनल की कमी

हजारों लोग हर दिन आते हैं जिला मुख्यालय शौचालय व यूरिनल के अभाव में होती है परेशानी पूर्णिया : शहर की सूरत तेजी से बदल रही है. मॉल संस्कृति विकसित हुई है तो सिक्स लेन सड़क का भी निर्माण हो चुका है, लेकिन विकास के इस दौर के बीच जिला मुख्यालय जन सुविधाओं से वंचित […]

हजारों लोग हर दिन आते हैं जिला मुख्यालय

शौचालय व यूरिनल के अभाव में होती है परेशानी
पूर्णिया : शहर की सूरत तेजी से बदल रही है. मॉल संस्कृति विकसित हुई है तो सिक्स लेन सड़क का भी निर्माण हो चुका है, लेकिन विकास के इस दौर के बीच जिला मुख्यालय जन सुविधाओं से वंचित है. हजारों लोग हर दिन जिला मुख्यालय आते हैं, लेकिन यहां शौचालय और यूरिनल जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. ऐसे में शौच और लघु शंका की जरूरतों को खुले में पूरा करना लोगों की मजबूरी बनी हुई है. जाहिर है कि यह व्यवस्था स्वच्छता अभियान के दावे पर बड़ा सवाल है. विडंबना तो यह है कि शौचालय और यूरिनल को लेकर पिछले कई वर्षों से योजना समिति की बैठक में और नगर निगम के बैठकों में प्रस्ताव आते रहे हैं, लेकिन पहल नहीं हो सकी है.
लाखों खर्च, राहत नहीं
हालांकि वर्ष 2014-2015 में निगम द्वारा बाड़ीहाट के आंबेडकर नगर में शौचालय निर्माण किया गया. साथ ही दो चलंत शौचालय भी लाखों की लागत से खरीदी गयी थी. जन सुविधा के नाम पर जनता से वसूली गयी लाखों की राशि तो खर्च कर दी गयी, लेकिन इसका लाभ दो वर्ष गुजरने के बाद भी शहर के लोगों को नहीं मिल सका है. चलंत शौचालय महज प्रदर्शनी बना हुआ है. वहीं आंबेडकर नगर में बना नया शौचालय निर्माण के बाद चालू ही नहीं हो पाया है. हालात यह है कि कोर्ट, कचहरी, स्कूल, कॉलेज, बाजार आने वाले लोग हर रोज सड़कों के किनारे शर्मिंदा होते हैं. अजीब सी स्थिति है शहर में स्वच्छता अभियान के होर्डिंग लगे हैं. बड़े-बड़े कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, लेकिन शहर में स्वच्छता के दावों की पोल शौचालय व यूरिनल का अभाव खोल रहा है.
इन जगहों पर है जरूरत
शहर के बस टर्मिनल, आरएनसाह चौक, खीरू चौक, गिरजा चौक, लाइन बाजार, खुश्कीबाग हाट, कटिहार मोड़, गुलाबबाग जीरो माइल, मधुबनी बाजार, सिटी कालीबाड़ी चौक, चंदन नगर चौक, राम मोहनी चौक पर हर रोज हजारों लोग पहुंचते हैं. इसमें छात्र, मरीज, किसान, व्यापारी, मजदूर और दुकानदार शामिल हैं. इन जगहों पर अगर मॉडल शौचालय और यूरिनल की व्यवस्था हो तो स्वच्छता को बल और आम आदमी को राहत मिल सकती है. देखना होगा कि आखिर कब शहर में यह सुविधाएं उपलब्ध हो पाती है.
दशकों पुराने बने शौचालय हुए खंडहर
वैसे तो शहर में दो दशक पहले तकरीबन दर्जन भर शौचालय सुलभ इंटरनेशन के तहत संचालित हो रहे थे. आज जब शहर की सूरत बदली है और आबादी बढ़ी है तो महज पांच सुलभ शौचालय शहर के विभिन्न कोने में संचालित हो रहे हैं. इनमें से अधिकांश खंडहर हो चुके हैं. बमुश्किल दो शौचालय ही फिलहाल काम कर रहा है. ऐसे में यह संख्या आने वाली भीड़ के लिहाज से काफी कम पड़ रही है. खास बात यह है कि नये शौचालय का निर्माण नहीं हो रहा है, जबकि पुराने के मरम्मती की भी कवायद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है. शौचालयों का सूरते हाल यह है कि प्रमंडलीय बस पड़ाव में बना शौचालय बंद हो गया है, जहां प्रतिदिन हजारों यात्रियों का आवागमन होता है. वही पूर्णिया से गुलाबबाग के बीच महज पांच शौचालय चालू है. इसमें लखन चौक, मधुबनी हाट, हॉस्पिटल गेट, सुनौली चौक गुलाबबाग की स्थिति बदतर है. समूचे शहर में महज एक शौचालय है जिसकी स्थिति थोड़ी ठीक है, जो समाहरणालय परिसर में अवस्थित है.
कई बार आये प्रस्ताव फाइलों में हुए बंद
शहर में शौचालय और यूरिनल के निर्माण को लेकर ऐसा नहीं है कि आवाजें नहीं उठी. दो-तीन वर्षों में नगर निगम की बैठकों में कई बार प्रस्ताव लाये गये हैं. जानकारी अनुसार तकरीबन दस बार से अधिक हुई बैठकों में आये प्रस्ताव के बाद 2014-15 में निगम द्वारा यूरिनल और शौचालय के निर्माण के लिए सर्वे भी कराया गया था. इतना ही नहीं जिला योजना समिति की बैठक में भी वर्ष 2015 में प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन विडंबना है कि ये सभी प्रस्ताव व सर्वे फाइलों में कैद होकर रह गये हैं.

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