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निगम में नक्शा पास कराना आसान नहीं दो साल में 478 आवेदन, महज 125 पास

लापरवाही. 60 दिनों में देनी होती है अंतिम रिपोर्ट, एक वर्ष से लटके हैं मामले नक्शा पास करने की प्रक्रिया को इस वर्ष अप्रैल से ऑनलाइन कर दिया गया. लेकिन, अब भी यह काफी जटिल बना हुआ है. पटना : नगर निगम से नक्शा पास करने की प्रक्रिया अब भी आसान नहीं है. नगर विकास […]

लापरवाही. 60 दिनों में देनी होती है अंतिम रिपोर्ट, एक वर्ष से लटके हैं मामले
नक्शा पास करने की प्रक्रिया को इस वर्ष अप्रैल से ऑनलाइन कर दिया गया. लेकिन, अब भी यह काफी जटिल बना हुआ है.
पटना : नगर निगम से नक्शा पास करने की प्रक्रिया अब भी आसान नहीं है. नगर विकास व आवास विभाग के तमाम निर्देशों के बावजूद निगम 60 दिनों के भीतर निर्माण का नक्शा पास करने में लापरवाही बरत रहा है. दो वर्ष की रोक के बाद बीते वर्ष के अगस्त से नक्शा पास करने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. बाद में इस वर्ष अप्रैल से इसे ऑनलाइन कर दिया गया. प्रक्रिया को सरल करने के बावजूद नक्शा आवेदन पर कार्रवाई करने की निगम की चाल काफी सुस्त है. अब स्थिति यह है कि दो वर्षों को मिला कर निगम के पास 478 आवेदन आये, लेकिन इसमें निगम ने मात्र 125 नक्शे की ही स्वीकृति दी. बीते वर्ष 25 आवेदन रद्द किये गये थे, जबकि इस वर्ष एक दर्जन आवेदन रद्द किये गये हैं. शेष आवेदन अभी निगम की प्रक्रिया में है.
ऐसे करना होता है आवेदन : अगर कोई अपने भावी निर्माण के लिए निगम से नक्शा स्वीकृत कराना चाहता है, तो उसे निगम से अनुबंधित वास्तुविदों से अपने निर्माण का नक्शा बनवाकर निगम की वेबसाइट के माध्यम से या नगर सेवा की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है. निगम ने इसके लिए करीब 75 वास्तुविदों को अनुबंधित किया है. इसके बाद निगम की ओर से जेइ व अमीन की टीम जाकर स्थल का वेरिफिकेशन करती है. इसके बाद कार्यपालक अभियंताओं की टीम नक्शा को बिल्डिंग बायलाॅज के अनुसार जांच करती है. फिर अरबन प्लानिंग के निदेशक की स्वीकृति होती है.
उसके बाद नगर आयुक्त स्तर पर नक्शा को लेकर फाइनल स्वीकृति दी जाती है. विभाग का निर्देश है कि पूरी प्रक्रिया के 60 दिनों के भीतर मामले पर निर्णय लिया जाये.
अवैध रूप से देने होते हैं पैसे : बिल्डिंग बायलाॅज 2014 के अनुसार आवेदक से अधिकतम 17 तरह के कागजातों की मांग होती है. इसे देना आम आदमी के लिए मुश्किल-सा हो जाता है. इसके बाद लोग आवेदन के साथ कई बार फोन नंबर नहीं देते. कई बार स्थल जांच करने गयी निगम की टीम को मौके पर कोई नहीं मिलता. लोग आवेदन देकर निर्माण शुरू कर देते हैं और आवेदन प्रक्रिया को फॉलो नहीं करते हैं. नाम नहीं छापने के शर्त पर निगम में अरबन प्लानिंग शाखा के कर्मी बताते हैं कि लगभग एक कठ्ठा यानी 1360 वर्ग फुट के नक्शा पास कराने के लिए जेइ, अमीन से सहायक अभियंता तक अवैध रूप से 30 हजार तक खर्च करना होता है. तभी समय पर आवेदन का निबटारा हो पाता है.
कई बार बदला है लैंड यूज : बड़े निर्माणों को पास करने के लिए निगम में कई बार लैंड यूज की स्थिति में भ्रम होती रही है. अभी कुछ दिन पहले नया मास्टर प्लान पास होने के बाद निगम की ओर से एक बार फिर शहर के क्षेत्र की स्थिति को स्पष्ट करनी पड़ी. इस कारण भी देरी होती रही है.
पटना. पटना हाइकोर्ट ने संतोषा अपार्टमेंट के सील दुकानों को उनके आवंटियों को वापस लौटाने का आदेश पटना नगर निगम को दिया है. जस्टिस ए अमानुल्लाह की कोर्ट ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की और निगम के वकील को दुकानों के सील हटाने का आदेश दिया. हाइकोर्ट ने नगर निगम से कहा कि वह नगर आयुक्त की माैजूदगी में दोबारा संतोषा अपार्टमेंट को आवंटित जमीन और उसके द्वारा कब्जे में ली गयी जगह की पैमाइश करायें. इसके लिए कोर्ट ने तीन महीना का समय मुकर्रर किया है. अादेश के 24 घंटे के भीतर निगम को अपना सील हटाना होगा.
फ्लोर को तोड़ने के दौरान दुकान की गयी थी सील : बंदर बगीचा स्थित संतोषा अपार्टमेंट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नगर निगम ने ऊपरी तीन फ्लोर को तोड़ने की कार्रवाई जुलाई में शुरू की थी. निगम के वकील ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नगर निगम ने आवंटन से अधिक दुकान की जमीन होने के कारण इसे सील कर दिया. निगम का कहना था कि संतोषा अपार्टमेंट ग्राउंड फ्लोर पर बनी दुकान को बिल्डर ने तय 330 वर्ग मीटर पर निर्माण करने के बजाय 650 वर्ग मीटर पर निर्माण कर लिया. निगम को दुकान के अवैध निर्माण को तोड़ने में समस्या हो रही थी.
दुकान गोपाल गिरी के नाम पर है. पहले उसमें नाइन टू नाइन व यो चाइना की दुकान थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दुकान मालिक ने इसे खाली करवा दिया था, लेकिन बाद में फर्नीचर की दुकान को किराये पर लगा दिया गया.
अब अागे क्या करेगा निगम नगर निगम अब दुकान की सील को हटा देगा. अवैध निर्माण की मापी कर उसकी बैरिकेडिंग करा दी जायेगी. दुकान मालिक को अपने वैध क्षेत्र में रहने की स्वीकृति होगी. दुकानदार अपने क्षेत्र में सारे काम करेंगे.
पटना. लाखों का गबन व राजस्व नुकसान पहुंचाने वाले कर संग्राहक पर अब तक नगर निगम कार्रवाई नहीं कर पाया है. प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर की आेर से जांच आदेश और नगर आयुक्त अभिषेक सिंह की ओर से जांच के लिए टीम गठित करने के बावजूद मामला ठंडे बस्ते में है. नगर आयुक्त ने एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट तैयार करने काे कहा था.
मामला कंकड़बाग के कर संग्राहक रंजन कुमार पर पीटीआर फाइल में गलत जानकारी देने और गलत कर निर्धारण करने का है. अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. नगर आयुक्त ने निगम के निगरानी पदाधिकारी नंद लाल आर्या को इस मामले की जांच की जिम्मेवारी दी थी, लेकिन पूरी नहीं हो सकी. जांच अधिकारी कार्यपालक पदाधिकारी इरफान आलम पर कागजात मुहैया नहीं कराने का आरोप लगा रहे हैं.

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