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राज्य सरकार की योजनाओं से सुधरी गांव की सेहत
पश्चिम बंगाल हेल्थ यूनिवर्सिटी के वीसी ने किया दावा ग्रामीण इलाकों में पांच नये मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल खोलने की योजना वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस ने चालू किया पैरा मेडिकल कोर्स शिव कुमार राउत कोलकाता : कहते हैं अगर नींव मजबूत हो, तो इमारत बुलंद रहती है. यह बात चिकित्सा व्यवस्था पर भी […]
पश्चिम बंगाल हेल्थ यूनिवर्सिटी के वीसी ने किया दावा
ग्रामीण इलाकों में पांच नये मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल खोलने की योजना
वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस ने चालू किया पैरा मेडिकल कोर्स
शिव कुमार राउत
कोलकाता : कहते हैं अगर नींव मजबूत हो, तो इमारत बुलंद रहती है. यह बात चिकित्सा व्यवस्था पर भी लागू होती है. ग्रामीण इलाकों की चिकित्सा व्यवस्था बेहतर बनाने की पहल हो, तो शहर व महानगर में भी चिकित्सा व्यवस्था को और मजबूती मिलेगी. गांव के लोगों की सेहत के लिए राज्य सरकार ने कई स्वास्थ्य योजनाओं को चालू किया है.
गांव के लोगों को बेहतर चिकित्सा मिले, इसके लिए सरकार ने राज्य में अब तक लगभग 41 मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल चालू किये हैं. विभिन्न जिला अस्पतालों में विभिन्न विषयों पर डिप्लोमेड नेशनल बोर्ड (डीएनबी) कोर्स शुरू किये गये हैं. अब स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए विशेष ‘पैरा मेडिकल व एलाइड हेल्थ केयर कोर्स’ चालू किया गया है.
पांच नये मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ग्रामीण इलाकों में खोलने की योजना है. यदि योजना सफल रहती है, तो गांव की सेहत और सुधरेगी. पश्चिम बंगाल हेल्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो डॉ भवतोष विश्वास ने यह दावा किया है. उन्होंने राज्य के ग्रामीण इलाकों की चिकित्सा सेवा के मसले पर प्रभात खबर को कई महत्वपूर्ण जानकारी दी.
बदल रही है सोच
मेडिकल साइंस की सफलताओं ने जहां एक ओर कई असाध्य बीमारियों का इलाज संभव कर दिखाया है, वहीं दूसरी ओर कई ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा सहज रूप से सुलभ नहीं है. सुविधाओं के अभाव में उच्च प्रशिक्षित डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में जाना पसंद नहीं करते हैं.
पूरे देश की स्थिति लगभग समान है, लेकिन पश्चिम बंगाल की बाते करें, तो सोच में बदलाव आ रहा है. ऐसा मौजूदा सरकार द्वारा स्वास्थ्य परिसेवाओं में सुधार की योजना लाने के बाद संभव हो पाया है. गांवों में बेहतर चिकित्सा परिसेवा मुहैया कराने पर राज्य सरकार विशेष जोर दे रही है. पर्याप्त सुविधाओं के कारण चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों का सोच बदल रहा है.
मास्टर इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन व एमएससी इन न्यूट्रेशन आज से शुरू
वेस्ट बंगाल हेल्थ यूनिवर्सिटी में सोमवार से दो विषयों पर कोर्स चालू किया जा रहा है. मास्टर इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन व एमएससी इन न्यूट्रेशन कोर्स को चालू किया जा रहा है. हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में लगभग 40 व न्यूट्रेशन में 20 सीटों के साथ कोर्स को चालू किया जा रहा है.
अस्पतालों में दक्ष टेक्निशियन की काफी जरूरत : हेल्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ भवतोष विश्वास ने बताया कि किसी भी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल को चलाने के लिए दक्ष टेक्निशियन की जरूरत पड़ती है.
टेक्निशियन के बैगर ओटी लेब्रोटरी तथा क्रिटिकल केयर जैसे अन्य विभाग को चलाना संभव नहीं है. ऐसे में टेक्निशियन कोर्स शुरू किये जाने से राज्य के विभिन्न जिलों में चालू किये गये मल्टी सुपर स्पेशियलिटी व मेडिकल कॉलेजों को दक्ष टेक्नीशियन मिलेंगे, वहीं युवाओं को रोजागार भी मिलेगा. उपरोक्त पाठ्यक्रम को प्राइवेट सेक्टर में कोर्स फी के तौर पर 80 से 90 हजार रुपया लिया जाता है. हम कोर्स फी के तौर पर मात्र 15 हजार रुपये ले रहे हैं.
चिकित्सा शिक्षा के प्रसार पर भी जोर
प्रो डॉ भवतोष विश्वास ने बताया कि राज्य में वर्ष 2007 में पहली बार बीएससी स्तर पर ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी, प्रफ्युसन टेक्नोलॉजी तथा क्रिटिकल केयर टेक्नोलॉजी कोर्स को चालू किया गया था. आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इन तीनों विषयों को पढ़ाने की व्यवस्था है. वहीं राम कृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान में 2009 से इन विषयों पर कोर्स चालू किया गया है. अस्पतालों के विभिन्न ऑपरेशन थिएटर (ओटी), क्रिटिकल केयर, आइसीयू, कैथ लैब इत्यादि में डॉक्टरों व नर्सों के साथ मेडिकल टेक्निशियन की जरूरत पड़ती है.
दो नवंबर को वेस्ट बंगाल हेल्थ यूनिवर्सिटी में बीएससी कोर्स के अंतर्गत बीएससी इन ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी, प्रफ्यूसन टेक्नोलॉजी, क्रिटिकल केयर टेक्नोलॉजी, बीएससी इन फिजिशियन असिस्टेंट, मेडिकल लेब्रोटरी टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम को चालू किया गया. लगभग 70 सीटों के साथ इन कोर्स को कराया जा रहा है.
वहीं ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी, इसीजी टेक्नोलॉजी, योगा एंड नेचुरोपैथी, हेल्थ केयर असिस्टेंट में सर्टिफिकेट कोर्स को चालू किया गया है. लगभग 75 सीटों के साथ इन कोर्स को चालू किया गया है. सॉल्टलेक सेक्टर वन स्थित यूनिवर्सिटी प्रांगण में इस सभी पाठ्यक्रमों के लिए कक्षाएं ली जी रही हैं. यूनिवर्सिटी में थ्योरी, जबकि विभिन्न अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में प्रैक्टिकल करवाये जायेंगे.
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