नयी दिल्ली : ऐसा समझा जाता है कि मंत्रिमंडल ने उच्च राशि के नोटों पर पाबंदी के बाद सीमा से अधिक बेहिसाब जमा राशि पर 60 प्रतिशत के करीब आयकर लगाने के लिये कानून में संशोधन पर आज रात चर्चा की. बैंकों की शून्य खाते वाले जन-धन खातों में 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर पाबंदी के दो सप्ताह के भीतर 21,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा करने की सूचना के बाद यह कदम उठाया गया है. अधिकारियों को आशंका है कि इन खातों का उपयोग कालेधन को सफेद बनाने में किया गया है.
बैठक में हुई बातचीत के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी. संसद सत्र के बीच आनन-फानन में यह बैठक बुलायी गयी थी. परंपरागत रूप से संसद सत्र के दौरान नीतिगत निर्णय के बारे में बाहर कोई जानकारी नहीं दी जाती है. सूत्रों ने कहा कि सरकार इस बात को लेकर गंभीर है कि सभी बेहिसाब धन बैंक खातों में जमा हो और उस पर कर लगे. बंद किये गये नोटों को 10 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान बैंक खातों में जमा करने की अनुमति दी गयी है.
आठ नवंबर को नोटबंदी के बाद सरकार की तरफ से विभिन्न बयान दिये गये हैं. इससे संदिग्ध जमा पर कर अधिकारियों का भय बढ़ा है. अधिकारियों ने 50 दिन की समयसीमा में निश्चित सीमा से अधिक राशि जमा किये जाने पर 30 प्रतिशत कर के साथ 200 प्रतिशत जुर्माना लगाये जाने की बात कही है. इतना ही नहीं इसके उपर कालाधन रखने वालों के खिलाफ अभियोजन भी चलाया जा सकता है.
सूत्रों ने कहा कि सरकार की संसद के मौजूदा सत्र में आयकर कानून में संशोधन लाने की योजना है ताकि कालाधन पर 45 प्रतिशत से अधिक कर लगाया जा सके. 45 प्रतिशत कर एवं जुर्माना आय घोषणा योजना के तहत घोषित कालेधन पर लगाया गया. यह योजना 30 सितंबर को समाप्त हो गयी.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.