नयी दिल्ली : 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के चलन को बंद करने के बाद देशभर के सभी आयुवर्ग, आयवर्ग और क्षेत्रों के ज्यादातर लोगों में सकारात्मक रुखदिख रहा है. ये बातें सी-वोटर के सर्वे में उभरकर सामने आयी है. सी-वोटर के सर्वे में शामिल 80 से 86 फीसदी लोगों का यह मानना है कि कालेधन के खिलाफ किये गये नोटबंदी में वह किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने को तैयार हैं.
भारत में अपना मुख्यालय स्थापित करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने सोमवार को देश के आधे से अधिक संसदीय क्षेत्रों में एक सर्वे किया था, जिसमें यह तथ्य निकलकर सामने आया. सर्वे के अनुसार, देश में कुछ लोगों को छोड़कर ज्यादातर लोग देश में नोटबंदी का समर्थन कर रहे हैं. इस मामले में जब अलग-अलग आयवर्ग, क्षेत्रों के निवासी और विभिन्न आयुवर्ग के लोगों से बात की गयी, तो नोटबंदी के समर्थन करने वालों की संख्या में इजाफा ही हुआ.
कालेधन के आगे परेशानी कुछ भी नहीं
सी-वोटर के सर्वे में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों के करीब 86 फीसदी लोगों ने कहा कि नोटबंदी के बाद होने वाली असुविधा कालेधन के आगे कुछ भी नहीं है. वहीं, अर्द्ध-शहरी इलाकों के 80.6 फीसदी लोगों ने इसका समर्थन किया. चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि विभिन्न क्षेत्रों के उच्च आयवर्ग के करीब 90.6 फीसदी लोगों ने नोटबंदी के समर्थन किया है. इसके अलावा, निम्न आयवर्ग के लोगों में नोटबंदी को लेकर कहीं 25, 25-45, 45-60 और 60 फीसदी से अधिक 83 फीसदी तक ने अपना समर्थन व्यक्त किया है. नोटबंदी को लेकर इस बात को लेकर भी व्यापक समर्थन मिल रहा है कि नोटबंदी एक अच्छा कदम है और यह अच्छी तरह से क्रियान्वित किया गया है. सर्वे में कहा गया है कि देश के शहरी क्षेत्रों में करीब 71 फीसदी, अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में करीब 65.1 फीसदी और करीब 59.4 फीसदी ग्रामीण इलाकों के लोग सरकार की नोटबंदी नोटबंदी के समर्थन में अपनी सकारात्मक भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं.
कुछ लोग विपक्ष के आरोप को मानते हैं सही
सर्वे में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि देश के करीब 23.8 फीसदी शहरी, 24.3 फीसदी अर्द्ध-शहरी और करीब 36 फीसदी ग्रामीण इलाकों के लोग नोटबंदी पर विपक्षी दलों के आरोप को सही मानते हैं और वह यह कहते हैं कि सरकार का यह कदम अच्छा है, लेकिन इसे लागू करने के लिए सही तरीके से इंतजाम नहीं किये गये. वहीं, सर्वे में पूछे गये सवालों के जवाब में शहरी क्षेत्र के करीब 38 फीसदी, अर्द्ध-शहरी इलाकों में 35.5 फीसदी और ग्रामीण इलाके के करीब 36.8 फीसदी लोगों ने यह माना कि अभी जो समस्या उत्पन्न हुई है, वह ज्यादा बड़ी नहीं है. उससे निबटा जा सकता है.
12.6 फीसदी मानते हैं थोपी गयी आपदा
500 और 1000 रुपये की नोटबंदी से करीब 12.6 फीसदी लोगों का यह मानना है कि यह आपातकालीन आपदा है. देश के 4.4 फीसदी उच्च आयवर्ग, 12.6 फीसदी मध्यम वर्गीय और 15.1 फीसदी निम्न आयवर्ग के लोगों का यह मानना है कि यह सरकार की ओर से थोपी गयी आपदा है. सर्वे में शामिल 55 फीसदी लोगों का यह मानना है कि राजनीतिक दबाव के कारण सरकार को नोटबंदी के फैसले को वापस लेना होगा. शहरी क्षेत्र के करीब 62.6 फीसदी, अर्द्ध-शहरी क्षेत्र के 67.3 फीसदी और ग्रामीण इलाकों के करीब 54.8 फीसदी लोगों का यह मानना है कि सरकार राजनीतिक दबाव में इस फैसले को वापस लेगी.