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संचार व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए यूनिसेफ ने शुरू किया स्टार्टअप फंड

संचार व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए यूनिसेफ ने शुरू किया स्टार्टअप फंड डाटा&फैक्ट्स स्टार्टअप की शुरुआत के लिए ऑफिस स्पेस की जरूरत होती है. ज्यादातर नये स्टार्टअप महंगे इलाके में अपना ऑफिस किराये पर नहीं ले पाते. इसलिए दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में कॉमर्शियल इलाकों में ऐसे ऑफिस बनाये […]

संचार व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए
यूनिसेफ ने शुरू किया स्टार्टअप फंड
डाटा&फैक्ट्स
स्टार्टअप की शुरुआत के लिए ऑफिस स्पेस की जरूरत होती है. ज्यादातर नये स्टार्टअप महंगे इलाके में अपना ऑफिस किराये पर नहीं ले पाते. इसलिए दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में कॉमर्शियल इलाकों में ऐसे ऑफिस बनाये जा रहे हैं, जहां एक ही कार्यालय में कई स्टार्टअप काम करते हैं. इससे खर्च कम होता है. भारत में इसका चलन बढ़ रहा है.
इनोवेशन फंड के जरिये यूनिसेफ पहली बार स्टार्टअप्स को वित्तीय मदद मुहैया करायेगा. इसके तहत स्वास्थ्य, संचार और रोजमर्रा की अनेक समस्याओं से जुड़े विविध देशों के पांच स्टार्टअप को चुना गया है. ये सभी नव-उद्यम कम दरों पर मोबाइल फोन सेवाओं, बच्चों के स्वास्थ्य व कल्याण और मातृत्व संरक्षण से संबंधित कार्यों में जुटे हैं. यूनिसेफ सीड फंडिंग के रूप में स्टार्टअप्स को यह रकम देगा. साथ ही उन्हें संबंधित उन्नत तकनीकें भी मुहैया करायी जायेगी. क्या है यूनिसेफ इनोवेशन फंड और किन पांच स्टार्टअप को मिलेगी यह रकम, जानते हैं आज के आलेख में …
यूनिसेफ के इनोवेशन फंड ने चैरिटेबल संगठनों के तौर पर पहली बार स्टार्टअप्स को चुना है. यह फंड हासिल करने के लिए कुल मिला कर 650 फर्म्स ने आवेदन किया था. इस स्कीम के तहत 40 कंपनियों को फंडिंग मुहैया करायी जायेगी. दूसरे राउंड की फंडिंग के लिए आवेदन भी मंगाये जा रहे हैं. निवेश की यह रकम यूनिसेफ के इनोनेवशन फंड का हिस्सा है, जिसे फरवरी में लॉन्च किया गया था. यूनिसेफ (यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड) के इनोवेशन यूनिट के ज्वॉइंट इनचार्ज क्रिस फाबियान का कहना है कि चुनी गयी कंपनियां दुनिया की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण समस्याओं से निबटने में सक्षम होंगे. फाबियान के मुताबिक, प्रत्येक कंपनी के कार्य की इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी को ओपेन सोर्स एग्रीमेंट के तहत, जिसे यूनिसेफ अपने हिसाब से जरूरी समझेगा, फंडिंग मुहैया करायी जायेगी. इन स्टार्टअप्स को शुरू में बड़ी कठिनाई से मदद मिल पाती है. ऐसे में यह फंड इनके लिए मददगार साबित हो सकते हैं.
यूनिसेफ ऑफिस ऑफ इनोवेशन के डायरेक्टर सिंथिया मैककैफरी का कहना है, ‘यूनिसेफ इनोवेशन फंड यूनाइटेड नेशंस में एक नये प्रकार का बिजनेस है, जिसके तहत सिलिकॉन वैली वेंचर फंड के नजरिये के जुड़ाव के साथ यूनिसेफ विभिन्न देशों में जरूरतमंदों को वेंचर कैपिटल मुहैया कराता है. इसके माध्यम से बच्चों के जीवन को बेहतर बनानेवाली प्रोटोटाइप टेक्नोलॉजी साेलुशंस के अलावा ओपेन सोर्स कॉलेबोरेशन के लिए नेटवर्क का विस्तार किया जाता है.
इनोवेशन फंड के लिए चुने गये पांच खास स्टार्टअप
सेसेल (निकारागुआ) : ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहनेवालों और गरीबों के लिए यह फर्म संचार की सुविधा मुहैया कराती है. यूनिसेफ के मुताबिक, यह फर्म ग्रामीण क्षेत्रों में सेलुलर नेटवर्क का संचालन करती है और कम लागत में जीएसएम संचार सेवा मुहैया कराती है. इसमें निवेश की गयी रकम के जरिये निकारागुआ के नये इलाकों तक ज्यादा-से-ज्यादा लोगों के लिए यह सुविधा पहुंचायी जा सकेगी.
एमपावर सोशल एंटरप्राइजेज (बांग्लादेश) : यह फर्म ओपेन सोर्स रजिस्ट्री प्लेटफॉर्म के जरिये स्वास्थ्य कामगारों को टैबलेट के माध्यम से जाेड़ता है और इससे वे मातृत्व और बच्चों की देखरेख के आंकड़े एकत्रित करते हैं. इसका मकसद स्वास्थ्य कर्मियों को मदद मुहैया कराना है, ताकि वे बच्चों को उन्नत टीकाकरण की सुविधाएं उपलब्ध करा सकें. इसके अलावा यह फर्म बांग्लादेश में महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए अनेक बहुपयोगी कार्यक्रम संचालित करती है.
9नीड्स (दक्षिण अफ्रीका) : यह फर्म दक्षिण अफ्रीका में पहचान और संपर्क प्रणाली का विकास कर रही है, ताकि बच्चों के विकास के लिए चलाये जानेवाले कार्यक्रमों का रजिस्ट्रेशन किया जा सके और भरोसेमंद आंकड़े हासिल किये जा सकें. इससे इन कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जा सकता है.
इनोवेशन फॉर पॉवर्टी एलीविएशन लैब (पाकिस्तान) : पाकिस्तान स्थित इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के हिस्से के तौर पर यह संगठन इस देश में पिता बननेवाले पुरुषों को माेबाइल फोन के जरिये ऐसी पुख्ता जानकारियां मुहैया कराता है, जिससे वे मातृत्व स्वास्थ्य देखरेख के बारे में जान सकें और गर्भवती पत्नी की भरपूर सहायता कर सकें. कीपैड न्यूमेरिकल इनपुट्स के इस्तेमाल से ऐसे पुरुषों को विभिन्न प्रकार के संबंधित टिप्स, कहानियों, भोजन के व्यंजनों आदि के बारे में बताया जाता है.
चैटरबॉक्स डेटिंग मोबाइल (कंबोडिया) : यह फर्म यूनिसेफ के रैपिड प्रो प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत करते हुए यह फंडामेंटल टेक्नोलॉजी लेयर मुहैया कराती है. इसके जरिये अपेक्षाकृत कम साक्षर समुदायों में आसानी से पहुंचा जा सकता है.
स्रोत : यूनिसेफ
कन्हैया झा
आउटसोर्स से काम आसान बनाते हैं सफल उद्यमी
कामयाबी की राह
यदि आप वाकई में सफल उद्यमी बनना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि कामयाब लोग किस तरह से व्यवहार करते हैं. यदि आप उन पर लिखी गयी किताबें पढ़ेंगे, सोशल मीडिया पर आप उन्हें फोलो करेंगे और उनके साक्षात्कार देखेंगे, तो निश्चित तौर पर कामयाब इनसानों के बीच कुछ चीजें आप कॉमन पायेंगे. इसके अलावा आपको उनके कुछ अलग किस्म के आदतों के बारे में भी पता चलेगा, जो उन्हें अन्य लोगों से अलग करती हैं. यहां हम चार वैसी चीजों के बारे में जानते हैं, जिन्हें वे अलग तरीके से अंजाम देते हैं :
1. एक बार में एक काम : ज्यादातर लोग सोचते हैं कि मल्टी-टास्किंग एक प्रकार का सुपरपावर है, लेकिन वास्तविक में ऐसा नहीं है. सच्चाई यह है कि ऐसे में आप कोई भी काम परफेक्शन के साथ नहीं कर सकते. ऐसा नहीं है कि सफल लोग मल्टी-टास्किंग अपनाते हैं, क्योंकि वे हर चीज को बारी-बारी से पूरे परफेक्शन के साथ निबटाते हैं. आपकी पूरी ऊर्जा, दिमाग और फिजिकल एक्शन एक बार में एक ही काम को निबटाने में लगती है.
2. दिन के समय को ज्यादा प्राथमिकता : कितनी बार ऐसा हुआ है कि आपने एक पूरे दिन में कुछ काम निबटाने की सूची बनायी हो और उसमें असफल रहे हों? कामयाब इनसान अपने रोजाना की सूची में प्राथमिकता के आधार पर काम निबटाते हैं और इस तरह वे एक के बाद एक काम लगातार निबटाते जाते हैं. वे किसी एक काम को ही खत्म करने में अपनी पूरी ऊर्जा और समय लगाते हैं. उसके बाद ही दूसरे काम में हाथ लगाते हैं.
3. आउटसोर्स : सफल व्यक्ति यह जानते हैं कि जिस काम को वे खुद नहीं कर सकते या नहीं करना चाहते, उसे किस तरह आउटसोर्स करवाना है. वे अपना समय उन चीजों को पूरा करने में बिताते हैं, जो उन्हें पसंद है और जिससे उन्हें खुशी व संतुष्टि मिलती है. उदाहरण के तौर पर कपड़े धोने और खाना बनाने जैसे कार्यों में ज्यादा समय जाया होने के कारण अधिक आमदनी वाले ज्यादातर लोग उसे खुद करने के बजाय आउटसोर्स कराते हैं यानी उसके लिए कोई आदमी रखते हैं.
4. भरपूर नींद और स्वास्थ्य का ख्याल : कठिन परिश्रम के लिए इनसान का भरपूर नींद लेना सबसे जरूरी है. और यदि आप ऐसा महसूस करते हैं कि आपकी यह भरपूरी नींद आपके ज्यादा प्रोडक्टिव बनने की राह में रोड़ा है, तो आप गलत दिशा में जा रहे हैं. कामयाब लोग भरपूर नींद लेते हैं और अपनी सेहत का पूरा ख्याल रखते हैं, ताकि उनका रूटिन व्यवस्थित रहे. ऐसा होने पर ही उनकी उत्पादकता बरकरार रहती है.
स्टार्टअप क्लास
अनेक नये उद्यमों की
व्यापक संभावना है बिहार में
– बिहार सरकार ने हाल ही में अन्य राज्यों के उद्यमियों से नये उद्यम लगाने की गुजारिश की है़ कम लागत के साथ राज्य में किस सेक्टर में स्टार्टअप शुरू करना ज्यादा बेहतर होगा? – पल्लवी पाठक, पटना़
वैसे बिहार में सभी प्रकार के स्टार्टअप शुरू किये जा सकते हैं, लेकिन चूंकि मैं भी बिहार से आता हूं और मेरी समझ के मुताबिक सोलर, डायग्नोस्टिक, फूड प्रोसेसिंग और डिजिटल एडवरटाइजिंग से जुड़े स्टार्टअप अच्छा कर सकते हैं.
(क) सोलर : बिहार में ग्रामीण और छोटे शहर अभी भी बिजली की समस्या से जूझते हैं. सोलर तकनीक लगाने पर सरकार सब्सिडी भी देती है. अच्छी क्वालिटी के सोलर पैनल के अभाव में लागत और असुविधा बढ़ती है. बेंगलुरु और गुड़गांव में काफी सोलर स्टार्टअप खुले हैं, जो बिहार में डिस्ट्रीब्यूटर और पार्टनर ढूंढ़ रहे हैं. सोलर रूफटॉप तकनीक नयी है और तेजी से फैल रही है. इसीलिए इसमें आप डिस्ट्रीब्यूशन का काम कर सकती हैं.
(ख) डायग्नोस्टिक : बिहार में डायग्नोस्टिक सेंटर कम और महंगे हैं. इसका कारण है कि वे पुरानी तकनीक पर आधारित हैं और सिर्फ बड़े टेस्ट करते हैं. आप दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक में लगे डायग्नोस्टिक टेबल को देखें, तो पायेंगी कि ये 100 के करीब टेस्ट काफी कम खर्च में कर देते हैं. आप इस तर्ज पर छोटे शहरों और गांव में डायग्नोस्टिक का बड़ा स्टार्टअप खड़ा कर सकती हैं.
(ग) फूड प्रोसेसिंग : बिहार में मिलनेवाले फूड प्रोडक्ट्स ज्यादातर बाहर से आते हैं और महंगे भी होते हैं. बिहार के अपने व्यंजन जैसे ठेकुआ और खुरमा जैसे खान-पान को अच्छे से पैकेज करने का कोई उद्यम नहीं है. इस उद्यम में कम पैसे में काम शुरू किया जा सकता है और तेजी से फैल सकता है.
(घ) डिजिटल एडवरटाइजिंग : हर क्षेत्र को विज्ञापन की जरूरत होती है. हर कोई डिजिटल विज्ञापन देना चाहता है. बिहार में बड़ी एजेंसी नहीं हैं. इससे जुड़ा कोई काम करेंगी, तो मुनाफा होगा.
फार्मास्यूटिकल सेक्टर में रिटेल से ही करें शुरुआत
– फार्मास्यूटिकल सेक्टर में एरिस्टो व एल्केम की तरह मैं स्टार्टअप शुरू करना चाहता हूं. बेहतर तरीके से इसे कैसे शुरू किया जाए और बैंकों से वित्तीय मदद कैसे मिल पायेगी, इन सबके बारे में बताएं.
– गौतम गौरव
एल्केम और एरिस्टो दोनों ही दवा के व्यापार से शुरू कर बाद में निर्माता बने. दवा निर्माण एक खर्चीली प्रक्रिया है. इसके लिए इस सेक्टर में आपकी पकड़ मजबूत होनी चाहिए. आप दवा के रिटेल से काम शुरू करें और बाजार में अपनी पैठ मजबूत करें. ऑनलाइन डिलीवरी का काम भी फैलाएं. शुरू में 2-3 ब्रांड्स से अनुबंध कर आप ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं और बड़े डिस्ट्रीब्यूटर बन सकते हैं. एल्केम भी व्यापार से शुरू कर डिस्ट्रीब्यूशन में आया और दवा का निर्माण शुरू किया. आपको भीछोटे व्यापार से शुरू करना होगा. अगर आपके पास बड़ी पूंजी है, तो भी दवा निर्माण ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आप तुरंत नहीं कूद सकते.
इंडस्ट्रियल आरओ प्लांट
बन सकता है सफल उद्यम
– महानगरों के बाद अब छोटे शहरों और यहां तक कि गांवों में भी लोगों में स्वच्छ पेयजल के प्रति जागरूकता बढ़ी है़ ऐसे में इस सेक्टर में क्या स्टार्टअप शुरू करना बेहतर होगा़ यदि हां, तो इसका प्रारूप किस तरह रखा जाए?
– आनंद कुमार, पुपरी़
बड़े शहरों में जहां लोगों की कमाई ज्यादा है, लोग पेयजल पर पैसे खर्च करने को तैयार हैं. मैं यह नहीं कह सकता कि गांव और छोटे शहर में लोग इतने पैसे देंगे या नहीं. आपको इसके लिए रिसर्च करनी पड़ेगी. यदि आप बड़े पैमाने पर पानी साफ करनेवाले उपकरण से एक पूरे मोहल्ले या गांव को साफ पेयजल मुहैया करा सकते हैं, तो वह उद्यम सफल हो जायेगा. इसके दो कारण हैं- एक तो यह कि इसमें एक बार का ही खर्च है, जो पंचायत या मोहल्ले के लोग एक बार जोड़ कर दे सकते हैं. दूसरा यह कि सरकारी मदद से यह कम खर्च में हो जाता है. आप इंडस्ट्रियल आरओ प्लांट के बारें में सोचें. पंचायतों या मोहल्ले की समिति से बात करें. यह अच्छा उद्यम साबित हो सकता है.
आयातित पैकेजिंग मैटेरियल बन सकता है पॉलिथिन का विकल्प
– पर्यावरण प्रदूषण के कारण पॉलिथिन पर अनेक राज्यों में पाबंदी लगा दी गयी है़ इसका इस्तेमाल नहीं करने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन सस्ता विकल्प नहीं होने के कारण यह पूरी तरह से बंद नहीं हो पा रहा है़ इसका बेहतर विकल्प क्या हो सकता है और कैसे इसका कारोबार शुरू किया जा सकता है? कृपया उचित सलाह दें. – अजीत कुमार, रक्सौल़
देखिये पॉलिथिन का विकल्प तो बड़े शहरों में भी नहीं मिला है. यही कारण है कि दिल्ली जैसे शहर में पॉलिथिन पर पाबंदी और जुर्माना के बावजूद लोग खुलेआम इसका इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, चीन से कुछ ऐसे पदार्थ भी अब आने लगे हैं, जो कपड़े जैसे होते हैं और काफी सस्ते भी. इसके छोटे- छोटे बैग आजकल कम कीमत पर मिलते हैं. लेकिन इनकी कीमत पॉलिथिन से 5-6 गुना ज्यादा होती है. चीन में प्रचलित पैकेजिंग मैटेरियल पर आप थोड़ी रिसर्च करें और यह पता करें कि वहां पॉलिथिन के अलावा क्या-क्या इस्तेमाल होता है. उस मैटेरियल को आयात कर आप बेच सकते हैं.

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