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ध्यान भटकाने को उछाले जा रहे तीन तलाक व समान नागरिक संहिता के मुद्दे

मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों का आरोप कोलकाता. देश में मुसलमानों का सबसे बड़ा मंच ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आरोप लगाया है कि तीन तलाक व समान नागरिक संहिता के मामले लोगों का ध्यान भटकाने के मकसद से उछाले जा रहे हैं. बोर्ड की तीन दिवसीय 25 वीं वार्षिक बैठक के […]

मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों का आरोप
कोलकाता. देश में मुसलमानों का सबसे बड़ा मंच ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आरोप लगाया है कि तीन तलाक व समान नागरिक संहिता के मामले लोगों का ध्यान भटकाने के मकसद से उछाले जा रहे हैं. बोर्ड की तीन दिवसीय 25 वीं वार्षिक बैठक के अंतिम दिन बोर्ड सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि मोदी सरकार का यह कदम राजनीति से प्रेरित है. चुनाव में किया गया एक भी वादा पूरा नहीं कर पायी है, इसलिए लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इन मुद्दों को हवा दी जा रही है. बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी ने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले लोगों का ध्रुवीकरण करने एवं उसका राजनीतिक लाभ उठाने के लिए मोदी सरकार इन मुद्दों को उठा रही है. मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं देश के करोंड़ों मुसलमानों का यह स्पष्ट मानना है कि शरीयत कानून का मुख्य स्रोत पवित्र कुरान व हदीस है.
यह दिव्य कानून है. कोई भी व्यक्ति या प्राधिकरण शरीयत कानूनों में बदलाव नहीं कर सकता है. तीन तलाक व समान नागरिक संहिता मुद्दे नरेंद्र मोदी व भाजपा के एजेंडे में शामिल है. मोदी केवल मुसलमानों के नहीं देश के सभी आम लोगों के खिलाफ हैं. जब हमें यह पता चला कि केंद्र सरकार तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करने जा रही है, तभी हमने प्रधानमंत्री एवं उनके पांच मंत्रियों से संपर्क कर यह आवेदन किया कि वह इस मुद्दे पर बोर्ड का पक्ष जान लें, क्योंकि नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह देश के 125 करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री हैं. पर दुर्भाग्य की बात है कि सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी. यह उसकी एक सोची-समझी चाल है. विधि आयोग ने जो प्रश्नावली बनायी थी, उसमें ऐसे संवेदनशील मुद्दे के प्रति एक तरफ तो व्यवसायिकता की कमी थी, वहीं दूसरी आेर सरकार द्वारा शरीयत कानूनों में हस्तक्षेप करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की सहायता से पिछले दरवाजे द्वारा इसे लाने की बू आ रही है.
बोर्ड ने अपनी प्रश्नावली तैयार की है. तीन तलाक के समर्थन में हस्ताक्षर के लिए इसे मुसलमानों के बीच वितरित कर दिया गया है.बोर्ड की कार्यकारी सदस्य डॉ. आसमां जहरा ने कहा कि देश की लाखों मुसलिम महिलाआें ने तीन तलाक के मुद्दे पर मुसलिम पर्सन लॉ बोर्ड के मत का समर्थन किया है. केंद्र सरकार मुसलिम महिलाआें को शोषित और प्रताड़ित के रूप में पेश करने का प्रयास कर रही है, जो पूरी तरह गलत है. इसलाम में महिलाआें को अन्य धर्म के मुकाबले अधिक अधिकार दिये गये हैं. पहली बार बोर्ड ने एक महिला शाखा का गठन किया है, जो तीन तलाक जैसे ज्वलंत मुद्दों पर काम करेगी. बोर्ड ने तीन तलाक के समर्थन में एक प्रस्ताव भी पास किया है. प्रस्ताव में आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार मुसलमानों के निजी कानून में हस्तक्षेप कर रही है.
इसके साथ ही मुसलिम महिलाआें को परामर्श देने एवं पारिवारिक विवाद के हल के लिए दारूल कजा जाने के लिए प्रेरित करने के वास्ते बोर्ड ने उर्दू, अंग्रेजी व आठ क्षेत्रीय भाषाआें में एक अखिल भारतीय मुसलिम महिला हेल्पलाइन टोल फ्री कॉल सेंटर लांच करने का भी फैसला किया है

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