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सुस्त होने पर फिर बिगड़ेगी नगरपालिकाओं की रैंकिंग
पटना : राज्य नगर निकायों ने सफाई का सिस्टम अविलंब खड़ा नहीं किया तो एक बार फिर राज्य के 27 शहरों की रैंकिंग खराब हो जायेगी. फरवरी 2016 में 10 लाख की आबादी वाले देश के 73 शहरों का स्वच्छता सर्वेक्षण कराया गया था. उसमें पटना 70 वें स्थान पर था. अब जनवरी में राज्य […]
पटना : राज्य नगर निकायों ने सफाई का सिस्टम अविलंब खड़ा नहीं किया तो एक बार फिर राज्य के 27 शहरों की रैंकिंग खराब हो जायेगी. फरवरी 2016 में 10 लाख की आबादी वाले देश के 73 शहरों का स्वच्छता सर्वेक्षण कराया गया था. उसमें पटना 70 वें स्थान पर था. अब जनवरी में राज्य के 27 शहरों सहित देश के 500 शहरों का स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाना है. ये शहर एक लाख और उससे अधिक आबादी वाले शहर हैं. राज्य के शहरों में साफ-सफाई को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष अभियान चलाने का निर्देश के साथ अतिरिक्त आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा की. साथ ही यह राशि नगर निकायों को जारी भी कर दी गयी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 जुलाई, 2015 को शहरों की सफाई के लिए मुख्यमंत्री स्वच्छता अनुदान देने की घोषणा की. इसमें सालाना हर परिवार को 1200 रुपये की दर से नगर निकायों को पैसे दिये गये. इसके लिए कुल 250 करोड़ रुपये राज्य के 141 नगर निकायों को जारी किये गये. इस राशि से डोर टू डोर कचरा संग्रह, कचरा संग्रह के लिए उपकरणों की खरीद, कचरा प्रबंधन के लिए जमीन की खरीद और उसका विकास, कचरे से कंपोस्ट व बिजली बनाने की योजना तैयार करना, नालों की उड़ाही, सफाई व सुदृढ़ीकरण किया जाना और सार्वजनिक स्थलों पर सफाई की विशेष व्यवस्था करने के लिए कर्मचारियों को तैनात करना था.
एक वर्ष के लिए सभी नगर निकायों को यह राशि दी गयी थी. इसके बाद मूल्यांकन के आधार पर यह राशि जारी की जानी थी. अभी तक नगर निकायों का स्वतंत्र मूल्यांकन ही नहीं हो सका है. इसके अलावा नगर निकायों में शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार देने की घोषणा की गयी. अब यह मुख्यमंत्री निश्चय योजना में शामिल हो गया है.
इसके अलावा मुख्यमंत्री आदर्श नगर निकाय प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की गयी. यह योजना राज्य के एक नगर निगम, दो नगर परिषद और दो नगर पंचायतों को देने की घोषणा की गयी. यह राशि सफाई के मामले में सर्वश्रेष्ठ नगर निगम को एक करोड़, सर्वश्रेष्ठ दो नगर परिषद को दो-दो करोड़ और सर्वश्रेष्ठ दो नगर पंचायतों को एक-एक करोड़ दिया जाना है.
इसके लिए नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा सभी नगर निकायों से स्व निर्धारित प्रपत्र में दावेदारी की मांग की है.नगर विकास एवं आवास विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि अभी तक किसी नगर निकाय द्वारा इसके लिए दावा नहीं किया गया है.पुरस्कार की राशि का खर्च करने का अधिकार नगर निकायों के स्वविवेक से करनी है.
नगर निकायों को इसके अलावा 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा से प्राप्त राशि, पांचवें वित्त आयोग की अनुशंसा से प्राप्त राशि और निकायों द्वारा लिया गया टैक्स से भी सफाई कार्य किया जाता है.
जिन शहरों की रैंकिंग की जायेगी उसमें पटना, दानापुर निजामत, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, सहरसा, जमालपुर, बेतिया, डेहरी-डालमिया नगर, कटिहार, सासाराम, किशनगंज, औरंगाबाद, सीवान, मोतिहारी, बगहा, जहानाबाद, छपरा, दरभंगा, बिहारशरीफ, आरा, मुंगेर, बेगूसराय, बक्सर, हाजीपुर, पूर्णिया, गया और बोधगया शामिल है.
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