कृषि मेला. दूसरे दिन भी मेले की रौनक फीकी ही रही
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न स्टॉल सजा, न ही मेला में खरीदारी करने आये लोग
कृषि मेला. दूसरे दिन भी मेले की रौनक फीकी ही रही शहर में आयोजित कृषि मेले के दूसरे दिन भी मेला में सन्नाटा ही पसरा रहा. न तो यहां स्टॉल ही सजा और न ही िकसान खरीदारी को पहुंचे. पूर्णिया : कृषि विभाग की ओर से आयोजित कृषि यांत्रिकरण मेला के दूसरे दिन शनिवार को […]
शहर में आयोजित कृषि मेले के दूसरे दिन भी मेला में सन्नाटा ही पसरा रहा. न तो यहां स्टॉल ही सजा और न ही िकसान खरीदारी को पहुंचे.
पूर्णिया : कृषि विभाग की ओर से आयोजित कृषि यांत्रिकरण मेला के दूसरे दिन शनिवार को भी मेले में किसानों की संख्या इक्का-दुक्का नजर आयी. दुकानदारों के स्टॉल भी खाली रहे और कई दुकानें मेले में आयी ही नहीं. जो दुकानें आये वो खरीदारों के अभाव में किसानों की बाट जोहते रहे. कृषि मेले की स्थिति यह थी कि किसानों से अधिक कृषि विभाग के कर्मचारियों, दुकानदारों और कृषि सलाहकारों की संख्या थी. कृषि मेले में तकरीबन 40 स्टॉल बनाये गये थे.
इसमें महज 08 से 10 दुकानों में ही दुकानदारों ने कृषि यंत्र सजा कर दुकानें लगायी. इसमें भी पंप सेट, चारा मशीन, स्प्रे मशीन, पटवन पाइप तथा हार्वेस्टर मेले में मौजूद थी. स्थिति यह रही कि कृषि विभाग की ओर से तय लक्ष्य का 30 प्रतिशत भी कृषि यंत्रों की बिक्री नहीं हो पायी. हालांकि इसका कारण कृषि विभाग के अधिकारी नोटबंदी का असर बता रहे थे. लेकिन दुकानदार और किसानों की मानें तो कृषि विभाग की ओर से कृषि मेले के प्रचार-प्रसार को लेकर उदासीनता बरती गयी.
लक्ष्य 25 लाख, उपलब्धि 7.59 लाख : किसानों के कृषि मेले में नहीं पहुंच पाने के कारण कृषि विभाग का लक्ष्य काफी पीछे रह गया. मेले में 25 लाख रुपये मूल्य के यंत्रों को बेचने का लक्ष्य था, लेकिन यह 07 लाख 59 हजार तक जाकर ही ठहर गया. हालांकि इसकी वजह कृषि विभाग नोटबंदी का असर बता रहा है. लेकिन कई और कारण भी है, जिनके कारण कृषि मेले में किसानों की भीड़ अनुमान के लिहाजा नहीं जुट पायी. इसका एक कारण मेले में कई कृषि यंत्रों के दुकानों का नहीं लगना बताया जा रहा है.
कई किसानों का ऑनलाइन परमिट नहीं भरा जाना भी एक कारण बना. कृषि मेला में किसानों के नहीं पहुंच पाने का एक महत्वपूर्ण कारण प्रचार-प्रसार में कमी थी. दरअसल विभाग की ओर से बीते 08 नंवबर को कृषि मेला की घोषणा की गयी थी, जिसे निरस्त कर 18 व 19 नवंबर को कर दिया गया था. इस बीच आगामी खेती की तैयारियों में व्यस्त किसान नोटबंदी को लेकर भी बैंकों तक दौड़ते रहे. इस व्यस्तता के बीच कृषि विभाग की ओर से किसानों तक कृषि मेला और इसकी अनिवार्यता को लेकर प्रचार-प्रसार की कमी भी बड़ी वजह रही.
खाली रहा मैदान गेम खेलते रहे दुकानदार
कृषि मेले की स्थिति यह थी कि 40 स्टॉलों में महज 08 से 10 स्टॉलों पर ही पंप सेट, चारा कटिंग और पटवन पाइप, स्प्रे मशीन मौजूद था. वही किसानों की संख्या कम रहने के कारण दुकानदार भी या तो राह ताकते रहे या फिर मोबाइल में गेम खेलने में व्यस्त दिखे. हालांकि इस दौरान स्प्रे मशीनों, चारा मशीनों आदि की बिक्री भी हुई, लेकिन अनुमान से बहुत कम. कृषि मेले में दो दिनों में कुल 111 समान बिके. जिसमें सबसे अधिक पंप सेट 32 पीस और चारा कटिंग मशीन 25 पीस बिका. वहीं रिपर 01, पैडी थ्रेसर 02, पावर स्प्रेयर 17, हस्तचालित स्प्रेयर 07, सिंचाई पाइप 11 बंडल, हैरो 07 और रोटा रेटर 01 पीस कृषि मेले में बिक्री हुआ, जो पिछले कृषि मेले की तुलना में काफी कम था.
40 स्टॉलों में महज आठ से 10 स्टॉलों पर ही पंपसेट, चारा कटिंग पटवन पाइप, स्प्रे मशीन थी मौजूद
कृषि मेले में दो दिनों में कुल 111 समान बिके, सबसे अधिक पंप सेट 32 पीस, चारा कटिंग मशीन 25 पीस, रिपर 01, पैडी थ्रेसर 02, पावर स्प्रेयर 17, हस्तचालित स्प्रेयर 07, सिंचाई पाइप 11 बंडल ही िबके
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