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स्वास्थ्य महकमा से उठ रहा विश्वास

दहशत . अबतक जिले में डेंगू, मलेरिया व डायरिया से एक दर्जन लोगों की मौत पाकुड़ : जिले भर के लोगों का अब स्वास्थ्य महकमा पर विश्वास उठता जा रहा है. अब तक जिले भर में डेंगू, सेरेब्रल मलेरिया, मलेरिया व डायरिया से एक दर्जन से भी अधिक लोगों की मौत मामले ने जहां सभी […]

दहशत . अबतक जिले में डेंगू, मलेरिया व डायरिया से एक दर्जन लोगों की मौत

पाकुड़ : जिले भर के लोगों का अब स्वास्थ्य महकमा पर विश्वास उठता जा रहा है. अब तक जिले भर में डेंगू, सेरेब्रल मलेरिया, मलेरिया व डायरिया से एक दर्जन से भी अधिक लोगों की मौत मामले ने जहां सभी को हिला कर रख दिया है. वहीं गांव हो या शहरी क्षेत्र सभी लोगों के बीच दहशत का माहौल बना हुआ है. जिले भर में डेंगू से केवल अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि ब्रेन मलेरिया व मलेरिया से महज तीन दिन के भीतर पांच लोगों की मौत हो चुकी है. लगातार उपरोक्त बीमारी से लोगों की हो रही मौत मामले ने स्वास्थ्य महकमा के दावे की पोल तो खोल ही दी है. उपरोक्त मामले में जिला प्रशासन भी अब तक कोई ठोस पहल नहीं की है.
एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग जिले में डेंगू पर नियंत्रण कर लिये जाने का दावा कर रही है, वहीं जिला मुख्यालय के नगर परिषद क्षेत्र के तलवाडांगा, खदानपाड़ा, कुर्थीपाड़ा व सदर प्रखंड के रानीपुर, कुंवरपुर व संग्रामपुर गांव में अब भी डेंगू के कहर से परेशान हैं. खदानपाड़ा के कुर्थीपाड़ा में तो दर्जनों घरों में लोग वायरल फीवर व डेंगू के लक्षण से पीडि़त हैं. जानकारी के मुताबिक अब भी नगर परिषद क्षेत्र के कुर्थीपाड़ा गांव में ललिता देवी 45, विनय सेन 12, पूनम देवी 40, मोनी देवी 23 के अलावे कई लोग बीमार हैं.
लिट्टीपाड़ा प्रतिनििध के अनुसार. सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास के द्वारा लगभग 6 माह पूर्व योजना बनाओ अभियान के तहत लिट्टीपाड़ा प्रखंड के निपनिया गांव में लगाये गये चौपाल के दौरान निपनिया गांव को आदर्श गांव बनाये जाने की घोषणा की थी. घोषणा के बाद अब तक उपरोक्त गांव में न तो विकास को लेकर कोई रूप-रेखा ही तैयार किया गया है और न ही उपरोक्त गांव को आदर्श गांव बनाये जाने को लेकर कोई पहल ही की गई है. गांव में गंदगी व पेयजल की समस्या तो है ही
, बीमार पड़ने पर इलाज के लिए लोगों को काफी दूर जाना पड़ता है. उपरोक्त गांव में ब्रेन मलेरिया से दो मासूम की मौत के बाद प्रशासन की नींद टुटी है. ऐसे तो लिट्टीपाड़ा प्रखंड के अलग-अलग गांवों में अब तक चार बच्चों की मौत ब्रेन मलेरिया से हो चुकी है. जबकि आधा दर्जन लोग बीमार हैं. उपायुक्त आदेश के बाद भी अब तक उपरोक्त गांव में न तो मच्छरदानी का वितरण किया गया है और न ही किसी प्रकार की ठोस पहल ही की गई है. अब भी उपरोक्त गांव के दर्जनों लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है.

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