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मिस्त्री अपनी सुविधा मुताबिक लीक कर रहे हैं सूचनाएं : नंदा

नयी दिल्ली : टाटा समूह में जारी घमासान में पब्लिक रिलेशन कंपनी रिडीफ्यूजन वाई एंड आर के प्रमुख अरुण नंदा भी कूद गये हैं और उन्होंने चेयरमैन पद से हटाये गये साइरस मिस्त्री से कहा है कि वे अपने हिसाब से चुन कर सूचना लीक न करेंं. रिडीफ्यूजन कंपनी टाटा समूह की ओर से मीडिया […]

नयी दिल्ली : टाटा समूह में जारी घमासान में पब्लिक रिलेशन कंपनी रिडीफ्यूजन वाई एंड आर के प्रमुख अरुण नंदा भी कूद गये हैं और उन्होंने चेयरमैन पद से हटाये गये साइरस मिस्त्री से कहा है कि वे अपने हिसाब से चुन कर सूचना लीक न करेंं. रिडीफ्यूजन कंपनी टाटा समूह की ओर से मीडिया के साथ संपर्क करने का काम देखती है.

नंदा ने मिस्त्री के कार्यालय से जारी बयान में टाटा समूह के साथ अपनी कंपनी के अनुबंध के जिक्र के जवाब में नंदा सवाल किया है कि आखिर टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन ने दो साल पहले एजेंसी को बर्खास्त क्यों नहीं किया. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत उस अनुबंध को बढ़ाया गया. उन्होंने बयान में अपनी एजेंसी रिडीफ्यूजन वाई एंड आर के साथ अनुबंध के बारे में विस्तार से बताया है.

मिस्त्री के कार्यालय ने रविवार को बयान जारी कर कहा था कि उनके आने से पहले वैष्णवी कम्युनिकेशंस की जगह अरुण नंदा की रिडीफ्यूजन एडलमैन की नियुक्ति से भी खर्च 40 करोड़ रुपये से बढ़कर 60 करोड़ रुपये सालाना हो गया. नंदा ने मिस्त्री को लिखे एक खुले पत्र में कहा, ‘‘कृपया हमसे संबंधित चुनिंदा तथ्यों को अपनी सुविधा अनुसार मीडिया और लोगों के बीच सार्वजनिक नहीं करें” उनका यह पत्र सभी बड़े अखबारों में प्रकाशित हुआ है.

नंदा की कंपनी टाटा समूह की पीआर एजेंसी के रुप में 2011 में नीरा राडिया की वैष्णवी कारपारेट कम्युनिकेशंस की जगह ली थी. उन्होंने लिखा है, ‘‘हमारी साख 43 साल में बनी है और मैं किसी भी रुप में इसे खराब नहीं होने दूंगा.” नंदा ने कहा कि वैष्णवी कम्युनिकेशंस का अनुबंध 31 अक्तूबर 2011 को समाप्त होने के बाद उनकी कंपनी को टाटा समूह के जनसंपर्क कार्यों के लिये एक नवंबर 2011 को नियुक्त किया गया था.

अरुण नंदा ने कहा, ‘‘किसी भी पक्ष की तरफ से तीन साल के ‘नो एक्जिट क्लाज’ के साथ पांच साल का अनुबंध 31 अक्तूबर 2016 को समाप्त हुआ.” नंदा ने कहा कि रिडीफ्यूजन ने दुनिया की सबसे बड़ी जनसंपर्क कंपनी एडलमैन के साथ गठजोड़ किया था.

अनुबंध में टाटा संस समेत टाटा समूह की 33 कंपनियों के जनसपंर्क की बात शामिल थी. एजेंसी ने इसके लिये देश के 11 शहरों में 165 लोगों की सेवा लीं. उन्होंने लिखा है, ‘‘आप :मिस्त्री: कार्यकारी उपाध्यक्ष नियुक्त किये जाने के बाद से हमारे साथ नवंबर 2011 से काम किया. मई 2016 में आप पांच साल की मियाद के बाद भी अनुबंध आगे बढ़ाने को राजी हुए और इस बारे में मुझे और अपने ईसी सदस्य डा. मुकुन्द राजन को सूचना दी.”

नंदा ने लिखा है कि टाटा संसद के अलावा टाटा ट्रस्ट के पीआर की भी जिम्मेदारी एजेंसी के अनुबंध में शामिल की गयी और इसके लिये टाटा संस ने भुगतान किया. यह सब आपने डा. मुकुन्द राजन तथा मुझे जो निर्देश दिया, उसके अनुरुप हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘आपके :मिस्त्री: पास दो साल का समय था जब अनुबंध को जारी रखने या उसे समाप्त करने का फैसला कर सकते थे. आपने इस विकल्प को क्यों नहीं चुना और इसके बदले नवंबर 2014 के बाद भी अनुबंध को जारी रखा.

नंदा ने पूछा कि आखिर उन्होंने टाटा संस से अक्तूबर 2016 के बाद भी अनुबंध को क्यों आगे बढ़ाने को कहा. उन्होंने कहा, ‘‘कृपया हमारे बारे में अपने हिसाब से चुन कर तथ्यों को मीडिया और लोगों के समक्ष नहीं रखें.”

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