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पुराने नोट लेने से किया रेल अस्पताल ने इनकार

खगौल : पुराने बंद हुए पांच सौ व हजार के नोटों के चलते मंडल रेल अस्पताल में सेवानिवृत्त रेलकर्मी की 80 वर्षीया मां को करीब 24 घंटे तक डिसचार्ज नहीं किया गया.उन्हें अस्पताल में रोक कर रखा गया.जानकारी होने पर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद बुधवार को वृद्ध महिला को अस्पताल […]

खगौल : पुराने बंद हुए पांच सौ व हजार के नोटों के चलते मंडल रेल अस्पताल में सेवानिवृत्त रेलकर्मी की 80 वर्षीया मां को करीब 24 घंटे तक डिसचार्ज नहीं किया गया.उन्हें अस्पताल में रोक कर रखा गया.जानकारी होने पर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद बुधवार को वृद्ध महिला को अस्पताल से छोड़ा गया.
सेवानिवृत्त रेलकर्मी उमाशंकर ने बताया कि मां को इलाज के लिए 12 नवंबर को मंडल रेल अस्पताल के महिला वार्ड में भरती किया गया था. इलाज पूरा होने पर चिकित्सक ने 15 नवंबर को छुट्टी दे दी. जब इलाज के बिल के साढ़े पांच हजार रुपयों के एवज में पांच सौ व हजार के पुराने नोटों को जमा करने गया, तो नोट बंद होने का हवाला देते हुए लेने से इनकार कर दिया गया . बिल का भुगतान होने तक मां को अस्पताल में रोक लिया गया. ड्यूटी पर मौजूद नर्स व लिपिक से गुहार लगायी, पर किसी ने नहीं सुना. बुधवार को अधिकारियों ने संज्ञान में बात आने के बाद पुराने नोटों को लेकर उनकी मां को छोड़ा गया.
जानकारी के अभाव में लोगों को लौटना पड़ा
बुधवार को उंगली पर लगायी जाने के लिए स्याही नहीं आयी, तो गाड़ीखाना स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में पुराने पांच सौ व हजार रुपयों के नोट बदलने का काम रोक दिया गया. पूर्व में इस संबंध में किसी तरह की सूचना नहीं दिये जाने से नोटों को बदलने के लिए आये सैकड़ों उपभोक्ता को लौटना पड़ा.
सूचना पट्ट पर भी कोई जानकारी नहीं लगायी जाने से उपभोक्ताओं ने बताया कि बैंक में नोट नहीं बदले जाने का कारण पूछे जाने पर बैंककर्मियों ने कारण बताने की जगह कहा कि मोदी जी से जाकर पूछिये. इस संबंध में शाखा के सहायक प्रबंधक गणेश गुप्ता ने बताया कि नये निर्देशों के तहत नोट बदलवाने के लिए आनेवालों की उंगली पर स्याही लगायी जानी है, पर स्याही के नहीं आने से नोट नहीं बदले जा रहे हैं. वहीं, गाड़ीखाना स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में बुधवार को करीब साढ़े 12 बजे कैश खत्म होने से उपभोक्ताओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ी.

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