बिहार में पत्रकार की गोली मार कर हत्या की गई. मीडिया पर दबाव डालने के लिए ही पत्रकारों पर हमले होते हैं. असफल होने पर उनकी हत्या कर सच को दबाने की कोशिश होती है.
उन पर आक्रमण करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा न मिलने के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं. पत्रकारों की रक्षा के प्रश्न पर केंद्र को क्रियात्मक रूप से सोचना जरूरी है. मीडिया को देश का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन कई सालों से यह स्तंभ जानलेवा खतरे से रूबरू हो रहा है.
‘अपराधियों से हम आपकी रक्षा करेंगे’, ऐसा विश्वास पत्रकारों को दिलाना जरूरी है, ताकि वे निर्भीक हो कर देश व समाज के प्रति अभी भूमिका निभा सकें. केंद्र को ‘पत्रकार रक्षा’ के लिए कानून बनाने का प्रयास करना चाहिए. देश के पत्रकार ऐसे कानून की हमेशा मांग करते आये हैं. वह मांग कब पूरी होगी ? पत्रकारों की सुरक्षा से ही चौथा स्तंभ स्वतंत्र होकर काम कर सकेगा और विकास में अपना योगदान दे सकेगा.
जयेश राणे,मुंबई