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6 घंटे रू 88500 लेकर घूमते रहे पिता, पर नहीं दिया बेटे का शव

पटना : शहर के निजी अस्पताल पारस एचएमआरआइ हॉस्पिटल ने गुरुवार को डेंगू के एक मरीज की मौत के बाद 100-100 के नोट नहीं देने पर उसका शव देने से इनकार कर दिया. उसके परिजन 500 व 1000 के पुराने नोट (88500 रुपये) लेकर छह घंटे तक घूमते रहे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने शव नहीं […]

पटना : शहर के निजी अस्पताल पारस एचएमआरआइ हॉस्पिटल ने गुरुवार को डेंगू के एक मरीज की मौत के बाद 100-100 के नोट नहीं देने पर उसका शव देने से इनकार कर दिया. उसके परिजन 500 व 1000 के पुराने नोट (88500 रुपये) लेकर छह घंटे तक घूमते रहे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने शव नहीं सौंपा. शाम में परिजनों के हंगामे के बाद पहुंची पुलिस ने जब हस्तक्षेप किया, तब अस्पताल प्रशासन ने 500 व 1000 के पुराने नोट लेकर परिजनों को शव सौंपा.
जानकारी के अनुसार सात नवंबर की शाम पटना सिटी के सुल्तानगंज के निवासी व पेशे से हलवाई धानु मेहता को डेंगू से पीड़ित होने पर यहां भरती कराया गया. गुरुवार की दोपहर उसकी मौत हो गयी. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को एक लाख 38500 रुपये का बिल थमा दिया.
इलाज के दौरान परिजनों ने 50 हजार रुपये जमा कर चुके थे. जब परिजनों ने शव ले जाने के लिए शेष 88500 रुपये जमा करना चाहा, तो अस्पताल प्रशासन ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट लेने से इनकार कर दिया. अस्पताल प्रशासन का कहना था कि 100-100 रुपये के नोट ही जमा करें, जबकि परिजनों के पास 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट ही थे. इससे नाराज परिजनों ने कैश काउंटर में हंगामा शुरू कर दिया. इसकी सूचना पर शास्त्रीनगर थाने की पुलिस पहुंची और अस्पताल प्रबंधन से बात की और मृतक के परिजनों से 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट ही जमा करवा कर उन्हें शव दिलवाया.
मृतक के पिता ने बताया कि छोटे नोट नहीं देने पर अस्पताल प्रशासन ने शव देने से इनकार कर दिया. भाई कनैया ने आरोप लगाया कि किसी तरह हमने पैसे जुटाये. लेकिन, नोट बड़े होने के चलते जमा नहीं किये गये. पुलिस की दखल के बाद बड़े नोट जमा हुए और शव मिला. छह घंटे तक अस्पताल प्रशासन ने शव को कब्जे में रखा.
मामले की जानकारी नहीं
अभी मैं पटना से बाहर हूं. इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. आपने बताया, तो इस मामले की जानकारी लेता हूं.
डॉ अरुण गोयल, यूनिट हेड
पारस एचएमआरआइ
कैसर पीड़ित का इलाज करने से मना किया
मुंह के कैसर से पीड़ित पटना के मुसल्लाहपुर निवासी राजकुमार यादव को भी पारस एचएमआरआइ ने इलाज करने से मना कर दिया गया था. राजकुमार का बुधवार को कीमो व रेडिशएन देना था. उसके पास 500 व 1000 के नोट थे. राजकुमार ने बताया कि अस्पताल में इलाज पर अब तक दो लाख रुपये खर्च कर चुका हूं. हर सप्ताह मेरा कीमोथेरेपी की जाती है. लेकिन बुधवार को रुपये के अभाव में अस्पताल प्रशासन ने मना कर दिया.
डाकघरों में नहीं आये नोट, आठ घंटे लाइन में लगने के बाद भी नहीं मिला रुपया
पटना : डाकघरों में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों की अदला-बदली की व्यवस्था पहले दिन पूरी तरह फ्लॉप हो गयी. नये व छोटे नोट नहीं भेजे जाने के कारण राज्य के किसी भी डाकघर में नोटों की अदला-बदली नहीं हुई. राज्य के सबसे बड़े डाकघर जीपीओ व दूसरे बड़े डाकघर बांकीपुर की भी यही स्थिति थी. हद तो यह है कि सुबह आठ बजे से दिन ढलने तक लोग डाकघरों में कतार में लगे रहे, पर उन्हें कोई जानकारी भी नहीं दी गयी.
जबकि कतारबद्ध लोगों में बड़ी संख्या में महिलाएं व बुजुर्ग थे. जीपीओ में तो लोगों की कतार काउंटर से लेकर सड़क तक पहुंच गयी थी. जब जीपीओ, बांकीपुर सहित सचिवालय और किदवईपुरी स्थित डाकघरों में हंगामा हुआ, तो एकाध कर्मचारियोंने आकर लोगों को बैंक से डाकघर में नोट नहीं आने की जानकारी दी.
डाक अधिकारियों का कहना था कि बैंक के पदाधिकारियों से बात हुई थी कि बड़े डाकघरों को 10 करोड़ के नये नोट मुहैया कराये जायेंगे, लेकिन जब हम सुबह 10 करोड़ के पुराने नोट एसबीआइ की मुख्य शाखा में लेने गये, तो हमें एक करोड़ रुपये देने पर ही बैंकवाले राजी हो रहे थे.
इसके कारण काफी विवाद हुआ और हमने नोट नहीं लेने का फैसला किया. शाम साढ़े चार बजे बांकीपुर डाकघर की वार्ता हुई, तब हमने नये नोट स्वीकार किये और पांच बजे के बाद वहां पर वितरण शुरू कराया गया, जबकि जीपीओ में शाम साढ़े पांच बजे तक वितरण नहीं शुरू हो सका. किसी भी उप डाकघरों में गुरुवार को लोगों को नये व छोटे नोट नहीं दिये गये.
जीपीओ, पटना के डाक निदेशक अदनान अहमद ने कहा कि बैंकों द्वारा तय समय से नये नोट नहीं दिये जाने के कारण काउंटर नहीं शुरू हो सका. इसके कारण ग्राहकों को परेशानी हुई. शाम में साढ़े चार बजे के बाद हमें रुपये मुहैया कराये गये, जिसके बाद हमने साढ़े पांच बजे वितरण शुरू कराया. डाकघरों को रात आठ बजे तक खोलने का फैसला किया गया, यह सुविधा आज भी दी जायेगी.

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