जमशेदपुर. शहर के ख्यातिलब्ध उद्यमी, व्यवसायी व समाजसेवी चंदूलाल भालोटिया का गुरुवार को टीएमएच में इलाज के दौरान निधन हो गया. वे 76 वर्ष के थे.
उनका ब्लड प्रेशर लो हो गया था, जबकि शुगर भी कंट्रोल नहीं हो पा रहा था. उन्हें बुधवार की शाम टीएमएच के आइसीयू में भर्ती कराया गया था. गुरुवार की रात करीब साढ़े दस बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. वे अपने पीछे तीन बेटे अशोक भालोटिया, अजय भालोटिया, रमेश भालोटिया, बेटियों के अलावा नाती-पोते सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं. वे सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रह चुके थे. वे टाटानगर गौशाला के मौजूदा अध्यक्ष थे. दो दिन पहले ही 8 नवंबर को उन्होंने गौशाला के 97वें वार्षिक अधिवेशन में हिस्सा लिया था.
उनके निधन की खबर पाते ही समाज के कई लोग उनके आवास पर पहुंचे और शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया. अस्पताल व आवास पर आने वालों में मुख्य रूप से सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सुरेश सोंथालिया, सीबीएमडी के अशोक गोयल, मनोज कुमार सिंह समेत कई शामिल थे.
उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार सुबह 11 बजे उनके जुबिली पार्क समीप स्थित जुबिली रोड के दस नंबर बंगले से निकलेगी. उनके पार्थिव शरीर को बिष्टुपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिये रखा जायेगा. उसके बाद शवयात्रा जुगसलाई गोशाला होते हुए शिव घाट पहुंचेगी, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. उनके बेटे अशोक भालोटिया वर्तमान में सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष हैं.
इन संस्थानों से भी जुड़े रहे :रेडक्राॅस सोसायटी व सिंहभूम चैंबर के अध्यक्ष रहे. जुगसलाई सेवा सदन अस्पताल, मारवाड़ी सम्मेलन, राजस्थान भवन समेत कई संस्थानों से से भी जुड़े रहे.
एक राशन दुकान से खड़ी की भालोटिया ग्रुप ऑफ कंपनी
समाज में चंदूलाल भालोटिया की अलग पहचान थी. वे कर्मठ और निष्ठावान होने के साथ-साथ समाज को आगे ले जाने वाले व्यक्ति के तौर पर भी देखे जाते थे. पिता की राशन की दुकान से शुरुआत करने वाले चंदूलाल भालोटिया की स्कूली शिक्षा आरपी पटेल हाई स्कूल से हुई और उन्होंने को-ऑपरेटिव कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन की डिग्री ली. जब देश में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में इमरजेंसी लगायी गयी थी, तो बेरोजगारों को बस देने की शुरुआत की गयी. उत्कल मोटर्स ने अकेले कोल्हान क्षेत्र पर कब्जा कर रखा था. उन्होंने अपने बड़े भाई स्वर्गीय चिमनलाल भालोटिया और गजानन भालोटिया के साथ मिलकर भालोटिया इंजीनियरिंग वर्क्स की स्थापना की. इसके बाद इन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. दो मिनी बस 23 हजार रुपये में बनाकर बेचने का काम चंदूलाल भालोटिया व उनके भाइयों ने शुरू किया,जबकि उनके प्रतिस्पर्धा में खड़ी कंपनी डबल दाम में बेचा करती थी. इसके बाद देखते ही देखते चंदूलाल भालोटिया ने भालोटिया ग्रुप ऑफ कंपनी शुरू कर दी और टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, आयशर समेत तमाम कंपनियों के लिए नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में बसों की सप्लाई शुरू कर दी. जिसके बाद से वह ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में बड़ा नाम बन गये. उन्होंने भारत फोम की स्थापना की, जबकि भालोटिया बॉडी बिल्डर्स की भी शुरुआत गम्हरिया क्षेत्र में शुरू की. चंदूलाल भालोटिया के हिस्से में भालोटिया मोटर्स आया, जिसके बाद उन्होंने फिर संघर्ष शुरू किया और 1996 में भालोटिया ऑटो प्रोडक्ट की स्थापना की और उसे हर माह 3000 ब्रेक ड्रम सप्लाई करने वाली कंपनी बना दी. वे सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेते रहे और उन्होंने समाज के हर वर्ग को ऊपर उठाने का काम किया.