ऐस लग रहा था मानो आसमान के नीचे काले रंग की चादर बिछ गयी हो. रात्रि में आतिशबाजी कुछ कम हुई तो प्रदूषण का ग्राफ भी कुछ नीचे आया. लेकिन सोमवार की सुबह 3.30 से आतिशबाजी व दीये जलने के साथ प्रदूषण बढ़ने लगा. सुबह 8.30 बजे हवा में विषैले गैस पीएम 2.5 की मात्रा सबसे अधिक थी.. प्रदूषण मापक यंत्र के ग्राफ में इसकी मात्रा 466 आंकी गयी, जबकि सामान्य रूप से पीएम 2.5 की मात्रा 60 होनी चाहिए.
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19 घंटे तक पटाखों की जहरीली हवा में रही जिंदगी
मुजफ्फरपुर: शहर 20 घंटे तक जहरीली हवा की चपेट में रहा. छठ की शाम रविवार को 5.30 से लेकर सोमवार की दोपहर 1.30 बजे तक शहर की आबोहवा में जहर घुलता रहा. छठ के मौके पर शहर के अलावा नदी घाटों व पोखरों पर हुई आतिशबाजी व दीपों के जलने से पूरे 19 घंटे तक […]
मुजफ्फरपुर: शहर 20 घंटे तक जहरीली हवा की चपेट में रहा. छठ की शाम रविवार को 5.30 से लेकर सोमवार की दोपहर 1.30 बजे तक शहर की आबोहवा में जहर घुलता रहा. छठ के मौके पर शहर के अलावा नदी घाटों व पोखरों पर हुई आतिशबाजी व दीपों के जलने से पूरे 19 घंटे तक शहर में प्रदूषण का ग्राफ काफी तेज रहा. शाम के अर्घ के साथ शुरू हुई आतिशबाजी के कारण रविवार की रात्रि 12.30 तक प्रदूषण चरम पर रहा.
दाेपहर 3.30 बजे से सामान्य हुआ शहर
छठ के मौके पर पटाखे, रावण दहन व दीपों से फैला प्रदूषण सोमवार की दोपहर 3.30 बजे से सामान्य हुआ. इस मौके पर पीएम 2.5 की मात्रा 77 आंकी गयी. इससे पूर्व हवा में विषैली गैस काफी मात्रा में थी. हालांकि, रविवार की रात 12.30 बजे के बाद विषैले गैस की मात्रा वातावरण से कम होने लगी थी. इस दौरान पीएम 2.5 की मात्रा 243 थी. सुबह 4.30 बजे यह घट कर 236 तक पहुंच गया था. लेकिन सुबह के अर्घ के समय जम कर हुई आतिशबाजी ने प्रदूषण को फिर बढ़ाना शुरू कर दिया. इसका परिणाम हुआ कि सोमवार की दोपहर तक हवा में विषैली गैस घुलती रही.
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