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सूर्योपासना का केंद्र है बड़कागांव का सूर्य मंदिर
मंदिर के बगल से निकलता है गरम पानी पानी में माचिस की तिली से लगती है आग बड़कागांव : कर्णपुरा क्षेत्र के लिए लोक आस्था आैर सूर्योपासना का मुख्य केंद्र है बड़कागांव का सूर्य मंदिर. यह मंदिर बड़कागांव भाया केरेडारी टंडवा रोड स्थित हरदरा नदी तट पर स्थित है. यह मंदिर सूर्यापसना के लिए प्रसिद्ध […]
मंदिर के बगल से निकलता है गरम पानी
पानी में माचिस की तिली से लगती है आग
बड़कागांव : कर्णपुरा क्षेत्र के लिए लोक आस्था आैर सूर्योपासना का मुख्य केंद्र है बड़कागांव का सूर्य मंदिर. यह मंदिर बड़कागांव भाया केरेडारी टंडवा रोड स्थित हरदरा नदी तट पर स्थित है. यह मंदिर सूर्यापसना के लिए प्रसिद्ध है. छठ पूजा के दिन सुबह -शाम मेला लगता है. मेले में दूर -दराज के लोग पूजा- अर्चना करने आते हैं. वर्षों से मान्यता है कि जो भी हरदरा नदी में आकर छठ पूजा कर सूर्य भगवान को प्रथम व द्वितीय अर्घ्य देते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है. यहां के पुजारी जितल महतो हैं. मंदिर की स्थापना 1990 में दीनदयाल महतो, तत्कालीन प्रमुख गुरुदयाल महतो, लोकनाथ महतो, मुखिया बालकृष्ण महतो के नेतृत्व में हुई थी.
2000 में हुआ था सूर्य मंदिर का सुंदरीकरण : सूर्य मंदिर का निर्माण कुशवाहा समाज ने किया था. बताया जाता है कि पूर्व विधायक लोकनाथ महतो विधायक बनने से पूर्व भगवान सूर्य की उपासना करते थे.
विधायक बनने के बाद लोकनाथ महतो के नेतृत्व में सूर्य मंदिर का सुंदरीकरण किया गया. मंदिर निर्माण व सुंदरीकरण में शशि कुमार मेहता, प्रो कीर्तिनाथ महतो, दीनदयाल, महेंद्र महतो, रामलखन महतो, युगेश्वर प्रसाद दांगी, जयनाथ महतो, यमुना महतो, रंजीत मेहता ने मुख्य भूमिका निभायी . 2003 में गायत्री महायज्ञ करके भगवान सूर्य की प्राण प्रतिष्ठा करायी गयी थी.
पानी में लगती है आग : सूर्य मंदिर के बगल मे जमीन के अंदर से गरम पानी निकलता है. इसकी खासियत है कि यहां का गरम पानी कभी नहीं सुखता है. इस पानी का गुणवत्ता यह है कि पानी में माचिस की तिली सटाने पर आग लग जाती है. मकर संक्रांति के दिन यहां नहाने के लिए लोग आते हैं.
छठ मइयां के गीतों से भक्तिमय हो गया है इचाक : इचाक. चार दिनों तक चलनेवाला महापर्व छठ नहाय -खाय के साथ शुरू हो गया. इचाक प्रखंड के सभी गांव छठ मइयां के गीतों से भक्तिमय हो गया है.
शुक्रवार की सुबह छठव्रतियों ने सुबह नदी, तालाब व सरोवरों में स्नान कर उपासना का देवता भगवान सूर्य की अाराधना की. शनिवार को दिन भर उपवास रख रात में खरना करेंगी. पवित्रता का महान पर्व छठ की तैयारी सभी गांवों में चल रही है. बाजार में सूप, पूजा सामग्री, सभी प्रकार के फल, ईख की खरीदारी को लेकर काफी भीड़ देखी जा रही है. सेवाने नदी, सूर्य मंदिर तालाब, फुरूका नदी, डाढा नदी, कुरहा, गूंजा, चंदा, करियातपुर, मंगुरा, दरिया, बरका, खुटरा, हदारी, डुमरौन, सिझुआ, नावाडीह, कालाद्वार के अलावा सभी गांव के छठ घाटों की सफाई की गयी.
व्रतियों ने नहाय-खाय का विधान किया : बरही. बरही में छठ पर्व शुरू हो गया है़ शुक्रवार को छठव्रत का संकल्प करनेवाली महिला व्रतियों ने शुक्रवार को नहाय- खाय का विधान किया़ नदियों और तालाबों में स्नान के लिए भीड़ लगी रही़ शनिवार को खरना होगा.
पहला अर्घ्य रविवार की शाम व अंतिम अर्घ्य सोमवार को सुबह दिया जायेगा़ त्योहार को लेकर सभी व्रतियों ने छठ घाट पर अपना स्थान सुरक्षित किया. घाट को सजाया जा रहा है. छठ को लेकर बरही नदी छठ घाट सुंदर स्वच्छ बनाया गया है. रोशनी की व्यवस्था की जा रही है़
व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया : कटकमसांडी. लोक आस्था का महपर्व छठ नहाय खाय के साथ शुरू हो गया.
शुक्रवार को महापर्व के पहले दिन व्रतियों ने पवित्र नदी, सरोवरों में स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल व दूध से अर्घ्य देकर कद्दू चना दाल, अरवा चावल का प्रसाद ग्रहण किया. छठ पर्व के दूसरे दिन खरना किया जायेगा. व्रती दिन भर उपवास के बाद दूध व अरवा चावल से बनी खीर का भोग अर्पित कर प्रसाद ग्रहण करेंगे. इधर, पर्व को लेकर छठ घाटों की सफाई का कार्य हो रहा है.
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