इस्लामाबाद : जासूसी प्रकरण पर ताजा राजनयिक तनातनी के मद्देनजर भारत एवं पाकिस्तान संबंधों में ताजा तल्खी का संकेत देते हुए अपने उच्चायुक्तों को अस्थायी रूप से वापस बुला सकते हैं और एक दूसरे के मिशनो में राजनयिक स्टाफ की संख्या कम कर सकते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में आज यह बात कही गयी. ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने कहा कि तनातनी की ताजा स्थिति पिछले सप्ताह उस समय शुरू हुई जब नयी दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग के एक कर्मचारी को पुलिस ने जासूसी संबंधी आरोपों को लेकर पूछताछ के लिए हिरासत में लिया.
समाचार पत्र ने कहा कि संबंधों में इस ताजा तल्खी के मद्देनजर दोनों पड़ोसी देश अपने राजनयिक स्टाफ की संख्या कम कर सकते हैं. कथित जासूसी गतिविधि के मामले में दोनों देशों द्वारा जैसे को तैसे की कार्रवाई के तहत राजनयिक स्टाफ का नाम लेने से तनाव गहरा गया. पाकिस्तानी उच्चायोग में वीजा अधिकारी के तौर पर काम कर रहे महमूद अख्तर को बाद में भारत से निष्कासित कर दिया गया था.
समाचार पत्र ने कहा, ‘हालांकि भारत ने नयी दिल्ली की सरकार द्वारा बल प्रयोग करके अख्तर से प्राप्त किये गये बयान का इस्तेमाल करके अन्य पाकिस्तानी कर्मियों को भी फंसाया. मीडिया में ऐसे कम से कम छह अधिकारियों की पहचान लीक की गई जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गयी. इस कदम के कारण पाकिस्तान को उन्हें नयी दिल्ली से वापस बुलाना पड़ा.’
उसने कहा कि जैसे को तैसे की कार्रवाई प्रतीत होने वाले कदम के तहत पाकिस्तान ने कल दावा किया कि इस्लामाबाद में भारत के उच्चायोग में तैनात आठ अधिकारी रॉ एवं आईबी के एजेंट है. इस खुलासे के बाद नयी दिल्ली के पास इन अधिकारियों को वापस बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.
समाचार पत्र ने लिखा कि ताजा घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि नयी दिल्ली में तैनात कुछ पाकिस्तानी अधिकारियों की पहचान का खुलासा करके भारत ने एक ‘समझ’ का उल्लंघन किया है. इसमें कहा गया कि अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्ष जानते हैं कि कुछ अधिकारी गोपनीय रूप से काम करते हैं और वे पूर्ण आधिकारिक जानकारी के साथ ऐसा करते हैं. अधिकारी ने कहा, ‘भारत ने जो किया वह कल्पना से परे है.’
उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम से दोनों देशों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं. समाचार पत्र ने कहा कि अधिकारी ने कहा कि इस विवाद का तत्काल असर यह पड़ सकता है कि दोनों देश कुछ समय के लिए उच्चायुक्तों को वापस बुला लें. अधिकारी ने कहा कि एक अन्य प्रभाव यह हो सकता है कि स्थिति सामान्य होने तक एक दूसरे के देश में तैनात राजनयिक स्टाफ की संख्या को ‘कम’ कर दिया जाए.