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ब्रेक्जिट का फैसला संसद की मंजूरी के बिना लागू नहीं किया जा सकता : ब्रिटिश हाइकोर्ट

लंदन : ब्रिटेन के हाइकोर्ट ने गुरुवार को अपने एकअहम फैसले में कहा कि ब्रेक्जिट(ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से अलग होना) के फैसले को यूनाइटेड किंगडम की संसद की मंजूरी के बिना लागू नहीं किया जा सकता है. यह 23 जून के ग्रेट ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बहुमत के फैसले के […]

लंदन : ब्रिटेन के हाइकोर्ट ने गुरुवार को अपने एकअहम फैसले में कहा कि ब्रेक्जिट(ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से अलग होना) के फैसले को यूनाइटेड किंगडम की संसद की मंजूरी के बिना लागू नहीं किया जा सकता है. यह 23 जून के ग्रेट ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बहुमत के फैसले के लिए एक झटका है. हाइकोर्ट ने कहा है की टेरेसा मे सरकारबहुमत के इस फैसले केतहत लिस्बनसमझौता के आर्टिकल 50 को संसदको बाइपास कर लागू नहीं कर सकती. उल्लेखनीय है कि ब्रेक्जिट के बाद प्रधानमंत्री पद से डेविडकैमरूनको इस्तीफा देना पड़ा था और टेरेसा मे नयी प्रधानमंत्री बनीं थीं.

अदालत का यह फैसला जहां ब्रेक्जिट समर्थकों के लिए एक झटका है, वहीं ग्रेट ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन में बनाये रखने के समर्थन में वोट देने वालों के लिए एक सुखद खबर है. ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से अलग करने वाले की मुहिम चलाने वालों के लिए यह इसलिए भी झटका है किक्योंकि यह सर्वज्ञात है कि ब्रिटिश संसद में अधिकतर सांसद अपने देश को यूरोपीय यूनियन में बनाये रखने के समर्थक हैं.

उल्लेखनीय है कि टेरेसा मे सरकार ने लिस्बन समझौता के आर्टिकल 50 के तहत ब्रेक्जिट को लागू करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पारित किया था, जिसके लिए संसद से किसी तरह की स्वीकृति नहीं ली गयी. इसे अदालत में यह कह कर चुनौती दी गयी थी कि संसद की मंजूरी के बिना ब्रेक्जिट को लागू किया जा रहा है. इस फैसले के बाद टेरेसा मे की सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है किहमारी इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.

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