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पाकिस्तान का ‘पनामागेट’

पुष्परंजन ईयू-एशिया न्यूज के नयी दिल्ली संपादक लाहौर के पास एक कस्बा है, ‘जटी उमरा’. इस कस्बे को तब से लोगों ने जानना शुरू किया, जब पचास लाख वर्गफीट जमीन पर नवाज शरीफ ने भव्य ‘रायविंद पैलेस’ बनवाना आरंभ किया. यह पैलेस सचमुच का महल है, जहां सोने के स्तंभों से लेकर भूंस भरे शेर […]

पुष्परंजन

ईयू-एशिया न्यूज के नयी दिल्ली संपादक

लाहौर के पास एक कस्बा है, ‘जटी उमरा’. इस कस्बे को तब से लोगों ने जानना शुरू किया, जब पचास लाख वर्गफीट जमीन पर नवाज शरीफ ने भव्य ‘रायविंद पैलेस’ बनवाना आरंभ किया.

यह पैलेस सचमुच का महल है, जहां सोने के स्तंभों से लेकर भूंस भरे शेर तक दौलत के ‘न्यूसेंस वैल्यू’ को दर्शाते हैं. लाहौर से 49 किमी लंबी सड़क इस कस्बे के लिए बनाई गयी, जिसका नाम ‘रायविंद रोड’ रखा गया. जटी उमरा में हेलीपैड है, जहां प्रधानमंत्री मोदी उतरे थे और वहीं से रायविंद पैलेस में शादी के जश्न में शरीक हुए थे. उस अवसर पर नवाज शरीफ से बगलगीर मोदी ने कहा था, ‘अब तो यहां आना-जाना लगा रहेगा.’ जवाब में शरीफ ने कहा, ‘आपका घर है!’

इस समय शीशे के इस घर पर सुप्रीम कोर्ट की नजर है, जिस पर विपक्ष के नेता इमरान खान लगातार पत्थर बरसा रहे हैं. उसकी वजह ‘पनामा लीक’ है. पनामा लीक 3 अप्रैल, 2016 को 76 देशों में धमाके के साथ प्रकाशित-प्रसारित हुआ था, जिससे दुनिया की 140 राजनीतिक हस्तियों की नींद हराम हो गयी थी.

इनमें नवाज शरीफ समेत 72 पूर्व और वर्तमान शासनाध्यक्ष हैं. पनामा लीक की पहली बलि चढ़े हैं आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिगमुंडर डेविड. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के नेता इमरान खान को लगता है कि आइसलैंड के पीएम की तरह ही नवाज शरीफ भी नप सकते हैं. बस माहौल बनना चाहिए.

पनामा पेपर्स में नवाज के दोनों बेटे हसन, हुसैन और बेटी मरियम समेत पांच सौ सेलेब्रिटी के नाम हैं, जिन्होंने विदेशों में कालेधन जमा किये, ऑफ शोर कंपनियां खोलीं. इनमें इमरान खान के तीन खास लोगों- अब्दुल अलीम खान, जहांगीर तरीन और लंदन में रह रहे जुल्फी बुखारी के नाम भी हैं.

2.6 टेराबाइट की इस गोपनीय लीक में बेनजीर भुट्टो की शारजाह स्थित तेल कंपनी ‘पेट्रोफाइन एफजेडसी’ का नाम भी आया है, यह बताया गया कि इराक में तेल का ठेका पाने के लिए इस कंपनी ने साल 2000 में सद्दाम हुसैन के मंत्रियों को घूस दिया था. यह डील पनामागेट की सूत्रधार कंपनी ‘मोसाक फोंसेका’ के जरिये हुई थी. मरहूमा बेनजीर भुट्टो के खास रहे सीनेटर रहमान मलिक और बेनजीर के भतीजे हसन अली जाफरी भुट्टो के नाम भी पनामागेट में हैं. शायद इसी वजह से ‘पीपीपी’ बैकफुट पर है.

मगर, इमरान ने अपने तीन लोगों से पल्ला झाड़ते हुए सीधा नवाज शरीफ को निशाने पर लिया है. नवाज इसकी लीपापोती के लिए जांच कमीशन बैठा रहे थे, जिसे सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने 13 मई को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि बिना दांत के इस कमीशन से कुछ नहीं निकलना है. यों, शरीफ फैमली ने अपनी वेबसाइट पर 30 अरब डॉलर की संपत्ति व्यापार में और 10 अरब डॉलर रीयल एस्टेट होल्डिंग्स में होने की बात स्वीकारी हुई है. इस फैमिली के काॅरपोरेट चेहरे पर पत्रकार शहीदुर्रहमान की किताब ‘हू ओन्स पाकिस्तान’ में काम की जानकारी है.

पाकिस्तान में एक बेवसाइट है, ‘पांच रुपैया डॉट कॉम’. शरीफ परिवार के चालीस सदस्यों की संपत्ति ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड से लेकर लंदन और अरब देशों में किस तरह खपाई गयी है, उसकी तफसील ‘पांच रुपैया डॉट कॉम’ में है. कोर्ट प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से इसलिए नाराज है, क्योंकि उन्होंने पनामा लीक से जुड़े पांच पेटीशंस के जवाब नहीं दिये. इन याचिकाओं को पीटीआइ और जमात-ए-इसलामी ने दाखिल कर रखा था.

प्रश्न यह है कि ‘पाकिस्तान के अलीबाबा चालीस चोर’ को घेरने के वास्ते क्या इमरान खान जमीनी रूप से मजबूत हैं?

इमरान खान देशव्यापी धरने की योजना में थे, मगर उन्हें जमात-ए-इसलामी अकेले लीड करने देना नहीं चाहती थी. 2 नवंबर, 2016 को धरने में शिरकत से पाकिस्तान अवामी तहरीक के अध्यक्ष मौलाना ताहिर उल-कादरी ने भी मना कर दिया. मौलाना कादरी भ्रष्टाचार के खिलाफ लाॅन्ग मार्च के लिए सबसे तारीखी नेता बताये जाते हैं. यह भी एक सच है कि मौलाना कादरी और इमरान खान मार्च निकालने को लेकर अक्सर सियासत करते दिखते हैं. 10 अगस्त, 2014 को मौलाना कादरी ने ‘इंकलाब मार्च’ का ऐलान किया, तो उससे बराबरी करते हुए इमरान खान ने ‘आजादी मार्च’ निकाला था.

चूंकि दो नवंबर को धरना करने की घोषणा इमरान खान कर चुके थे, इसलिए उसे ‘शुक्राना सभा’ में परिवर्तित कर उन्होंने अपनी लाज बचायी है, लेकिन पीटीआइ कार्यकर्ता इमरान के इस फैसले से नाराज हैं.

इमरान का अजीबो-गरीब ‘शुक्राना’ इसलिए कि जनता ने उनका साथ दिया, और शुक्रिया इस वास्ते कि सुप्रीम कोर्ट जांच कमीशन का गठन व गुरुवार से ‘पनामागेट’ की सुनवाई करेगी. सत्ता और विपक्ष कोर्ट की शर्तों को मानेंगे. फिर भी, नवाज शरीफ को कोर्ट से कहीं अधिक अपनी सेना पर भरोसा है. पाक सेना जितने गोले सीमा पार कश्मीर में बरसायेगी, नवाज शरीफ की कुर्सी उतनी ही मजबूत होगी. नवाज शरीफ को जिस दिन लगेगा कि कुर्सी अब जानेवाली है, एक युद्ध तो वे करा कर रहेंगे!

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