कोलकाता. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के पूर्वी बेंच की खंडपीठ के छठ पर्व के फैसले के बाद हिंदी भाषियों में व्यापक रोष है. सामाजिक संगठनों व हिंदीभाषियों के साथ-साथ अन्य संगठनों ने प्राधिकरण से फैसले में पुनर्विचार करने की मांग की है तथा इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने का निर्णय किया है. इसके साथ ही इसके विरोध में आदेश की प्रतियां जलाने का निर्णय किया गया है.
छठ पूजा पर ट्राइब्यूनल के फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हस्तक्षेप करें. इस बाबत एटक समर्थित कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के महासचिव व वेस्ट बंगाल टैक्सी ऑपरेटर्स को-आर्डिनेशन कमेटी के संयोजक नवल किशोर श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है. श्री श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी भाषी लोग छठ पूजा करते हैं और लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ यह पर्व है. इस पर्व के दौरान छठव्रतियां सूर्य को अर्घ्य देती हैं, जलाशय या नदी में कोई फूल या अन्य पदार्थ नहीं फेंके जाते हैं. इस फैसले से छठ पूजा के आयोजन पर प्रभाव पड़ेगा. हमारे राज्य के टैक्सी चालक व मेटाडोर चालक के परिवार छठ पूजा से जुड़े हुए हैं. इससे लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है. इस कारण राज्य सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और ग्रीन ट्रिब्युनल के फैसले पर पुनर्विचार की अपील करे, ताकि हिंदी भाषी पूर्व की भांति छठ पूजा कर पायें. उन्होंने संतोष जताया कि ग्रीन ट्रिब्युनल के फैसले के खिलाफ केआइटी ने फिर से ट्रिब्युनल में अपील की है. अाशा है कि ट्रिब्युनल अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा.
छठ लोगों की अास्था और विश्वास से जुड़ा हुआ त्योहार है. इस फैसले से आस्था और विश्वास पर आघात लगा है. इस फैसले पर स्थगनादेश के लिए सर्वोच्च अदालत में अपील की जायेगी. उन्होंने कहा कि केआइटी ने ट्रिब्यूनल में फैसले के बदलाव व लागू करने के लिए समय मांगा है, लेकिन वे लोग चाहते हैं कि ट्रिब्यूनल का फैसला पूरी तरह से रद्द हो, क्योंकि छठ पूजा को लेकर ट्रिब्यूनल के समक्ष गलत तसवीर पेश की गयी है. छठ पूजा में जलाशयों में गंदगी नहीं होती है, वरन केवल छठव्रतियां जल में उतर कर सूर्य को अर्घ्य देती है. वे लोग चाहते हैं कि यह फैसला पूरी तरह से रद्द हो.
मणि प्रसाद सिंह, अध्यक्ष, राष्ट्रीय बिहारी समाज
कोई भी धर्म और आस्था पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है. छठ पूजा अास्था और विश्वास का त्योहार है. इससे एक बड़े वर्ग की आस्था जुड़ी हुई है. इस पूजा के लेकर इस तरह का फैसला ठीक नहीं है. इस पर पुनर्विचार होनी चाहिए. छठ पूजा के दौरान कोई प्रदूषण तो होता नहीं है, केवल छठव्रतियां पानी में उतर पर अर्घ्य देती हैं. कोलकाता नगर निगम पूजा के बाद घाटों की सफाई करती रही है. यदि जरूरत पड़ी तो छठ पूजा के बाद भी घाटों की सफाई की जायेगी.
स्मिता बक्सी, विधायक, तृणमूल कांग्रेस
ट्रिब्यूनल का यह फैसला है, लेकिन कोई भी अदालत या प्राधिकरण त्योहार पर रोक नहीं लगा सकता है और रोक लगाना भी नहीं चाहिए. किसी तरह की पाबंदी से इस त्योहार से जुड़े बड़े वर्ग को काफी परेशानी होगी. यह आस्था का त्योहार है. इसमें किसी तरह की पाबंदी ठीक नहीं है तथा उम्मीद है कि ट्रिब्यूनल अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा.
मीनादेवी पुरोहित, पूर्व उपमेयर व भाजपा पार्षद
ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ उच्चतर अदालत में अपील की जाये. यह आस्था और विश्वास का त्योहार है. इस त्योहार से गंगा में प्रदूषण फैलता है. यह सुन कर ही आश्चर्य लगता है, क्योंकि इस महापर्व के पहले गंगा घाटों की सफाई की जाती है, जो किसी भी त्योहार के पहले नहीं होता है और न ही गंगा के जल में कुछ प्रवाहित किया जाता है. केवल छठव्रतियां जल में उतर पर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. उन्होंने कहा कि वह इस फैसले का विरोध करनेवालों के साथ हैं तथा हर तरह के सहयोग के लिए तैयार हैं.
संतोष पाठक, पार्षद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता
ट्रिब्यूनल व अदालत का काम केवल फैसला सुनाना है. ट्रिब्यूनल ने सौंदर्यीकरण किये गये रवींद्रनाथ टैगोर के समाधि स्थल को भी तोड़ने का निर्णय दिया है. उस बेतुके फैसले की तरह ही छठ पूजा पर भी फैसला बेतुका है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने छठ के दिन छुट्टी का एलान किया है और वह खुद छठ पूजा पर घाटों में जाती है. उनके इलाके में छठ पूजा के दिन छठव्रतियां गंगा के जल में उतर कर छठ पूजा करेंगी और वह उन लोगों के साथ रहेंगे. यदि किसी को रोकना है, तो रोक ले. उसके लिए वह तैयार हैं.
विजय उपाध्याय, पार्षद व वरिष्ठ तृणमूल नेता
मैंने एमअाइसी देवाशीष कुमार से मुलाकात भी की है तथा इस मामले पर कदम उठाने की अपील की है. छठ पर्व आस्था और विश्वास का त्योहार है. इस त्योहार को लेकर इस तरह का फैसला न्यायोचित नहीं प्रतीत होता है. वह प्राधिकरण से अपील करेंगे कि इस फैसले पर वह पुनर्विचार करे तथा सहानुभूति से इस पूरे मामले को देखे, क्योंकि इस पर्व के दौरान नदी या जलाशय किसी भी रूप में प्रदूषित नहीं होती है.
भोला प्रसाद सोनकर, महामंत्री, श्री महाशक्ति शिवसागर समिति.
ऐसा प्रतीत होता है कि यह हिंदी भाषियों के खिलाफ साजिश के तहत इस तरह का फैसला दिया गया है. छठ पूजा आस्था और विश्वास का त्यौहार है. इसे हिंदी भाषी पूरी आस्था से मनाते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता साजिश के तहत इस मामले में उठाया है. ट्रिब्यूनल के इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं तथा इसके खिलाफ कानून के दायरे में अपील की जायेगी. वह उम्मीद करते हैं कि कोलकाता पुलिस, प्रशासन व केआइटी इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे, ताकि हिंदी भाषी बिना किसी व्यवधान के महापर्व का पालन कर सकें.
नवीन मिश्रा, भाजपा नेता व अध्यक्ष, हिंदी एवं बांग्ला भाषा युवा संघ
छठ पूजा महापर्व है और यह महापर्व सदियों से पालन किया जा रहा है. अदालत या ट्रिब्यूनल के फैसले का मैं सम्मान करता हूं, लेकिन कोई भी निर्णय फैसले के प्रभाव को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए. यदि ट्रिब्यूनल के फैसले से छठ पूजा में व्यावधान पैदा होता है, तो वे लोग इसका सड़क पर उतर कर विरोध करेंगे, क्योंकि यह केवल एक वर्ग या भाषा भाषी का त्योहार नहीं है, वरन एक राष्ट्रीय त्योहार है तथा इसमें सभी वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं.
राजीव राय, अध्यक्ष, 45 नंबर वार्ड तृणमूल कांग्रेस.
बंगाल में सत्तारूढ़ होनेवाली सरकारों ने कभी भी हिंदी भाषियों को उनका सम्मान नहीं दिया है और न ही उन्हें अधिकार मिलता है. ट्रिब्यूनल का यह फैसला राज्य सरकार के इशारे पर किया गया है. इस फैसले का कड़े शब्दों में विरोध करते हैं. ट्रिब्यूनल में सुनवाई के लिए अपील दायर की गयी है. उस फैसले के बाद आगे आंदोलन की रणनीति बनाया जायेगा.
महेश शर्मा, अध्यक्ष, बड़ाबाजार जिला कांग्रेस
ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ मिथिला विकास परिषद फैसले की प्रति को जला कर शुक्रवार की शाम पांच बजे विरोध प्रदर्शन करेगा. यह विरोध प्रदर्शन गणेश टॉकीज मोड़ पर शुक्रवार को किया जायेगा. हम लोग किसी भी कीमत पर ट्रिब्यूनल के फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे तथा ट्रिब्यूनल के फैसले से राज्य सरकार का कोई लेना-देना नहीं हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश में छठ पूजा की व्यवस्था की जाती है. ट्रिब्यूनल केंद्र सरकार के अधीन काम करता है. केंद्र सरकार पूरे मामले में हस्तक्षेप करे, ताकि इस महापर्व का शांतिपूर्वक पालन किया जाये.
अशोक झा, अध्यक्ष, मिथिला विकास परिषद
छठ पूजा पर ट्रिब्यूनल का फैसला पूरी तरह से अमान्य है, हालांकि इस फैसले के खिलाफ केअाइटी ने बदलाव के लिए याचिका दायर की है, लेकिन यह फैसला पूरी तरह से रद्द हो, क्योंकि यह पूरी तरह से छठ महापर्व की महत्ता और भावना के खिलाफ है. इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जायेगी, ताकि फैसला रद्द हो.
राजेश सिन्हा, महामंत्री, राष्ट्रीय बिहारी समाज