दुर्भाग्य. पंचायत योजनाओं के लाभ से ग्रामीण वंचित
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छह साल में कुछ भी नहीं मिला बहदुरा को
दुर्भाग्य. पंचायत योजनाओं के लाभ से ग्रामीण वंचित टूटी-फूटी सड़कों पर चलने की विवशता, गली व नाली भी नदारद मोहनिया सदर : प्रखंड के बघिनी पंचायत का बहदुरा गांव विकास के मामले में कोसों दूर है. यहां की खराब हुई गलियां, रास्ते पर जलजमाव व पीने के पानी सहित कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. […]
टूटी-फूटी सड़कों पर चलने की विवशता, गली व नाली भी नदारद
मोहनिया सदर : प्रखंड के बघिनी पंचायत का बहदुरा गांव विकास के मामले में कोसों दूर है. यहां की खराब हुई गलियां, रास्ते पर जलजमाव व पीने के पानी सहित कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. जहां सरकार गांवों के विकास को गति देने के लिए गली नाली, हर घर नल-जल सहित सभी सुविधाएं ग्रामीणों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है, वहीं पंचायत के जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार यह गांव आज अपनी बदहाली की दास्तां का गवाह है. वर्ष 2011 में हुए पंचायत चुनाव के बाद से अब तक इस गांव के विकास पर एक रुपये भी पंचायत द्वारा खर्च नहीं किये गये हैं. जब मुखिया पुष्पा देवी के मोबाइल नंबर 7739650741 पर संपर्क किया गया, तो उनका नंबर कवरेज क्षेत्र से बाहर था.
आज भी बदतर जिंदगी जी रहे ग्रामीण.
क्या कहते हैं बीडीओ
योजना पंजी देखने के बाद ही पता चलेगा कि वहां विकास हुआ है कि नहीं. यदि मुखिया ने वहां के लिए योजना नहीं ली है, तो हम प्रखंड से विकास कार्य करायेंगे. गांवों को विकास के रास्ते पर लाने के लिए सरकार गंभीर है़ इसकी अनदेखी नहीं होगी.
2010 में हुई थी ईंट सोलिंग
गांव के कपिलमुनी पांडेय, दिनेश चौधरी, गंगा पांडेय, संतोष राम व लालू पांडेय कहते हैं कि मुखिया ललिता देवी ने 2010 से पहले गांव में ईंट सोलिंग करायी थी. वर्ष 2011 के पंचायत चुनाव के बाद से अब तक इस गांव में गली नाली के विकास के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगायी गयी है. आज स्थिति यह है कि गलियां इतनी खराब हो चुकी हैं कि इन पर चलना मुश्किल हो गया है. शिव मंदिर के समीप मुख्य मार्ग पर नाली के अभाव में गंदा पानी जमा होता है. उसी गंदे जलजमाव से होकर गुजरते हैं, लेकिन हम ग्रामीणों की पीड़ा सुननेवाला कोई नहीं है. चाहे वर्ष 2011 व 2016 में मुखिया का चुनाव जीतने वाली मुखिया पुष्पा देवी हो या फिर प्रखंड का विकास करनेवाले बीडीओ. इन जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों की उपेक्षा का दंश हम लोग झेल रहे हैं.
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